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ब्रिटेन ने चुकाया ईरान का कर्ज, बरसों बाद जेल से रिहा हुए ब्रिटिश नागरिक
17-Mar-2022 1:55 PM
 ब्रिटेन ने चुकाया ईरान का कर्ज, बरसों बाद जेल से रिहा हुए ब्रिटिश नागरिक

बरसों तक ईरान की जेल में बंद रहने के बाद ब्रिटेन के दो नागरिक स्वदेश लौट आए हैं। ईरानी परमाणु संधि के दौरान कैदियों की आपसी रिहाई के चलते इन लोगों को आजादी मिल पाई।

      (dw.com)


ईरानी मूल की ब्रिटिश नागरिक नाजनीन जगारी-रैटक्लिफ और अनुशेह अशूरी सालों तक ईरानी जेल में रहने के बाद आखिरकार रिहा होकर ब्रिटेन लौट आए हैं। गुरुवार को दोनों ब्रिटेन के ऑक्सफर्डशर स्थित सैन्य हवाई अड्डे ब्राइज नॉर्टन पर पहुंचे। साथ ही, ब्रिटेन ने बताया है कि ईरानी मूल के अमेरिकी पर्यावरणविद मुराद ताबाज को बुधवार को फरलो पर रिहा किया गया है। ताबाज भी ब्रिटिश नागरिक हैं।


इससे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्विटर पर लिखा, इस बात की पुष्टि करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि नाजनीन जगारी-रैटक्लिफ और अनुशेह अशूरी की ईरान में अन्यायपूर्ण हिरासत खत्म हो गई है और वे यूके लौट रहे हैं।


जगारी-रैटक्लिफ के पति रिचर्ड ने कहा कि लगता है एक अरसे से जारी यह कठिन परीक्षा खत्म हुई। लंदन स्थित अपने घर से पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, यह ख्याल कि हम एक आम जिंदगी जी पाएंगे, कि हमें लड़ते नहीं रहना होगा, कि यह लंबी यात्रा लगभग खत्म हो गई है, बहुत राहत की बात है।


अशूरी के परिवार की ओर से जारी एक बयान में उनकी रिहाई की कोशिशें करने वालों को शुक्रिया कहा गया। परिवार ने कहा, 1672 दिन पहले हमारे परिवार की नींव हिल गई थी जब हमारे पिता और पति को अन्यायपूर्ण रूप से हिरासत में लेकर हमसे दूर कर दिया गया था। अब हम उस नींव के फिर से निर्माण के बारे में सोच सकते हैं क्योंकि हमारा मील का पत्थर लौट आया है। अशूरी को 2019 में इस्राएल की जासूसी एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने के आरोप में दस साल की कैद सुनाई गई थी।

जासूसी के आरोप
जगारी-रैटक्लिफ को ईरानी सेना ने 3 अप्रैल 2016 को तेहरान में गिरफ्तार किया था। तब वह अपनी 22 महीने की बेटी गैब्रिएला के साथ अपने माता-पिता के पास ईरानी नव वर्ष मनाने के बाद ब्रिटेन लौटने की कोशिश कर रही थीं। ईरानी अदालत में उन पर ईरानी सरकार का तख्तापलट करने की साजिश का दोष सिद्ध हुआ। उनकी संस्था और परिवार इस आरोप का खंडन करते रहे हैं। संस्था ने कहा था कि वह निजी यात्रा पर ईरान गई थीं और वहां कोई काम नहीं कर रही थीं।

जगारी-रैटक्लिफे के नियोक्ता एंटोनियो जापुला ने कहा कि जब दुनिया उथल-पुथल से गुजर रही है तब उनकी रिहाई उम्मीद की नई रोशनी है। जापुला की कंपनी एक समाजसेवी संस्था है जो थॉमसन-रॉयटर्स से संबंद्ध है लेकिन स्वतंत्र रूप से काम करती है।

फरवरी में ईरान ने इन दोनों की रिहाई का ऐलान तब किया था जबकि 2015 की परमाणु संधि को फिर से जिंदा करने के लिए बातचीत चल रही थी। तब ईरान ने कहा कि वह ईरान की जब्त संपत्तियों की मुक्ति और पश्चिमी जेलों में बंद उसके नागरिकों के बदले इन दोनों को रिहा करने को तैयार है।

करीब दो हफ्ते पहले ईरानी परमाणु समझौता समाप्ति की ओर पहुंच रहा था जब रूस ने यूक्रेन पर हमले के बाद कुछ नई शर्तें जोड़ दीं। ऐसा प्रतीत होता है कि अब रूस ने अपनी मांगें कम कर दी हैं जो परमाणु संधि से ही जुड़ी हैं।

ब्रिटेन ने चुकाया कर्ज
ईरान की अर्धसरकारी समाचार एजेंसी फार्स ने कहा है कि जगारी-रैटक्लिफ और अशूरी को तब रिहा किया गया जब ब्रिटेन ने अपना पुराना कर्ज चुका दिया। ईरानी शासकों का कहना है कि ब्रिटेन पर देश के पूर्व सम्राट यानी शाह का 40 करोड़ पाउंड यानी लगभग 40 अरब रुपये का कर्ज बकाया था। यह धन ब्रिटेन ने 1,750 टैंकों और अन्य वाहनों के लिए लिया था लेकिन 1979 की क्रांति के बाद इन वाहनों की डिलीवरी नहीं की गई।

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ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस ने कहा कि ब्रिटेन इस कर्ज को चुकाने के रास्ते खोज रहा था। एक बयान में उन्होंने कहा, हमें नाजनीन, अनुशेह और मुराद और उनके परिजनों के हौसले पर फख्र है। उन्होंने वो झेला है जो किसी परिवार को कभी ना झेलना पड़े। और यह लम्हा बहुत बड़ी राहत लेकर आया है।

साथ ही, ट्रस ने कहा कि ब्रिटेन ने अपना कर्ज भी चुका दिया है। उन्होंने कहा, जैसा कि हमने कहा था, हमने कर्ज चुका दिया है। उन्होंने कहा कि ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अनुसार ही कर्ज चुकाया गया है और इस धन का इस्तेमाल मानवीय जरूरतों का सामान खरीदने में ही किया जाएगा।
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

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