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यूक्रेन संकट: नेटो क्या है और रूस को उस पर भरोसा क्यों नहीं है?
26-Feb-2022 9:23 AM
यूक्रेन संकट: नेटो क्या है और रूस को उस पर भरोसा क्यों नहीं है?

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने नेटो के सामने अपने 73 साल के इतिहास में सबसे बड़ी चुनौती पेश की है.

नेटो क्षेत्र की पूर्वी सीमा के ठीक बगल में युद्ध हो रहा है और नेटो के कई सदस्य देशों को लग रहा है कि रूस आगे उन पर हमला कर सकता है.

सैन्य गठबंधन नेटो, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं,

पूर्वी यूक्रेन में अधिक सैनिक तैनात कर रहा है. हालांकि ब्रिटेन और अमेरिका ये स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका यूक्रेन में अपने सैनिक भेजने का कोई इरादा नहीं है.

नेटो क्या है?
नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो 1949 में बना एक सैन्य गठबंधन है जिसमें शुरुआत में 12 देश थे जिनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे. इस संगठन का मूल सिद्धांत ये है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे.

इसका मूल मक़सद दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस के यूरोप में विस्तार को रोकना था. 1955 में सोवियत रूस ने नेटो के जवाब में पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों के साथ मिलकर अपना अलग सैन्य गठबंधन खड़ा किया था जिसे वॉरसा पैक्ट नाम दिया गया था.

लेकिन 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद वॉरसा पैक्ट का हिस्सा रहे कई देशों ने दल बदल लिया और वो नेटो में शामिल हो गए.

नेटो गठबंधन में अब 30 सदस्य देश हैं.

यूक्रेन को लेकर रूस के साथ मौजूदा तनाव क्यो हैं?
यूक्रेन एक पूर्व सोवियत रिपब्लिक है जो एक तरफ़ रूस से और दूसरी तरफ़ यूरोपीय संघ से सटा है. यूक्रेन में रूसी मूल के लोगों की बड़ी आबादी है और उसके रूस के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं.

रणनीतिक रूप से रूस इसे अपना ही हिस्सा मानता रहा है और हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन वास्तव में रूस का ही हिस्सा है.

हालांकि हाल के सालों में यूक्रेन का झुकाव पश्चिम की तरफ़ अधिक रहा है. उसका यूरोपीय संघ और नेटो का हिस्सा होने का इरादा उसके संविधान में भी लिखा है.

फिलहाल यूक्रेन नेटा का एक सहयोगी देश है. इसका मतलब ये है कि इस बात को लेकर सहमति है कि भविष्य में कभी यूक्रेन को नेटो में शामिल किया जा सकता है.

रूस पश्चिमी देशों से ये भरोसा चाहता है कि ऐसा कभी नहीं होगा.

हालांकि अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन को नेटो में शामिल होने से रोकने के ख़िलाफ़ हैं. उनका तर्क है कि यूक्रेन एक स्वतंत्र राष्ट्र है जो अपनी सुरक्षा को लेकर निर्णय ले सकता है और गठबंधन बना सकता है.

रूस किन और बातों को लेकर चिंतित है?
राष्ट्रपति पुतिन का दावा है कि पश्चिमी देश नेटा का इस्तेमाल रूस के इलाक़ों में घुसने के लिए कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि नेटो पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियां रोक दे.

वो तर्क देते रहे हैं कि अमेरिका ने 1990 में किया वो वादा तोड़ दिया है जिसमें भरोसा दिया गया था कि नेटो पूर्व की तरफ़ नहीं बढ़ेगा. वहीं अमेरिका का कहना है कि उसने कभी भी ऐसा कोई वादा नहीं किया था.

नेटो का कहना है कि उसके कुछ सदस्य देशों की सीमाएं ही रूस से लगी हैं और ये एक सुरक्षात्मक गठबंधन हैं.

