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लंदन कैसे बना रूसी अरबपतियों का अड्डा
22-Mar-2022 9:43 AM
लंदन कैसे बना रूसी अरबपतियों का अड्डा

-नोरबर्टो पैरेडेस

सेंट्रल लंदन के बेलग्रेविया इलाके के केंद्र में एक जगह है जिसे कुछ लोग "रेड स्क्वायर" के नाम से जानते हैं.

ईटन स्क्वायर में पांच मंजिला मेंशन है, जिसमें टेनिस कोर्ट के साथ निजी बगीचे हैं लेकिन ये मॉस्को के प्रसिद्ध के रेड स्क्वायर के सामने कुछ भी नहीं है.

हालांकि इन दोनों जगहों में एक खास बात है कि यहां बड़ी संख्या में रूसी लोग रहते हैं.

बीते एक दशक से अधिक समय से रूसी लोगों ने ईटन स्क्वायर सहित कई पॉश इलाके में कई लाख डॉलरों की संपत्ति खरीदी है.

दुनिया के सबसे पॉश इलाकों में से एक बेलग्राविया मार्च के मध्य में ब्रिटेन में रूसी पैसों के खिलाफ लंदन में हो रहे विरोध का केंद्र बन गया. प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने बेलग्रेव स्क्वायर के नंबर 5 मेंशन पर कब्जा कर लिया.

ये दसियों मिलियन डॉलर की संपत्ति, ओलेग देरिपस्का से जुड़ी हुई है, जो व्लादिमीर पुतिन के साथ जुड़े हुए हैं और ओलिगार्क है. इस संपत्ति को ब्रिटिश सरकार की ओर से मंजूरी हासिल है.

इस आलीशान बंगले की खिड़की से एक प्रदर्शनकारी ने रिपोर्टरों को बताया कि उन्होंने इस मेंशन पर कब्ज़ा इसलिए किया क्योंकि वो चाहते हैं कि यहां यूक्रेन से आए शरणार्थियों को शरण दी जाए जो रूस के युद्ध के कारण अपना देश छोड़ने पर मजबूर हैं.

एक नौजवान ने कहा, ''हम मांग करते हैं कि यह संपत्ति यूक्रेनी शरणार्थियों को दी जानी चाहिए. उनके घर नष्ट कर दिए गए हैं और इस आदमी (देरिपस्का) ने युद्ध का समर्थन किया है."

इस समूह ने बताया कि ये मेंशन बेहद ज़्यादा आलीशान हैं, इसमें 200 कमरे हैं, सिनेमा हॉल से लेकर कई आर्ट पीस हैं. यहां इतना कुछ है कि "इतनी सारी चीजों की किसी सामान्य इंसान को कभी ज़रूरत भी नहीं होगी.''

'ब्रिटेन की कानूनी प्रणाली थी असली वजह'
भ्रष्टाचार विरोधी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने ब्रिटेन की संपत्ति में कम से कम 1.5 बिलियन पाउंड (2 बिलियन डॉलर) की संपत्ति की पहचान की है, जो रूसियों से संबंधित है, जिनके पास संपत्ति का ज़रिया क्या है इसे लेकर कोई वजह स्पष्ट नहीं की गई है. साथ ही इस संपत्ति का रूस से संबंध ज़ाहिर किया गया है.

लेकिन रूसी अरबपतियों ने न केवल पूरे लंदन में मकान खरीदे हैं, बल्कि प्रीमियर लीग फुटबॉल क्लब जैसे चेल्सी एफसी, स्कॉटलैंड में बड़े एस्टेट और यहां तक कि लंदन इवनिंग स्टैंडर्ड जैसे मीडिया आउटलेट भी खरीदे हैं.

"लंडनग्रैड: फ्रॉम रशिया विद कैश; द इनसाइड स्टोरी ऑफ द ओलिगार्क्स" के लेखक मार्क हॉलिंग्सवर्थ का कहना है कि इन सब की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में हुई थी.

हॉलिंग्सवर्थ ने बीबीसी मुंडो से कहा, ''निजीकरण के साथ बहुत पैसा कमाने के बाद कुछ ओलिगार्क जैसे मिखाइल खोदोरकोव्स्की अपना पैसा रूस से बाहर निकालना चाहते थे क्योंकि उन्होंने सताए जाने का डर था."

"इसलिए उन्होंने इसे विदेशी कंपनियों, विदेशी ट्रस्टों में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया. और इस तरह ये लंदन में जा पहुंचा. उन्होंने यहां संपत्ति खरीदी, निवेश किया और बैंक खातों से पैसे बनाए."

जानकारों के मुताबिक़, रूसी ओलिगार्क की आमद दो बार बड़ी संख्या में हुई.

पहली बार 1990 में , जब बोरिस येल्तसिन की सरकार के दौरान बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को मुनाफे के बदले में कुछ चुनिंदा टाइकूनों को कम कीमत पर बेचा गया था, जबकि दूसरी बार व्लादिमीर पुतिन ने कांट्रैक्ट के जरिये इनके निवेश को बढ़ावा दिया था.

