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लखीमपुर हिंसा: आशीष मिश्रा की ज़मानत सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर की रद्द
18-Apr-2022 10:13 PM
लखीमपुर हिंसा: आशीष मिश्रा की ज़मानत सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर की रद्द

इमेज स्रोत,PRASHANT PANDEY/BBC, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र इस मामले के मुख्य अभियुक्त हैं

 

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली ज़मानत को रद्द कर दिया.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. इसी साल 10 फ़रवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष मिश्रा को ज़मानत दे दी थी.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह फ़ैसला सुनाया है. शीर्ष न्यायालय ने आशीष मिश्रा की ज़मानत के मामले को दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया है और ज़मानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले पर कहा है कि हाई कोर्ट ने अप्रासंगिक कारकों पर ध्यान दिया जो दिखाता है कि उन्हें ज़मानत देने में जल्दबाज़ी की गई.

लखीमपुर में हुई हिंसा में प्रभावित पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के ज़मानत देने के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

पीड़ित परिवारों ने ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत दिए जाने का विरोध नहीं किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने की याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.

पीड़ित परिवारों की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पेश हुए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आगे कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एफ़आईआर पर विचार करते समय भारी ग़लती की क्योंकि चार्जशीट फ़ाइल हो चुकी थी. उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने की जगह गोली के ज़ख़्मों और हथियारों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया.

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि अभियुक्त किसी के लिए ख़तरा नहीं हैं और पीड़ितों और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है तो इस वजह से सुबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है.

प्रदर्शनकारी किसानों पर जब चढ़ाई गई कार
बीते साल 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर खीरी ज़िले के दौरे के ख़िलाफ़ किसान प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों पर एसयूवी गाड़ी चढ़ा दी गई थी जिसमें चार किसान मारे गए थे. इसके बाद हुई हिंसा में बीजेपी के तीन कार्यकर्ता मारे गए थे. इस घटना में कुल मिलाकर आठ लोग मारे गए थे.

नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच की निगरानी करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था.

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राज्य सरकार ने गवाहों और पीड़ित परिवारों की सुरक्षा के लिए सभी तरह की कोशिशें की हैं.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एक हलफ़नामे में कहा था कि सभी गवाहों से उनकी सुरक्षा के मूल्यांकन को लेकर लगातार पुलिस उनसे संपर्क कर रही है.

मारे गए किसानों के परिवारों ने आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था और उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने अच्छे तरह से इसका विरोध नहीं किया था. इसको पूरी तरह ग़लत बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से भी कहा था कि उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आशीष मिश्रा की ज़मानत याचिका का विरोध किया था.

पीड़ित परिवारों की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले के मुख्य अभियुक्त पर कथित तौर पर 'क्रूरता' से हमला किया गया था और 'धमकी दी गई थी कि उसका ध्यान रखा जाएगा क्योंकि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में हाल ही में विधानसभा चुनाव जीता है.' (bbc.com)

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