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यूक्रेन रूस संघर्ष: वॉर क्राइम यानी युद्ध अपराध क्या है?
07-Mar-2022 11:38 AM
यूक्रेन रूस संघर्ष: वॉर क्राइम यानी युद्ध अपराध क्या है?

इमेज स्रोत,STATE EMERGENCY OF UKRAINE/PA

 

यूक्रेन में जारी संघर्ष के दौरान रूस पर आम नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लग रहा है. इन आरोपों के बाद रूस पर संभावित युद्ध अपराध के मामले की जांच शुरू हुई है.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के मुख्य अभियोजक ने कहा कि कथित युद्ध अपराधों, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नरसंहार के सबूत एकत्रित किए जा रहे हैं. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने यह कदम 39 देशों द्वारा जांच की मांग उठाए जाने के बाद उठाया है.

वहीं, दूसरी ओर रूस ने आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों से इनकार किया है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि रूस पर जिसका आरोप लग रहा है वह युद्ध अपराध क्या हैं?

युद्ध अपराध को परिभाषित करने वाले क़ानून जिनेवा कन्वेंशन कहलाते हैं. हालांकि, यूगोस्लाविया और रवांडा में इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रायब्यूनल के तहत युद्ध अपराध के मामलों की जांच हुई थी.

जिनेवा कन्वेंशन क्या है?
अब सवाल यह भी है कि जिनेवा कन्वेंशन क्या है? यह अंतराष्ट्रीय संधियों की एक सिरीज़ है, जो किसी भी युद्ध में मानवीय उपचार के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानूनी मानकों को निर्धारित करती है.

पहले तीन कन्वेंशन युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों और युद्ध बंदियों की सुरक्षा के लिए प्रावधान निर्धारित करते हैं जबकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चौथा कन्वेंशन शामिल किया गया जिसके तहत युद्ध क्षेत्र के आम नागरिकों की सुरक्षा की जाती है. 1949 के जिनेवा कन्वेंशन को रूस सहित संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने अनुमोदित किया था.

- जानबूझ कर की गई हत्या

- अत्याचार या अमानवीय व्यवहार

- जानबूझ कर गंभीर शारीरिक चोट या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना

- संपत्ति का व्यापक विनाश, जिसकी सैन्य ज़रूरत नहीं होने पर भी संपत्ति का व्यापक विनाश और उपयोग

- बंधक बनाना

- गैर-क़ानूनी निर्वासन या गैर-क़ानूनी कारावास

1998 का रोम अधिनियम भी सशस्त्र संघर्ष के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून और उसके उल्लंघन को समझने के लिए उपयोगी गाइड माना जाता है. इसके मुताबिक युद्ध अपराध है-

- जानबूझ कर आम लोगों पर सीधे हमले करना या युद्ध में जो लोग शामिल नहीं हैं उन पर जानबूझ कर हमले करना.

- जानबूझ कर ऐसे हमला करना जिसके बारे में पता हो कि इन हमलों से आम लोगों की मौत हो सकती है या उन्हें नुकसान पहुंच सकता है.

- बिना रक्षा कवच वाले क़स्बों, गांवों, आवासों या इमारतों पर किसी भी तरह से हमला या बमबारी.

- इसमें कहा गया है कि अस्पताल, धार्मिक आस्था या शिक्षा से जुड़ी इमारतों को जानबूझ कर निशाना नहीं बनाया जा सकता है.

- यह कुछ हथियारों के साथ-साथ ज़हरीली गैसों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाता है.

युद्ध अपराध की सुनवाई कैसे होती है?
रोम अधिनियम 1998 के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना 1998 में नीदरलैंड्स के हेग में हुई थी. यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नुकसान पहुंचाने के सबसे गंभीर अपराधों के अभियुक्तों पर मुक़दमा चलाने वाली और सुनवाई करने वाली एक स्वतंत्र संस्था है.

यह युद्ध अपराधों, नरसंहार, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और आक्रामकता के अपराध की जांच करता है.

कोई भी देश अपनी अदालतों में संदिग्ध अभियुक्तों पर मुक़दमा चला सकती है. आईसीसी केवल उस क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर सकता है जहां कोई देश ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं या नहीं कर सकते हैं. यह 'न्याय के लिए अंतिम उपाय की व्यवस्था' है.

लेकिन इस अदालत के पास अपना पुलिस बल नहीं है और अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए वह संबंधित देश के सहयोग पर निर्भर है.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के 123 सदस्य देश हैं, रूस और यूक्रेन इसके सदस्य नहीं हैं. लेकिन यूक्रेन ने अदालत के न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है, यानी अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यूक्रेन में कुछ निश्चित कथित अपराधों की जांच कर सकती है.

