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केरल में मंकीपॉक्स से मरने वाले शख़्स की मौत पर किए गए देश के पहले अध्ययन में वैज्ञानिकों को वायरस का A.2 वेरिएंट मिला है, जो अमेरिका और यूरोपीय देशों में फैले वैरिएंट से एकदम अलग है.
हिंदी अख़बार अमर उजाला में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में ही दुनिया के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं और वहां मंकीपॉक्स वायरस का कांगो वैरिएंट अधिक पाया जा रहा है, जिसे गंभीर माना जा रहा है.
इससे पहले, नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर के आईजीआईबी संस्थान के शोधार्थियों ने एक अध्ययन के जरिए भी केरल के पहले दो मंकीपॉक्स संक्रमित मरीजों में वायरस के A.2 वेरिएंट की पुष्टि की थी. यह स्वरूप काफी समय पहले से प्रसारित है. साथ ही भारत के 12 में से 10 मरीजों में इसी स्वरूप की पुष्टि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए हुई है.
वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर कहा है कि युवक की मौत इन्सेफ्लाइटिस बीमारी से हुई है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बीमार व्यक्ति के मस्तिष्क में सूजन होने लगती है और धीरे-धीरे वह कोमा में जाने लगता है. (bbc.com/hindi)