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पाकिस्तान, क़तर के बाद चीन और रूस के नेताओं का काबुल दौरा, अफ़ग़ानिस्तान में आख़िर हो क्या रहा है?
27-Mar-2022 9:39 AM
पाकिस्तान, क़तर के बाद चीन और रूस के नेताओं का काबुल दौरा, अफ़ग़ानिस्तान में आख़िर हो क्या रहा है?

चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार की सुबह अपनी विदेश यात्रा पर काबुल पहुंचे. यहां उन्होंने तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की.

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता अपने हाथों में लेने के बाद वांग यी पहली बार वहां का दौरा कर रहे थे.

तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अब तक, चीन की ओर से काबुल पहुंचने वाले वे चीन सरकार के सर्वोच्च अधिकारी हैं.

तालिबान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकी ने काबुल एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. विदेश मंत्रालय में बैठक के बाद, वांग यी ने तालिबान के पहले उप प्रधानमंत्री अब्दुल ग़नी बरादर और तालिबान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से भी मुलाक़ात की.

गुरुवार की शाम को ही, रूसी राष्ट्रपति के विशेष दूत ज़मीर काबुलोव भी काबुल पहुंचे. उन्होंने तालिबान के पहले उप प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्री सहित तालिबान नेतृत्व के अधिकारियों के साथ बात की.

किन मुद्दों पर हुई बातचीत?
रूसी प्रतिनिधिमंडल में रक्षा, गृह, अर्थव्यवस्था, उद्योग और ऊर्जा मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी शामिल थे और कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, एक दूसरे के यहां आने जाने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के मुद्दों पर चर्चा हुई.

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के शुरुआती दिनों में, तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उनकी विदेश नीति "तटस्थ" है और उन्होंने इस मामले के हल के लिए दोनों पक्षों से बातचीत का आह्वान किया था.

तालिबान के विदेश मंत्री के रूस स्थित दूत ने इस दौरान मध्य पूर्व और दुनिया में संतुलित नीति अपनाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की प्रशंसा की थी.

तालिबान प्रशासन के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने रूसी दूत से कहा कि तालिबान अपनी सभी प्रतिबद्धताओं पर कायम है और अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी देश पर हमले के लिए नहीं किया जाएगा. उन्होंने रूसी प्रतिनिधिमंडल से तालिबान सरकार को मान्यता देने का आह्वान किया.

वैसे सरकार में आने से पहले सिराजुद्दीन हक्कानी खुद अमेरिकी फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन यानी एफ़बीआई के वांछितों में शामिल थे. रूसी प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के विदेश मंत्री और प्रथम उप प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्रालय में अलग-अलग बैठकें की हैं. यह दल पूर्व अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करजई से उनके आवास पर भी जाकर मिला.

चीन किस बात से चिंतित है?
वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग यी तालिबान नेतृत्व से मुलाकात के काबुल पहुंचने वाले तीसरे विदेश मंत्री हैं. उनसे पहले पाकिस्तान और क़तर के विदेश मंत्री काबुल का दौरा कर चुके हैं.

चीन के विदेश मंत्री इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन की उद्घाटन बैठक में भाग लेने और प्रधान मंत्री इमरान ख़ान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा के साथ बातचीत करने के बाद काबुल पहुंचे थे.

उनकी इस यात्रा के दौरान अफ़ग़ानिस्तान सबसे अहम मुद्दा रहा. काबुल के बाद वांग यी गुरुवार की शाम काबुल से दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

चीन और तालिबान के विदेश मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और एक दूसरे के साथ आवागमन के मुद्दों, हवाई कॉरिडोर, चीन को सूखे फल निर्यात, छात्रवृत्ति और चीनी निवेशकों के लिए वीजा जैसे मुद्दों पर चर्चा की.

यह यात्रा चीन में एक सप्ताह बाद चीन में प्रस्तावित बैठक से ठीक पहले हुई है. चीन की मेजबानी वाली बैठक में तालिबान के विदेश मंत्री भी शामिल होंगे.

दरअसल, इन दिनों चीन, तालिबान के नियंत्रण वाले अफ़ग़ानिस्तान में वीगर मुस्लिम ईस्ट तुर्किस्तान मूवमेंट के सदस्यों की गतिविधियों को लेकर चिंतित है. हालांकि चीन ने इस दौरान तालिबान के साथ संबंधों को कायम रखा है. उल्लेखनीय है कि तालिबान के उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण से पहले बीजिंग का दौरा किया था.

