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श्रीलंका में फौज के पहरे में बंट रहा है तेल, आख़िर ये नौबत क्यों आई
23-Mar-2022 8:23 AM
श्रीलंका में फौज के पहरे में बंट रहा है तेल, आख़िर ये नौबत क्यों आई

श्रीलंका में मंगलवार को सरकारी पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात कर दी गई. देश में पेट्रोल-डीजल की भारी किल्लत की वजह से पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं.

भीड़ में कोई हंगामा ना हो और लोग हिंसक ना हो उठें इसलिए सेना के जवानों को यहां तैनात किया गया है. श्रीलंका इस वक्त भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार काफी घट गया है. इस वजह से पेट्रोल-डीजल का आयात मुश्किल हो रहा है. महंगाई भी चरम पर है.

देश में अनाज, चीनी, सब्जियों से लेकर दवाओं की कमी हो रही है. महंगाई की वजह से लोगों का खर्चा चार गुना तक बढ़ गया है.

विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से श्रीलंका पड़ोसी देशों से इन चीजों को खरीद भी नहीं पा रहा है. हालात इतने ख़राब हैं कि देश में स्कूली छात्रों की परीक्षा के पेपर छापने के लिए कागज और स्याही तक के पैसे नहीं है. इस वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी है.
श्रीलंका को इस वक्त अनाज, तेल और दवाओं की खरीद के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. हाल में भारत ने इसे एक अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है. चीन भी इसे ढाई अरब डॉलर का कर्ज दे सकता है. श्रीलंका पर चीन का पहले से ही काफी कर्ज है. 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका का ये सबसे भयावह आर्थिक संकट है.

श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल के लिए लंबी लाइनों को देखते हुए मंगलवार को सरकारी तेल कंपनी सिलोन पेट्रोलियम कॉरपोरशन ने अपने पंपों पर सैनिकों को तैनात कर दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ऊर्जा मंत्री गामिनी लुकोगे ने कहा,'' पेट्रोल पंपों पर कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो इसलिए हमने सेना के लोगों को यहां तैनात करने का फैसला किया है. लोग बड़े कैन में पेट्रोल ले जाकर बिजनेस कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि पेट्रोल सबको मिले. ''

रसोई गैस के लिए भी लोग खाली सिलेंडर लिए घंटों लाइन में खड़े दिख रहे हैं. पेट्रोल और केरोसिन के लिए लाइनों में खड़े चार लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से तीन बुजुर्ग थे. एक शख्स की मौत लाइन में लगे लोगों के बीच झगड़े के दौरान चाकूबाजी की वजह से हुई.

खस्ताहाल विदेशी मुद्रा भंडार की मार

श्रीलंका को भारी बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. मार्च की शुरुआत में श्रीलंका ने देश में अधिकतम साढ़े सात घंटे तक की बिजली कटौती का एलान किया. किया था.

श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार की हालत खस्ता है.

यहां के केंद्रीय बैंक की ओर से फरवरी में जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2022 में 24.8 फीसदी घट कर 2.36 अरब डॉलर रह गया था.

रूस-यूक्रेन में छिड़ी जंग से श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है.रूस श्रीलंका की चाय का सबसे बड़ा आयातक है.

रूस और यूक्रेन से बड़ी तादाद में श्रीलंकाई पर्यटक भी आते हैं. रूबल की गिरती कीमत, जंग और रूस यूक्रेन की ओर से चाय की घटती खरीद की वजह से भी इसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. भारत, चीन और रूस के सबसे ज्यादा पर्यटक श्रीलंका पहुंचते हैं.

श्रीलंका में आर्थिक हालात इतने खराब क्यों ?

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का काफी बड़ा दारोमदार इसके पर्यटन उद्योग पर है. देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी है दस फीसदी के करीब है.

लेकिन कोविड की वजह से श्रीलंका में पर्यटकों का आना बिल्कुल थम गया. इसने इसके पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी. विदेशी मुद्रा की कमी से कनाडा जैसे कई देशों ने फिलहाल श्रीलंका में निवेश बंद कर दिया है.