नेटो ने रूस और यूक्रेन को लेकर क्या-क्या किया है?
2014 में यूक्रेन के लोगों ने रूस समर्थक राष्ट्रपति को सत्ता से हटा दिया था, इसके कुछ महीने बाद ही रूस ने पूर्वी प्रायद्वीप क्राइमिया पर नियंत्रण कर लिया था. रूस ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े इलाक़ों पर नियंत्रण कर लेने वाले अलगाववादियों का भी खुला समर्थन किया था.

नेटो ने इसमें दख़ल नहीं दिया लेकिन उसने पूर्वी यूरोपीय देशों में पहली बार गठबंधन के सैनिक तैनात कर दिए. इन सैनिकों को तैनात करने का मक़सद है कि यदि भविष्य में कभी रूस नेटो क्षेत्र की तरफ़ बढ़े तो उसे रोका जा सके.

नेटो के इस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड में चार बटालियन की बराबर बैटल ग्रुप हैं जबकि रोमानिया में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड है.

नेटो ने बाल्टिक देशों और पूर्वी यूरोप में हवाई निगरानी भी बढ़ाई है ताकि सदस्य देशों के वायु क्षेत्र में घुसने की कोशिश करने वाले रूसी विमानों को रोका जा सके.

रूस ये कहता रहा है कि वो चाहता है कि ये बल इन क्षेत्रों से निकल जाएं.

मौजूदा संकट में नेटो ने क्या किया है?
नेटो की पूर्वी सीमाओं को मज़बूत करने के लिए अमेरिका ने पोलैंड और रोमानिया में तीन हज़ार अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं. इसके अलावा लड़ाई के लिए तैयार 8,500 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है. हालांकि यूक्रेन में सैनिक तैनात करने की कोई योजना अभी नहीं है.

इसके अलावा क़रीब बीस करोड़ डॉलर क़ीमत के हथियार भी नेटो ने यूक्रेन को भेजे हैं जिनमें जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें भी शामिल हैं और स्टिंगर एंटी एयरक्राफ़्ट मिसाइलें भी हैं. इसके अलावा नेटो ने अन्य सदस्य देशों को अमेरिका में निर्मित हथियार यूक्रेन भेजने की अनुमति भी दे दी है.

ब्रिटेन ने यूक्रेन को कम दूरी वाली 2 हज़ार एंटी टैंक मिसाइलें दी हैं. पोलैंड में 350 सैनिक भेजे हैं और इस्टोनिया में अतिरिक्त 900 सैनिक भेजकर अपनी ताक़त दोगुना की है.

ब्रिटेन ने दक्षिणी यूरोप में आरएएफ़ के अतिरिक्त लड़ाकू विमान तैनात किए हैं और पूर्वी भूमध्य सागर में गश्त करने के लिए रॉयल नेवी का युद्धक पोत भी भेजा है. यहां पहले से ही नेटो के युद्धक पोत मौजूद हैं.

यूक्रेन पर रूस के आक्रामण से पैदा हुए हालात में मानवीय मदद के लिए तैयार रहने के लिए भी ब्रिटेन ने एक हज़ार सैनिकों को मुस्तैद रखा है.

डेनमार्क, स्पेन, फ़्रांस और नीदरलैंड्स ने भी पूर्वी यूरोप और पूर्वी भूमध्यसागर में जंगी विमान और युद्धपोत भेजे हैं.

अब नेटो क्या करेगा?
नेटो ने सैकड़ों लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों को अलर्ट पर रखा है और वो रूस और यूक्रेन के सीमावर्ती इलाक़ों में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है.

वो अपनी रेस्पांस फोर्स को भी एक्टीवेट कर सकता है जिसमें क़रीब चालीस हज़ार सैनिक हैं.

नेटो रोमानिया, बुल्गारिया, हंगरी, स्लोवाकिया और ऐसे ही दूसरे देशों मे अतिरिक्त सैन्य बल और लड़ाकू समूह तैनात कर सकता है.

पोलैंड और बाल्टिक देशों में पहले से ही उसके लड़ाकू समूह मौजूद हैं. (bbc.com)

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