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सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर पाकिस्तान में हलचल, 'हीरो' की तरह याद किया गया
02-Sep-2021 1:24 PM
सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर पाकिस्तान में हलचल, 'हीरो' की तरह याद किया गया

अलगाववादी कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर पाकिस्तान से काफ़ी प्रतिक्रिया आ रही है.

बुधवार की रात जब उनकी मौत हुई तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इमरान ख़ान ने अपने ट्वीट में गिलानी को स्वतंत्रता सेनानी लिखा है और मौत पर दुख जताया है.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने लिखा है, ''कश्मीर के स्वतंत्रता सेनानी सैयद अली शाह गिलानी की मौत काफ़ी दुखद है. उन्होंने पूरा जीवन अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार के संघर्ष में न्योछावर कर दिया.''

''उन्हें क़ैद में भारत ने प्रताड़ित किया, लेकिन फिर भी कभी झुके नहीं. हम पाकिस्तानी उनके साहस को सलाम करते हैं. हमें उनके वो शब्द याद हैं- हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है. उनकी मौत के शोक में पाकिस्तान का राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा और एक दिन का आधिकारिक शोक रहेगा.''

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी गिलानी को याद करते हुए बयान जारी किया है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है, ''सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीर की तीन पीढ़ियों को प्रेरित किया. वे कश्मीर की सच्ची आवाज़ थे और उन्होंने कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिया. उन्होंने अपनी विचारधारा से कोई समझौता नहीं किया.''

पाकिस्तान के सीनियर और चर्चित पत्रकार हामिद मीर ने गिलानी का वो वीडियो क्लिप पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने ''हम पाकिस्तानी हैं, पाकिस्तान हमारा है'' का नारा दिया था.

इस वीडियो के साथ हामिद मीर ने लिखा है, ''यह साहसी व्यक्ति हमेशा ये नारा लगाता रहा- हम पाकिस्तानी हैं, पाकिस्तान हमारा है. पाकिस्तानियों के दिलों में गिलानी हमेशा ज़िंदा रहेंगे.'' इस वीडियो में गिलानी कहते दिख रहे हैं, ''इस्लाम के ताल्लुक से, इस्लाम की मोहब्बत से, हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है.''

भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने गिलानी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है, ''वे हमारे हीरो थे. आख़िरी सांस तक आज़ादी की लड़ाई लड़ते रहे. कश्मीर पर कभी समझौता नहीं किया. अल्लाह उनकी आत्मा को शांति दे और हमें इतनी ताक़त दे कि कश्मीर को आज़ाद करने के उनके मिशन को पूरा कर सकें.''

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान बनने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान में विवाद है. जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के पास है और कुछ भारत के पास. दोनों देश पूरे जम्मू-कश्मीर पर दावा करते हैं और इसके लिए जंग भी हो चुकी है. पाकिस्तान भारत के कश्मीर को ग़ुलाम कहता है और भारत पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को पाकिस्तान का अवैध कब्ज़ा बताता है.

पाक एनएसए की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ़ ने भी गिलानी की मौत पर कहा है कि वे पाकिस्तानियों और कश्मीरियों के हीरो थे.

मोईद ने ट्वीट कर कहा है, ''सैयद अली शाह गिलानी की मौत बेहद दुखद है. उनका पूरा जीवन कश्मीर के लोगों के लिए समर्पित रहा. हमने सुना है कि भारत की सेना गिलानी साहब के परिवार पर रात में ही शव दफ़नाने के लिए दबाव डाल रही थी.''

''हमने ये भी सुना है कि कश्मीर में पाबंदी लगा दी गई है. मैं मांग करता हूँ कि भारत गिलानी साहब को दफ़नाने का काम इस्लामिक रिवाज से होने दे. मैं भारत को चेतावनी देता हूँ कि वो आग से ना खेले. कश्मीरी ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों का मुक़ाबला करेंगे.''

मोईद ने अपने ट्वीट में कहा है, ''ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों से पता चलता है कि भारत कश्मीरियों की आवाज़ से डरा हुआ है.''

हालाँकि अली शाह गिलानी के शव को कड़ी सुरक्षा में श्रीनगर में उनके आवास के पास गुरुवार तड़के 4.30 दफ़ना दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गिलानी की आख़िरी विदाई में उनके क़रीबी रिश्तेदारों और पड़ोसियों के ही शामिल होने की अनुमति थी.

अनुच्छेद 370 के बाद
पिछले तीन दशकों से गिलानी कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन का मुख्य चेहरा थे. गिलानी क़रीब दो दशक तक जेल में रहे. 2010 के बाद से ख़राब सेहत के कारण वो घर में बंद रहे. 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया तब से वे अपने घर में ही बंद थे.

गिलानी की मौत के बाद पूरे कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. उत्तरी कश्मीर और ओल्ड श्रीनगर में ख़ास करके सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी गई है. कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने पूरे कश्मीर में देर रात पाबंदियों की घोषणा की थी. गिलानी के समर्थक उन्हें ओल्ड श्रीनगर में दफ़नाना चाहते थे.

गिलानी की मौत पर पाकिस्तानी सेना ने भी बयान जारी किया है. डीजीआईएसपीआर ने अपने ट्वीट में कहा है, ''जनरल क़मर जावेद बाजवा ने सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर दुख व्यक्त किया है. गिलानी कश्मीर की आज़ादी के आंदोलन के आदर्श थे. गिलानी का सपना और मिशन तब तक ज़िंदा रहेगा, जब तक कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं मिल जाता है.''

गिलानी की मौत पर भारतीय कश्मीर से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा है, ''गिलानी साहब की मौत का दुख है. कई मोर्चों पर उनसे असहमति थी, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता का सम्मान करती हूँ. अल्लाह ताला उन्हें जन्नत दे. उनके परिवार को दुखद घड़ी में शक्ति मिले.''

शख़्सियत
पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''गिलानी कश्मीर में भारतीय शासन के ख़िलाफ़ कभी नहीं झुकने वाले कैंपेनर थे. वे पिछले 11 सालों से हाउस अरेस्ट थे. गिलानी ने 1960 के दशक से ही कश्मीर को पाकिस्तान में विलय का कैंपेन शुरू कर दिया था. 1962 के बाद वे क़रीब दस सालों तक जेल में रहे. गिलानी जब युवा थे तब से ही जमात-ए-इस्लामी के सदस्य थे. इसे 2019 में भारत ने बैन कर दिया था.''

गिलानी ने पिछले साल ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के प्रमुख से इस्तीफ़ा दे दिया था. गिलानी 1993 में इसके गठन के बाद से ही सदस्य थे. यह धड़ा भारत विरोधी माना जाता था. 2003 में उन्हें इसका आजीवन प्रमुख चुना गया था. (bbc.com)

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