2000 के दशक की शुरुआत में कई ओलिगार्क को पुतिन सरकार से सताए जाने का डर था. इनें खोदोरकोव्स्की जैसे लोग थे. वो रूस के सबसे अमीर आदमी थे और फोर्ब्स के मुताबिक़ दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार थे.

लेकिन 1990 के दशक के एक टैक्स से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में उनका नाम सामने आया और उस वक़्त उनकी सारी ताकत हवा हो गईं.

लगभग एक दशक जेल में बिताने के बाद अब खोदोरकोव्स्की निर्वासन में हैं. उनका कहना है कि वह पुतिन के नेतृत्व में काम करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के शिकार हुए, जो उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से डरते थे और उनके व्यापारिक साम्राज्य को सीमित करना चाहते थे.

मार्क हॉलिंग्सवर्थ बताते हैं कि, राजनीतिक उत्पीड़न से बचने के लिए, ओलिगार्क ने लंदन को अपना नया ठिकाना बनाया और इसे पैसे रखने की सबसे सुरक्षित जगह के रूप में देखने लगे. यदि रूसी अधिकारियों ने उनमें से किसी के प्रत्यर्पण का अनुरोध भी किया, तो उनके वकील जानते थे कि ब्रिटेन उन्हें वापस नहीं भेजेगा.

एक खोजी पत्रकार ने कहा, '' मुझे लगता है कि इस देश में अपना पैसा लगाने के लिए कई लोगों के लिए ब्रिटिश कानूनी व्यवस्था मुख्य प्रेरणा रही. ''

उन दिनों, लंदन में पहले से ही कई वकील, रियल एस्टेट एजेंट, बैंकर, सलाहकार और अकाउंटेंट थे जिन्होंने लंदन में अपने पैसे स्थानांतरित करने और छिपाने के लिए ओलिगार्क को मदद की पेशकश की.

2003 में रोमन अब्रामोविच ने चेल्सी एफसी फ़ुटबॉल टीम खरीदी, जिसने ब्रिटेन में कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया. लोग आश्चर्य करने लगे कि ओलिगार्क कौन हैं और उनका पैसा कहाँ से आया है?

निवेश की पुरानी विरासत
लंदन विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर कोजो कोरम का तर्क है लंदन में विदेशी "डर्टी मनी" आने का सिलसिला पुराना है.

इस साल जनवरी में, कोरम ने अपनी किताब "अनकॉमन वेल्थ: ब्रिटेन एंड द आफ्टरमैथ ऑफ एम्पायर" प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिटेन की शाही विरासत ने उसकी कानूनी और वित्तीय प्रणालियों को प्रभावित किया है.

उन्होंने बीबीसी मुंडो को बताया, "लंदन ने न केवल रूसी बल्कि सऊदी अरब ,नाइजीरिया ओलिगार्क और चीनी अरबपतियों के लिए भी दरवाजे खोले हैं. ये सभी लंदन को निवेश के लिए विदेशी ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं. ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद इस शहर को जिस तरह दोबारा स्थापित किया गया, उसने इसमें अहम भूमिका निभाई"

''ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज़, केमैन आइलैंड्स, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और बरमूडा ऐसे निवेशों की बड़ी वजह हैं जो वर्तमान में दुनिया के तीन सबसे बड़े टैक्स हैवन हैं."

'गोल्ड वीज़ा' वाली विवादित स्कीम
कई ओलीगार्क हाल ही में ब्रिटेन आए. "गोल्डन वीजा" प्रणाली के उनके लिए ऐसा करना आसान बना दिया. इस सिस्टम को ब्रिटिश सरकार ने इस साल फरवरी बंद करना पड़ा क्योंकि ब्रिटेन की सरकार पर इसे लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा था.

साल 2008 में ब्रिटिश सरकार टियर 1 वीजा योजना बनाकर लाई और इसके ज़रिये दुनिया भर के हजारों अरबपतियों के लिए आधिकारिक तौर पर देश के दरवाजे खोले. ये वीज़ा उन उद्यमियों को दिया गया, जिन्होंने दस लाख पाउंड का निवेश किया था. 2014 में इस रकम को बढ़ाकर 20 लाख पाउंड कर दिया गया.

इस कार्यक्रम ने इन वीजा धारकों को ब्रिटेन में अपने परिवारों के साथ स्थायी निवास के लिए आवेदन करने की अनुमति दी. जितना पैसा निवेश करेंगे उस हिसाब से वीजा मिलेगा.

अन्य यूरोपीय देश जैसे स्पेन, पुर्तगाल और ग्रीस भी कम निवेश के साथ इसी तरह की योजनाओं की पेशकश करते हैं.

लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर, स्पेन, पुर्तगाल और ग्रीस दोनों ने रूसियों को गोल्डन वीजा जारी करना बंद कर दिया है.

यूके होम ऑफिस के आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम शुरू होने के बाद से 2,581 रूसी नागरिकों को निवेशक वीजा जारी किए गए हैं.

