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इस रिपोर्ट के कुछ विवरण पाठकों को विचलित कर सकते हैं.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में एक दलित परिवार की दो सगी नाबालिग बहनों के शव पेड़ से लटके मिलने से सनसनी फैल गई. पुलिस ने इस मामले में छह अभियुक्तों को गिरफ़्तार करने का दावा किया है और कहा है कि लड़कियों को जबरन ले जाने या अपहरण के आरोप ग़लत हैं.
गुस्साए ग्रामीणों ने अभियुक्तों की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर सड़क पर कई घंटों तक जाम लगाए रखा.
इस ख़बर के सामने आने के बाद सियासी दलों ने उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठाए हैं. पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इसे सरकार की विफलता बताया है.
लखीमपुर खीरी ज़िला किसान आंदोलन के दौरान भी चर्चा रहा था, तब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे पर प्रदर्शनकारी किसानों पर जीप चढ़ा देने के आरोप लगे थे. इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई थी.
पुलिस का दावा
लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अभियुक्त दोनों सगी बहनों को जबरन नहीं ले गए. मुख्य अभियुक्त लड़का इन लड़कियों के घर के पास रहता था. लड़कियों को बरगलाकर खेत में ले जाया गया. मुख्य अभियुक्त ने ही दूसरे तीन लड़कों से ही इन दो लड़कियों की दोस्ती कराई थी. इन चार के अलावा दो अन्य को साक्ष्य मिटाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है."
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पीड़ित परिवार ने तहरीर बुधवार रात एक बजे दी है, पोस्टमार्टम कुछ देर में होगा. इसके लिए तीन डॉक्टर्स का पैनल है. इसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी.
क्या है वारदात
बुधवार की शाम को हुई यह घटना निघासन थाना क्षेत्र की है. लड़कियों की उम्र 15 साल और 17 साल बताई जा रही है. स्थानीय ग्रामीणों और मृतक लड़कियों के परिवारवालों का आरोप है कि तीन लोगों ने लड़कियों के साथ पहले बलात्कार किया और बाद में उनकी हत्या कर शव पेड़ से लटका दिए.
लखनऊ रेंज की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने संवाददाताओं को बताया, "लखीमपुर खीरी के एक गांव के बाहर खेत में दो बच्चियों के शव पेड़ से लटके मिले. शुरुआती जाँच में पाया गया कि दोनों बच्चियों से शव उनके ही दुपट्टे से लटके मिले हैं. शवों पर कोई चोट नहीं पाई गई. पोस्टमार्टम के बाद अन्य बातों का पता चलेगा, जांच जारी है."
इस घटना के बाद इलाक़े में गुस्से और तनाव का माहौल है. उत्तेजित ग्रामीणों ने गांव से कुछ दूर निघासन चौराहे पर प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शनकारी अभियुक्तों की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे थे. निघासन चौराहे पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
सोशल मीडिया पर घटना के कई वीडियो वायरल हैं जिसमें लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन समेत कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों को समझाते हुए दिख रहे हैं. पुलिस ने गुस्साये ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि इस मामले में जल्द कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस ने जबरन पोस्टमॉर्टम कराए जाने की ख़बरों से भी इनकार किया और कहा कि मृतकों के परिजनों की तहरीर के आधार पर ही अभियोग पंजीकृत किया जाएगा. मृतक लड़कियों के शव का पोस्टमॉर्टम परिजनों की सहमति और उनकी उपस्थिति में वरिष्ठ डॉक्टर्स के पैनल द्वारा किया जाएगा.
एसपी संजीव सुमन ने कहा, "पीड़ित परिवार की सभी जायज़ मांगों को माना जाएगा, लेकिन क़ानून व्यवस्था संभालना हमारी प्राथमिकता है." उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही 'सही तस्वीर सामने आ पाएगी.'
परिवार का क्या कहना है?