कोविड से पर्यटन को लगे झटके का नुकसान उठाने के साथ ही श्रीलंका की सरकार ने कुछ ऐसी गलतियां की, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई. 2019 में नवनिर्वाचित राजपक्षे सरकार ने लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने के लिए टैक्स कम कर दिया. इससे सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ.

देश में केमिकल फर्टिलाइजर से खेती बंद करने के आदेश का भी काफी घातक असर हुआ. विशेषज्ञों के मुताबिक इससे फसल उत्पादन में खासी गिरावट आई.

श्रीलंका की खराब आर्थिक स्थिति की वजह इस पर बढ़ता कर्ज भी है. अकेले चीन का ही इस पर 5 अरब डॉलर का कर्ज है. भारत और जापान का भी इस पर काफी कर्ज है. श्रीलंका को आयात के लिए महंगा डॉलर खरीदना पड़ रहा है. इससे वो और अधिक कर्ज में डूबता जा रहा है. इसने श्रीलंकाई मुद्रा की कीमत भी घटा दी है.

पिछले महीने बैंक ऑफ सिलोन ने 40 हजार टन पेट्रोल मंगाने के लिए 35.5 अरब डॉलर जारी किए. दरअसल पेट्रोल की शिपमेंट चार दिनों तक कोलंबो बंदरगाह पर इंतजार कर रही थी. सरकार के पास इसके भुगतान के लिए पैसा नहीं था. आखिरकार बैंक ऑफ सिलोन को पैसा देना पड़ा.

श्रीलंका के केंद्रीय बैंक की ओर से फरवरी में जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी 2022 में 24.8 फीसदी घट कर 2.36 अरब डॉलर रह गया था. 2022 में श्रीलंका को सात अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है. मौजूदा हालात को देखते हुए श्रीलंका के डिफॉल्ट होने का खतरा पैदा हो गया है. हालात नहीं सुधरे तो इसे कर्ज के लिए आईएमएफ के पास भी जाना पड़ सकता है

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी में एशियाई देशों में सबसे ज्यादा महंगाई श्रीलंका में बढ़ी. फरवरी 2021 की तुलना में फरवरी 2022 में खुदरा महंगाई 15.1 फीसदी बढ़ गई.

श्रीलंका
श्रीलंका ने अपने देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए चीन से काफी कर्ज लिया है. अप्रैल 2021 तक श्रीलंका पर 35 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था. इसमें दस फीसदी हिस्सेदारी चीन की थी. अगर श्रीलंका की कंपनियों और उसके केंद्रीय बैंक को दिया गया चीनी कर्ज भी मिला दिया जाए तो यह और ज्यादा हो सकता है.

श्रीलंका ने जिन इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया था, उनमें से कुछ फंस गए. दक्षिणी श्रीलंका के हम्बनटोटा में बंदरगाह बनाने के लिए श्रीलंका ने चीन से 1.4 अरब डॉलर का कर्ज लिया था. लेकिन वह कर्ज चुका नहीं पाया. आखिरकार 2017 में एक चीनी कंपनी को इसे 99 साल की लीज पर सौंप दिया गया. चीन से आसान कर्ज भी इसके लिए मुसीबत बन गया है. श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं हो पा रही है कि वह चीन का कर्ज चुका सके. चीन से अब वह फिर 2.5 अरब डॉलर का कर्ज लेने की तैयारी कर रहा है.

श्रीलंका इस वक्त सबसे ज्यादा भारत, चीन और बांग्लादेश पर निर्भर है. खाने-पीने की चीजों के से लेकर विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए भी उसे इन तीनों ओर से बड़ी मदद की जरूरत है.

पिचले कुछ साल से श्रीलंका में बढ़ रही चीनी गतिविधियों की वजह से भारत के सथ इसके रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. लेकिन चीनी कर्ज के दम पर शुरू की गई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के फंस जाने के बाद इसने भारत के साथ रिश्तों में संतुलन लाने की कोशिश की है. (bbc.com)

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