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राकेश झुनझुनवाला: शेयर बाज़ार का 'बिग बुल' जिन्हें भारत का 'वारेन बफेट' कहा जाता था
15-Aug-2022 1:03 PM
राकेश झुनझुनवाला: शेयर बाज़ार का 'बिग बुल' जिन्हें भारत का 'वारेन बफेट' कहा जाता था

भारत के 'वारेन बफेट', 'बिग बुल' जैसे कई उपनामों के साथ अपनी पहचान बनाने वाले शेयर बाज़ार के दिग्गज़ निवेशक राकेश झुनझुनवाला की मौत ने कई लोगों को स्तब्ध कर दिया है.

राकेश झुनझुनवाला को भारत का वारेन बफ़ेट इसलिए कहा जाता था क्योंकि शेयर बाज़ार से पैसे कैसे बनाया जाए, वे इस कला में माहिर थे. राकेश झुनझुनवाला के सबसे नए निवेश की उड़ान इसी महीने शुरू हुई थी.

उन्होंने जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ विनय दुबे और इंडिगो के पूर्व प्रमुख आदित्य घोष के साथ मिलकर इसी महीने भारत के सबसे नए 'बजट एयर कैरियर' अकासा को लॉन्च किया था.

अकासा ने बीते एक हफ़्ते के दौरान मुंबई-अहमदाबाद और बेंगलुरु-कोच्चि रूट पर अपना परिचालन शुरू किया है.

पीटीआई के मुताबिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट झुनझुनवाला हंगामा मीडिया और एप्टेक के चेयरमैन भी थे. वे वायसराय होटल्स, कॉनकॉर्ड बायोटेक, प्रोवोग इंडिया और जियोजित फ़ाइनैंशियल सर्विस के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में भी शामिल थे.

फ़िल्मों के शौकीन झुनझुनवाला कई बॉलीवुड फ़िल्मों के सहनिर्माता भी रह चुके हैं. श्रीदेवी की 'इंग्लिश विंग्लिश', करीना कपूर-अर्जुन कपूर की 'की एंड का' और अमिताभ बच्चन, धनुष, अक्षरा हासन की फ़िल्म 'शमिताभ' में पैसे लगाए और इन तीनों फ़िल्मों ने भी अच्छी कमाई की.

1200 रुपये से शुरुआत, 46 हज़ार करोड़ के मालिक
राकेश झुनझुनवाला आयकर अधिकारी के बेटे थे. शुरू से ही उनका रुझान शेयर बाज़ार की तरफ़ था. राकेश झुनझुनवाला ने पहली बार शेयर बाज़ार में तब निवेश किया जब वे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे.

झुनझुनवाला ने 25 साल की उम्र में 1985 में 100 अमेरिकी डॉलर से बाज़ार में निवेश करना शुरू किया था. 1985 में प्रति डॉलर की कीमत क़रीब 12 रुपये थी. इसके लिए उन्होंने अपने एक रिश्तेदार से उधार लिया था.

जब झुनझुनवाला ने पहली बार बाज़ार में निवेश किया था. उन्होंने शेयर बाज़ार के तब के दिग्गज़ राधाकिशन दमानी का दामन थामा. तब बंबई शेयर बाज़ार का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 150 अंकों पर था.

आज की तारीख़ में सेंसेक्स 59,000 अंकों से भी ऊपर व्यापार कर रहा है. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राकेश झुनझुनवाला इस समय देश के 48वें सबसे अमीर व्यक्ति थे.

फ़ोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक इस दुनिया को अलविदा करने के समय झुनझुनवाला 5.8 बिलियन डॉलर (क़रीब 46,000 करोड़ रुपये) के मालिक थे.