देश में रूसी हस्तक्षेप की दो साल तक जांच के बाद ब्रिटिश संसद की खुफिया कमेटी ने 2020 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें इस बात की पुष्टि की गई कि ब्रिटेन में रूस का असर अब 'न्यू नॉर्मल' हो गया है.

रिपोर्ट में कहा गया, '' ब्रिटेन में एक के बाद एक आई सरकारों ने रूसी ओलिगार्क और उनके पैसे का खुली बांहों से स्वागत किया. पुतिन के करीबी रहे कई ऐसे रूसी हैं, जो यहां खास कर 'लंदनग्राद' में कारोबार, राजनीति और सामाजिक जीवन में अच्छी तरह जुड़ गए हैं. ''

ब्रिटिश संसद की विदेशी मामलों की कमेटी की ओर से दो साल पहले प्रकाशित एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक रूस के जरिये आने वाले पैसे की यहां मनी लॉड्रिंग होती रही है. लेकिन ब्रिटिश सरकार इस ओर से आंखें मूंदे रही.

हॉलिंग्सवर्थ मानते हैं कि ब्रिटिश सरकार इस समस्या को नजरअंदाज करती रही औैर आखिर इसने इसे सिस्टम में मिलने दिया.

लंदन यूनिवर्सिटी के कोरम का मानना है कि सरकार इसे लंबे वक्त तक नजरअंदाज किए रही क्योंकि इससे ब्रिटेन को लंबे समय तक वित्तीय फायदा देते हुए देखा गया.

वह कहते हैं, '' ब्रिटेन विशाल फाइनेंशियल और लीगल सेंटर है. इसलिए यहां से काफी पैसा पूरे देश और इसके ओवरसीज टेरिटरीज में भी पहुंच जाता है. ''

'' लेकिन आम ब्रिटिश नागरिक के मामले में ऐसा नहीं है. ब्रिटेन की ओर से खुद को इस तरह के ऑफशोर हब के तौर पर पेश करने का नतीजा यह हुआ कि देश में खास कर लंदन में घरों के दाम में काफी बढ़ गए. ''

क्या 'लंदनग्राद' का खात्मा होगा ?

ब्रिटेन की ओर से एक हजार रूसियों, कंपनियों और दूसरे कारोबारी संगठन पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. इनमें 50 से अधिक ओलिगार्क और उनके परिवार शामिल हैं. इनकी कुल संपत्ति 100 अरब पाउंड होगी. इसके बाद लोगों को लगने लगा है कि लंदनग्राद का खात्मा हो सकता है.

जिन लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं उनमें चेलेसा एफबी के मालिक रोमन अब्रामोविच, ओलिगार्क ओलेग देरिपास्का और रूसी बैंक वीटीबी के प्रेसिडेंट आंद्रे कोस्तिन शामिल हैं. ब्रिटेन में उनकी परिसंपत्तियां फ्रीज कर दी गई हैं.

ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि इन लोगों के कारोबारी साम्राज्य, संपत्ति और संपर्क रूस से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं. हालांकि अब्रामोविच ने इससे इनकार किया है.

हॉलिंग्सवर्थ कहते हैं, ''ज्यादातर ओलिगार्क लंदन में कभी नहीं रहे लेकिन उनकी संपत्तियां और पैसे यहां हैं. उन्होंने यहां समय बिताया है. अपने बच्चों को पढ़ाया है. लेकिन अब लगे प्रतिबंध लंदनग्राद के खात्मे की निशानी हैं. ''

'' ओलिगार्क और पुतिन का समर्थन कर रहे कर रूसी कारोबारियों का विरोध बढ़ता जा रहा है. अब उन्हें लग रहा है कि अब यहां से निकला जाए और अपना पैसा कहीं और छिपाया जाए. ''

कोजो कोरम का मानना है सरकार को रूसी ओलिगार्क पर नकेल कसने के लिए और आगे बढ़ कर काम करना होगा.

वह कहते हैं, '' बदलाव वास्तविक होना चाहिए. सिर्फ कानूनी बदलाव से बात नहीं बनेगी. उस राजनैतिक नजरिये में भी बदलाव लाना होगा जो विदेशी पैसे को न्योता देता है. इसके साथ ही ब्रिटेन को ओवरसीज टेरेटरीज के बारे में अपने नजरिये को भी बदलना होगा. ''

ऐसा हो सकता है लेकिन फिलहाल लंदन में दुनिया में हर जगह से संदिग्ध पैसा आ रहा है.

बहरहाल, मेफेयर में सबसे आलीशान रेस्तराओं में आनेवाले और बेलग्रेविया के प्राइवेट बागों में सैर करने वाले रूसी ओलिगार्क के सामने दिक्कतें पैदा हो गई हैं. इस वक्त लंदनग्रादो और मास्को ऑन टेम्स का 'ब्रिटिश ड्रीम' खत्म होने के कगार पर दिख रहा है. कथित 'पुतिन वॉर' की वजह से इसे करारा झटका लगा है. (bbc.com)

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