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1948 में स्कूल छूटा तो अब ग्रैजुएट हुईं 85 साल की जिहाद भुट्टो
19-Oct-2021 2:00 PM
1948 में स्कूल छूटा तो अब ग्रैजुएट हुईं 85 साल की जिहाद भुट्टो

फलस्तीन की रहने वालीं जिहाद भुट्टो ग्रैजुएट हो गई हैं. इस्राएल के कफ्र बारा में हाल ही में उन्होंने अपनी डिग्री हासिल की. इस डिग्री के लिए उन्हें 85 साल इंतजार करना पड़ा.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट

85 साल की जिहाद भुट्टो के बच्चे और पोते-पोतियां, नाते-नातिन उन्हें बधाई देने पहुंचे. आखिर यह दिन लंबे इंतजार के बाद आया था. जाहिर है, भुट्टो बेहद खुश थीं. उन्होंने वो हासिल किया, जिसकी तमन्ना उन्हें ताउम्र रही. वह ग्रैजुएट हो गईं.

जिहाद भुट्टो जब 12 साल की थीं तो उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. 1948 में उन्होंने स्कूल तो छोड़ा पर पढ़ने की इच्छा नहीं छोड़ी. उसी इच्छा के दम पर उन्होंने 81 साल की उम्र में दोबारा पढ़ाई शुरू की.
जहां मिले शिक्षा

भुट्टो ने कफ्र बारा सेंटर फॉर इस्लामिक स्ट्डीज में दाखिला लिया और भाषा, धर्म व गणित की पढ़ाई शुरू की. चार साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और वह ग्रैजुएट हो गईं. उन्हें डिग्री देते हुए टीचर्स और अधिकारी भी फख्र महसूस कर रहे थे. यह आयोजन भुट्टो के लिए ही नहीं सेंटर के भी विशेष था. उन्होंने इससे पहले कभी इतने विशेष छात्र को डिग्री नहीं दी थी.

भुट्टो बताती हैं, "मुझे पढ़ने का मौका मिला. जब भी मुझे मुझे शिक्षा पाने का कोई मौका मिलता है, मैं उसे लपक लेती हूं. पिछली बार जब मैंने कफ्र बारा में दाखिला लिया था तो सभी जान गए कि मुझे शिक्षा से कितना लगाव है. लेकिन मैं आम किताबें पढ़ रही थीं, कोर्स की किताबें नहीं.”

तब किसी ने भुट्टो को सेंटर के कोर्स के बारे में बताया और पूछा कि क्या वह यह कोर्स करना चाहेंगी. भुट्टो के लिए तो ना करने का सवाल ही नहीं था.वह बताती हैं, "उन्होंने मुझे सर्टिफिकेट के बारे में बताया और मुझसे पूछा कि दाखिला लेना है. मैंने कहा कि जहां कहीं शिक्षा है, वहां मैं जाऊंगी. तब दो दोस्तों ने मेरा रजिस्ट्रेशन करा दिया और मैंने यहां पढ़ाई की.”
सबके लिए मिसाल

सात बच्चों की मां जिहाद भुट्टो अपनी क्लास में भी और छात्रों के लिए मिसाल थीं. वह बताती हैं, "अध्यापक मेरे बारे में बहुत बात करते थे. उन्होंने मुझे दूसरे छात्रों के लिए एक उदाहरण बना दिया था. जब मैं ग्रैजुएट हुई तो लोगों ने स्कूल के डीन से पूछा कि क्या वे लोग मेरी मदद करते थे. डीन ने कहा, नहीं, बल्कि इसके उलट, मैं अलग-अलग विषयों पर दूसरे छात्रों की मदद करती थी.”

शिक्षा के लिए जिहाद भुट्टो का अभियान रुका नहीं है. अब वह अपने समुदाय की महिलाओं को पढ़ा रही हैं.

कफ्र बारा इस्राएल के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में एक काउंसिल है, जहां अरब आबादी की बहुलता है. करीब चार हजार लोगों का यह कस्बा 1948 से इस्राएल का हिस्सा है. यूं तो यह एक आम कस्बा है, लेकिन इसकी चर्चा शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए उठाए गए कदमों को लेकर अक्सर होती है.

यहां का हाई स्कूल भी चर्चित रहा है, जहां न सिर्फ पढ़ाई के लिए बेहतरीन सुविधाएं हैं बल्कि ऑटिस्टिक बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. मिडल और हाई स्कूल में छात्रों को ही इन ऑटिस्टिक बच्चों का निर्देशक बनाया गया है और वे बच्चों की सीखने में मदद करते हैं. इस मकसद के लिए काउंसिल ने एक बाल विशेषज्ञ को रखा है, जो यह योजना चलाता है. (dw.com)
 

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