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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति को अपनी पत्नी और नाबालिक बच्चों को शारीरिक श्रम करके भी आर्थिक सहायता देनी होगी जो उसका कर्तव्य है. अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.
न्यायाधीश दिनेश महेशवरी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए प्रावधान सामाजिक न्याय का एक तरीक़ा है जो खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है.
कोर्ट ने इस फ़ैसले के साथ ही एक शख़्स की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि उसका कारोबार बंद होने के कारण उसकी आय का कोई स्रोत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''पति के शारीरिक रूप से सक्षम होने के कारण उसका कर्तव्य है कि वो क़ानूनी तरीक़े से कमाकर अपनी पत्नी और नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण करे. पत्नी की अपील और अन्य प्रमाणों के आधार पर कोर्ट ने कहा कि पति के पास आय का पर्याप्त स्रोत होने और उसके शारीरिक रूप से सक्षम होने के बावजूद वो भरण-पोषण में असफ़ल हुए हैं और इसकी उपेक्षा की है.''
'(www.bbc.com)