1985 में जब उन्होंने शेयर बाज़ार में निवेश करना शुरू किया तो जल्द ही उन्हें ये आभास हुआ कि वो एक अच्छे निवेशक बन सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें और पैसों की ज़रूरत थी.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक उन्होंने तब अपने भाई के क्लाइंट से उधार मांगा और बदले में उन्हें बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट से अधिक मुनाफ़ा देने का वादा किया.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक शेयर बाज़ार में उनका पहला बड़ा मुनाफ़ा 1986 में हुआ जब उन्होंने इससे पांच लाख रुपये बनाए. उन्होंने टाटा टी के पांच हज़ार शेयर 43 रुपये प्रति शेयर की दर से ख़रीदे और तीन महीने के भीतर उसे 143 रुपये प्रति शेयर बेच कर तीन गुना मुनाफ़ा कमाया. अगले कुछ सालों में झुनझुनवाला को कई शेयरों से अच्छा मुनाफ़ा हुआ. 1986-89 के दौरान उन्होंने 20-25 लाख रुपये कमाए.

बाद में झुनझुनवाला ने सीसा गोवा में निवेश किया. इसके शेयर उन्होंने 28 रुपये में ख़रीदे, जो जल्द ही 35 रुपये पर पहुंच गए. कुछ दिनों में इसके शेयर में और उछाल आया और ये 65 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया.

2002-03 में उन्होंने टाइटन कंपनी का शेयर ख़रीदा. तब उसकी कीमत 3 रुपये प्रति शेयर थी. आज उनके पोर्टफ़ोलियो में सबसे अधिक शेयर इसी कंपनी के हैं.

शेयर बाज़ार के अपने लंबे करियर के दौरान राकेश झुनझुनवाला ने सफलतापूर्वक कई बड़े मल्टीबैगर स्टॉक जैसे क्रिसिल, प्राज इंडस्ट्रीज़, अरबिंदो फार्मा और एनसीसी में निवेश किया.

हालांकि राकेश झुनझुनवाला को कुछ असफलताओं का सामना भी करना पड़ा. 2008 के वैश्विक मंदी के बाद और उसके बाद के वर्षों में झुनझुनवाला के शेयरों की कीमत 30 फ़ीसद कम हो गई लेकिन 2012 के दरम्यान उन्होंने वापसी की और सभी घाटे से उबर गए.

सबसे अधिक निवेश किस शेयर में है?
झुनझुनवाला के गुरु राधाकिशन दमानी गिरते बाज़ार के नब्ज को पहचानते थे. झुनझुनवाला ने उनसे इस कला को सीखा और गिरते बाज़ार में भी उन्होंने बहुत पैसे बनाए.

फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक झुनझुनवाला हमेशा बेहतरीन रिटर्न देने वाले शेयरों को जल्दी पकड़ने के लिए जाने जाते थे. यही वजह थी कि गिरते बाज़ार में भी राकेश झुनझुनवाला पोर्टफोलियो के कुछ शेयरों ने निवेशकों को 110 फ़ीसदी से भी अधिक का रिटर्न दिया है.

शेयर बाज़ार में उनकी ऐसे निवेशक के रूप में ख़्याति थी जिन्हें जोखिम लेने में महारथ हासिल थी और उनके निवेश में से कई ने उन्हें बहुत शानदार रिटर्न दिया.

ट्रेंड लाइन के मुताबिक जून 2022 तक राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में कुल 32 शेयर थे जिनकी नेटवर्थ क़रीब 31,904.8 करोड़ रुपये थी.

उनके पोर्टफोलियो में सबसे अधिक शेयर टाइटन कंपनी के थे, जिनकी लागत तब के मुताबिक 11 हज़ार करोड़ से अधिक थी.

इसके अलावा टाटा मोटर्स, टाटा कम्यूनिकेशन, क्रिसिल, स्टार हेल्थ, फोर्टिस हेल्थकेयर, नज़ारा टेक्नोलॉजीज, फेडरल बैंक, केनरा बैंक, करूर वैश्य बैंक, एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड आदि कंपनियों के शेयर उनकी पोर्टफ़ोलियो में हैं.

