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तुर्की के मेहमत इलकर ने बताया, क्यों ठुकराया एयर इंडिया के सीईओ का पद
02-Mar-2022 10:49 AM
तुर्की के मेहमत इलकर ने बताया, क्यों ठुकराया एयर इंडिया के सीईओ का पद

 

तुर्की के मेहमत इलकर आयची ने टाटा समूह के एयर इंडिया के सीईओ का पद संभालने से इनकार कर दिया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक संगठन के उनका विरोध किया था.

कोलकाता से प्रकाशित होने वाला अंग्रेज़ी दैनिक टेलिग्राफ़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. आज की प्रेस रिव्यू की लीड में यही ख़बर पढ़िए.

दक्षिणपंथी संगठन ने इलकर आयची के पुराने राजनीतिक संबंधों को लेकर उनका विरोध किया था.

आयची ने एक बयान में कहा है कि भारतीय मीडिया के कुछ धड़ों में ''मेरी नियुक्ति को कुछ अलग रंग देने की कोशिश की गई है''.

उन्होंने कहा, ''मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस तरह की बातों के बीच पद को स्वीकार करना संभव या सम्मानजनक फ़ैसला नहीं होगा.''

अख़बार लिखता है कि पद पर आने से पहले ही आयची का जाना दबाव समूहों की एक ख़तरनाक मिसाल कायम करता है जो निजी निवेशकों के पेशेवर निर्णयों को कमज़ोर करने के लिए वैचारिक मानदंडों और ''राष्ट्रीय सुरक्षा'' के बहाने का इस्तेमाल करते हैं.

इलकर आयची तुर्की के एक चर्चित कारोबारी है. वो टर्किश एयरलाइन के अध्यक्ष रह चुके हैं. साथ ही वो 1994 में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के सलाहकार भी रहे हैं. उस समय अर्दोआन इस्तांबुल के मेयर थे.

कुछ विदेशी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ आयची ने कथित तौर पर एक बार अल क़ायदा के फाइनेंसर को निवेश की सुविधा दी थी.

रेचेप तैय्यप अर्दोआन की हाल के सालों में पाकिस्तान के साथ नज़दीकियां बढ़ी हैं और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का भी उन्होंने पुरज़ोर विरोध किया था.

स्वदेशी जागरण मंच का विरोध
पिछले हफ़्ते स्वदेशी जागरण मंच ने कहा था कि सरकार को आयची की नियुक्ति को अनुमति नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे ''राष्ट्रीय सुरक्षा'' के लिए ख़तरा हो सकता है. स्वेदशी जागरण मंच आरएसएस की आर्थिक यूनिट है.

संगठन के सह-संयोजक ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''मुझे लगता है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर पहले ही संवेदनशील है और मामले को बेहद गंभीरता से लिया है. मुझे नहीं लगता कि सरकार इसकी अनुमति देगी.''

एक विदेशी नागरिक को भारत में किसी एयरलाइन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ नियुक्त करने से पहले सरकार की अनुमति की ज़रूरत होती है.

एक सरकारी सूत्र ने पिछले हफ़्ते समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि भारत सरकार आयची और एयर इंडिया के मामले में सामान्य जांच से ज़्यादा सख्त जांच कर रही है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों ने उनके तुर्की से संबंधों को लेकर चिंता ज़ाहिर की है.

14 फ़रवरी को टाटा समूह ने इलकर आयची को एयर इंडिया का सीईओ नियुक्त किया था. टाटा समूह ने एयर इंडिया को जनवरी में 18 हज़ार करोड़ में सरकार से ख़रीदा था.

आयची ने कहा कि टाटा समूह के अध्यक्ष एन. चंद्रशेखरन के साथ हुई हालिया बैठक के बाद उन्होंने ये पद लेने से इनकार कर दिया है. टाटा समूह के एक प्रवक्ता ने इस ख़बर की पुष्टि की है.

स्वदेशी जागरण मंच ने इलकर आयची के मामले को लेकर सरकार को कोई पत्र नहीं लिखा था और ना ही आयची की नियुक्ति को लकर कोई बयान जारी किया था.

स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने अख़बार को बताया, ''हमने सरकार को कोई पत्र नहीं लिखा है. हालांकि, मंच ने सुरक्षा कारणों से उनकी नियुक्ति का विरोध किया था और हम चाहते थे कि सरकार इसे अनुमति ना दे.''

''हमें पूरा विश्वास था कि मौजूदा सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बहुत संवेदनशील है, वो मामले को बहुत गंभीरता से लेंगे और नियुक्ति को स्वीकृति नहीं देंगे.''

ये पहली बार नहीं है जब आरएसए से जुड़े संगठनों और प्रकाशनों ने अपनी ताक़त दिखाई है. सरकार चुप रहकर या हल्का-फुल्का विरोध करके इनका समर्थन करती है.

हाल ही में आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य में इंफ़ोसिस पर भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए ''राष्ट्र-विरोधी'' तत्वों के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया था.

इसके बाद पत्रिका ने अपनी एक कवर स्टोरी में रीटेल कंपनी अमेज़न को ''ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0'' कहा था.

दोनों ही मामलों में सरकार चुप रही. बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका हल्का विरोध किया था.

इस तरह के मामलों ने इस धारणा को बल दिया है कि आरएसएस सरकार में महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करता है. (bbc.com)

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