ग्रामीणों का कहना था कि लड़कियों की लाशें गन्ने के खेत में एक पेड़ से लटकी मिलीं. लड़की की मां ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि उन्हें शक है कि उनकी बेटियों का क़त्ल किया गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोस के गांव के तीन युवक मोटरसाइकिल पर आए थे और उन्होंने घर के पास ही चारा काट रही दोनों बहनों को जबरन उठा लिया.
बदायूँ कांड से तुलना
लखीमपुर में हुई घटना के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसकी तुलना बदायूँ रेप कांड से करने लगे. साल 2014 में बदायूँ ज़िले के एक गांव में दो दलित बहनों के शव पेड़ से लटके मिले थे. बाद में केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने लड़कियों के साथ गैंगरेप और उसके बाद हत्या की जाँच की थी.
अखिलेश, मायावती और प्रियंका ने क्या कहा
लखीमपुर खीरी की इस घटना पर सियासी दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "निघासन पुलिस थाना क्षेत्र में दो दलित बहनों को अगवा करने के बाद उनकी हत्या और उसके बाद पुलिस पर पिता का ये आरोप बेहद गंभीर है कि बिना पंचनामा और सहमति के उनका पोस्टमार्टम किया गया. लखीमपुर में किसानों के बाद अब दलितों की हत्या 'हाथरस की बेटी' हत्याकांड की जघन्य पुनरावृत्ति है."
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, "लखीमपुर खीरी में माँ के सामने दो दलित बेटियों का अपहरण व दुष्कर्म के बाद उनके शव पेड़ से लटकाने की हृदय विदारक घटना सर्वत्र चर्चाओं में है, ऐसी दुःखद व शर्मनाक घटनाओं की जितनी भी निन्दा की जाए वह कम है. यूपी में अपराधी बेखौफ हैं क्योंकि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं."
1. लखीमपुर खीरी में माँ के सामने दो दलित बेटियों का अपहरण व दुष्कर्म के बाद उनके शव पेड़ से लटकाने की हृदय विदारक घटना सर्वत्र चर्चाओं में है, क्योंकि ऐसी दुःखद व शर्मनाक घटनाओं की जितनी भी निन्दा की जाए वह कम। यूपी में अपराधी बेखौफ हैं क्योंकि सरकार की प्राथमिकताएं गलत। 1/2
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, "लखीमपुर में दो बहनों की हत्या की घटना दिल दहलाने वाली है. परिजनों का कहना है कि इन लड़कियों का दिनदहाड़े अपहरण किया गया था. रोज अख़बारों व टीवी में झूठे विज्ञापन देने से क़ानून व्यवस्था अच्छी नहीं हो जाती. आखिर उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य अपराध क्यों बढ़ते जा रहे हैं."
लखीमपुर (उप्र) में दो बहनों की हत्या की घटना दिल दहलाने वाली है। परिजनों का कहना है कि उन लड़कियों का दिनदहाड़े अपहरण किया गया था।
रोज अखबारों व टीवी में झूठे विज्ञापन देने से कानून व्यवस्था अच्छी नहीं हो जाती।आखिर उप्र में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध क्यों बढ़ते जा रहे हैं?
लखीमपुर पहले भी रहा है चर्चा में
लखीमपुर खीरी ज़िला महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में पहले भी चर्चा में रहा है. साल 2020 में अगस्त और सितंबर महीने में ज़िले के अलग-अलग स्थानों पर तीन नाबालिग़ लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए थे.
जून 2011 में निघासन पुलिस थाना परिसर में एक लड़की की लाश पेड़ से लटकी मिली थी, इस मामले में एक पुलिस निरीक्षक समेत 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था. बाद में सीबीआई कोर्ट ने 28 फ़रवरी 2020 को दिए फ़ैसले में कांस्टेबल अतीक़ अहमद को 14 साल की लड़की की हत्या और बाद में लाश को पेड़ से लटकाकर इसे ख़ुदकुशी की शक्ल देने का दोषी पाया था. पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. (bbc.com/hindi)