राकेश झुनझुनवाला अपने पोर्टफ़ोलियो के शेयरों के डेविडेंड से भी अच्छी कमाई करते थे. ख़बरों के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में टाइटन कंपनी ने प्रति शेयर 7.5 रुपये, केनरा बैंक ने प्रति शेयर 6.50 रुपये और फेडरल बैंक ने प्रति शेयर 1.80 रुपये के डेविडेंट की घोषणा की थी.

मिडास टच
राकेश झुनझुनवाला ने रेयर इंटरप्राइजेज़ (Rare) की नींव रखी थी. इसका नाम उन्होंने अपने नाम राकेश और अपनी पत्नी के नाम रेखा के शुरुआती दो अक्षरों Ra और Re को मिलाकर रखा.

उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया था कि इसका आइडिया उनकी पत्नी रेखा का ही था.

फ़ोर्ब्स ने 2021 के राकेश झुनझुनवाला के प्रोफ़ाइल में लिखा कि उनके चुने गए स्टॉक्स की कामयाबी ने उन्हें 'मिडास टच' वाला धुरंधर बना दिया. 'मिडास टच' यानी जिस चीज़ को छुआ उसे सोने में बदल दिया.

एक दशक पहले न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में राकेश झुनझुनवाला ने कहा कि उन्हें भारत का वारेन बफेट कहा जाना पसंद नहीं है, साथ ही ये भी कहा कि बर्कशायर हैथवे के सीईओ उनसे कहीं आगे हैं.

तब उन्होंने ये कहा था कि, "मैं किसी का क्लोन नहीं हूं. मैं राकेश सिर्फ़ और सिर्फ़ राकेश झुनझुनवाला हूं."

बता दें कि वारेन बफेट को निवेश का जादूगर माना जाता है जिन्होंने लगातार निवेश के ज़रिए बड़ी संपत्ति अर्जित की.

शेयर बाज़ार को लेकर आशावादी नज़रिया
झुनझुनवाला शेयर बाज़ार को लेकर बहुत आशावादी थे. मौत से कुछ हफ़्ते पहले उन्होंने न्यूज़ चैनल सीएनबीसी-टीवी18 को बताया कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों की परवाह किए बग़ैर भारतीय शेयर बाज़ार बढ़ता रहेगा, भले ही उसकी गति धीमी क्यों न हो.

इसी साल फ़रवरी में इकोनॉमिक टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में राकेश झुनझुनवाला ने कहा था कि वो मेटल, इंफ्रास्ट्रक्चर और हास्पिटालिटी सेक्टर को लेकर बुलिश हैं.

फ़रवरी में ही रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में लगभग सभी मेटल के दामों में तेज़ी आई. तब उन्होंने कहा था कि भारत का विकास दर 10 फ़ीसदी की गति से संभव है.

शेयर बाज़ार के दिग्गज़ अजय बग्गा ने बीबीसी से कहा कि झुनझुनवाला आज के भारत की कहानी को मूर्त रूप देने वालों में से हैं.

उन्होंने कहा, "मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और बहुत कम पैसों के साथ शुरुआत करके भारत के वित्तीय बाज़ार में झुनझुनवाला ने नए प्रतिमान गढ़े."

बग्गा कहते हैं कि झुनझुनवाला भारत को लेकर बहुत आशावादी थे. उनका आशावादी होना द बिग बुल ऑफ़ दलाल स्ट्रीट (बॉम्बे शेयर बाज़ार) के उनके उपनामों में भी परिलक्षित होता है.

कुल मिलाकर, राकेश झुनझुनवाला एक स्मार्ट और समझदार निवेशक थे जिनकी शेयर बाज़ार के नब्ज पर बहुत अच्छी पकड़ थी.

आलम ये था कि शेयर बाज़ार में अगर किसी शेयर से उनका नाम जुड़ता था तो वो पूरी तरह से प्रभावित हो जाता था.

अगर झुनझुनवाला कोई स्टॉक अपने पोर्टफ़ोलियो में जोड़ते थे तो उसके शेयर तेज़ी से ऊपर चढ़ जाते थे और यदि वे बेच रहे होते थे तो शेयर के दाम उतनी ही तेज़ी से नीचे आ जाते थे.(bbc.com)

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