अमेरिका, चीन और भारत भी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्यों में शामिल नहीं हैं.

युद्ध अपराध के आरोपों की पहले भी जांच हुई है?
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लाखों लोग मारे गए थे. जर्मनी की नाज़ी सेना द्वारा सबसे ज़्यादा यहूदी लोगों को निशाना बनाया गया था. इसके बाद दोनों तरफ़ से आम नागरिकों और युद्ध बंदियों को बहुत अत्याचार का सामना करना पड़ा था.

मित्र देश की सेना ने बाद में उन लोगों पर मुक़दमे चलाए जिन्हें वे हालात के लिए ज़िम्मेदार मान रहे थे. 1945 और 1946 की न्यूरमबर्ग की सुनवाई के दौरान 10 नाज़ी नेताओं को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. इसी तरह की प्रक्रिया 1948 में टोक्यो में अपनायी गई थी, तब जापानी सेना के सात कमांडरों को फांसी दी गई थी.

अनिवार्य तौर पर, इन सुनवाइयों से बाद में भी सज़ा देने का चलन कायम हुआ. 2012 में, कांगो के सरदार थॉमस लुबंगा आईसीसी द्वारा दोषी ठहराए जाने वाले पहले व्यक्ति थे, जब उन्हें 2002 और 2003 में अपनी विद्रोही सेना में बच्चों को सैनिक के रूप में भर्ती करने और उनके इस्तेमाल करने का दोषी पाया गया था. उन्हें 14 साल की सज़ा सुनाई गई थी.

पूर्व यूगोस्लाविया के लिए इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रायब्यूनल संयुक्त राष्ट्र की संस्था थी. 1993 से 2017 तक चली इस संस्था का गठन यूगोस्लाव युद्ध के दोषियों को सज़ा देने के लिए हुई थी.

इसने बोस्नियाई सर्ब के पूर्व नेता रादोवन कराडज़िक को 2016 में युद्ध अपराधों, नरसंहार, संघर्ष और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों में भूमिका के लिए दोषी क़रार दिया गया था. बोस्नियाई सर्ब बलों के सैन्य कमांडर रात्को मलाडिक को भी 2017 में इन्हीं अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.

अन्य एडहॉक अदालतों ने भी रवांडा और कंबोडिया में नरसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुक़दमा चलाया है.

इंटरनेशनल ट्रायब्यूनल फॉर रवांडा नरसंहार के साधन के रूप में बलात्कार के इस्तेमाल की पहचान करने वाला पहला संस्थान था.

रूस पर क्या आरोप हैं?
पिछले कुछ दिनों में कीएव, ख़ारकीएव, खेरसोन पर काफ़ी हमले हुए हैं.

रूस के ख़ारकीएव पर हवाई हमले के बाद आम लोगों को निशाना बनाए जाने को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया है.

रूस पर ख़ारकीएव के अंदर क्लस्टर बम के इस्तेमाल करने का आरोप भी है. क्लस्टर बम ऐसे हथियार हैं जिसके इस्तेमाल से छोटे छोटे हथियारों के इस्तेमाल से हमला किया जाता है.

2008 में कलस्टर युद्ध सामग्रियों के इस्तेमाल पर हुई कन्वेंशन के बाद कई देशों में इस बम के इस्तेमाल पर पाबंदी है. लेकिन समझौते में शामिल नहीं होने के चलते ना तो रूस और ना ही यूक्रेन में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है.

मानवाधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत ने भी यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी शहर ओख़्तरका पर हमले में वैक्यूम बम का इस्तेमाल करने का आरोप रूस पर लगाया है.

वैक्यूम बम एक थर्मोबेरिक हथियार है जो वाष्पीकृत ईंधन के बादल को प्रज्वलित करके भारी विनाश का कारण बन सकता है.

उनके उपयोग पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाने वाला कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है, लेकिन यदि कोई देश उनका उपयोग निर्माणाधीन क्षेत्रों, स्कूलों या अस्पतालों में नागरिक आबादी को लक्षित करने के लिए करता है, तो उसे 1899 और 1907 के हेग सम्मेलनों के तहत युद्ध अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है.

हालांकि पुतिन प्रशासन ने युद्ध अपराध करने या क्लस्टर और वैक्यूम बम का उपयोग करने से इनकार किया है और इन आरोपों को फ़ेक न्यूज़ कहा है.

देश के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा, 'हमले केवल सैन्य ठिकानों पर और विशेष रूप से उच्च-सटीकता वाले हथियारों से किए गए हैं.' (bbc.com)

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