हाल के महीनों में, तालिबान ने चीनी निवेश का स्वागत किया है, हालांकि अफ़ग़ानिस्तान के अभूतपूर्व आर्थिक और मानवीय संकट के दौर में भी बीजिंग ने अब तक केवल सीमित वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान की है.

वांग ने अपनी इस यात्रा के दौरान तालिबान के पहले उप प्रधान मंत्री अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की, जो आर्थिक मामलों के प्रभारी भी हैं.

बताया जा रहा कि इस बैठक में अयनाक तांबा खनन परियोजना को फिर से शुरू करने और अन्य खानों में खनन करने और इसके लिए अफ़ग़ान कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद पर बातचीत हुई है.

इससे पहले, तालिबान के खनन और पेट्रोलियम मंत्रालय ने लोगार स्थित विशाल अयनाक तांबे की खदान पर काम शुरू करने के लिए चीन की कंपनी के साथ बातचीत की घोषणा की थी.

पाकिस्तान के साथ तोरखम सीमा पार से देश के उत्तर में स्थित हेराटन के बंदरगाह तक एक रेलवे ट्रैक का निर्माण हो रहा है. अफ़ग़ानी मंत्रालय और चीन की कंपनी के बीच 400 मेगावॉट पावर का थर्मल पावर प्लांट, देश के अंदर अयनाक कॉपर रोड का निर्माण और कॉपर प्रोसेसिंग पर भी चर्चा हुई है.

इमरान ख़ान से हुई बातचीत
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के विस्तार पर चर्चा करने के लिए इस्लामाबाद में वांग यी से मुलाकात की.

पाकिस्तान यात्रा के बाद चीनी दूतावास द्वारा जारी एक बयान में विशेष रूप से अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर कहा गया है, "इमरान ख़ान ने चीन-अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान के आपसी सहयोग की अफ़ग़ानिस्तान की स्थिरता और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने में भूमिका की प्रशंसा की है."

साथ ही पाकिस्तान चीन के साथ रोड बेल्ट सहयोग को आगे बढ़ाने और अफ़ग़ानिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विस्तार में सहयोग देने के लिए तैयार है.

इमरान खान तालिबान सरकार के साथ आर्थिक सहयोग के लिए चीन और रूस जैसी क्षेत्रीय शक्तियों की मदद मांग रहे हैं. वांग यी ने पाकिस्तान की सेना के प्रमुख क़मर जावेद बाजवा से भी अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर बात की.

उन्होंने इस्लामाबाद स्थित चीनी दूतावास में एक बयान में कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे को दबाव या प्रतिबंधों के जरिए नहीं सुलझाया जाना चाहिए, बल्कि संवाद और संचार को बढ़ावा देकर सुलझाया जाना चाहिए."

चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि, 'चीन और पाकिस्तान दोनों को, एक खुली और समावेशी राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण करने, उदार और विवेकपूर्ण घरेलू और विदेशी नीतियों को आगे बढ़ाने और आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के लिए अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान शासकों को प्रोत्साहित करना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आर्थिक विकास के लिए सही रास्ता खोजने, लोगों के जीवन स्तर को सुधारने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में अफ़ग़ानिस्तान की मदद करनी चाहिए.

पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन की गतिविधियों को लेकर चीन चिंतित
बीजिंग प्रशासन ने इस दौरान तालिबान से विशेष रूप से पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के साथ संबंधों से दूर होने की अपील की है. चीन शिनजियांग के पश्चिमी क्षेत्र में हमलों के लिए इसी समूह को ज़िम्मेदार ठहराता रहा है.

हाल ही में, चीनी राजदूत ने कहा कि, 'अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिक बलों की वापसी ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक शून्य पैदा कर दिया है. इस शून्य ने आतंकवादी ताक़तों को अराजकता का लाभ उठाने का अवसर दिया है."

दो महीने पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विश्लेषण की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी चीन तुर्किस्तान इस्लामिक आंदोलन के क़रीब 200 से 700 सदस्य अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे हैं.

तालिबान पर इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में बोलते हुए वांग यी ने कहा कि चीन अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी राजनीतिक व्यवस्था और उदारवादी सरकार की स्थापना और शांति और पुनर्निर्माण का नया अध्याय खोलने का समर्थन करता है.  (bbc.com)

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