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पाकिस्तान: 54 बच्चों के पिता अब्दुल मजीद नहीं रहे
11-Dec-2022 4:22 PM
पाकिस्तान: 54 बच्चों के पिता अब्दुल मजीद नहीं रहे

-मोहम्मद काज़िम

पाकिस्तान, 11 दिसंबर । 54 बच्चों का परिवार होने की वजह से मशहूर होने वाले पाकिस्तान के नोशकी ज़िले के अब्दुल मजीद मैंगल का बीते बुधवार को निधन हो गया.

उनके बेटे शाह वली मैंगल ने बीबीसी को बताया कि उनके पिता का निधन दिल की बीमारी के कारण हुआ.

निधन के समय उनकी उम्र 75 वर्ष थी और अब तक वह ड्राइविंग कर रहे थे.

पेशे से ड्राइवर अब्दुल मजीद मैंगल अफ़ग़ानिस्तान से सटे बलूचिस्तान के नोशकी ज़िले के कली मैंगल गाँव के रहने वाले थे. नोशकी बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व में स्थित है.

अब्दुल मजीद और उनके परिवार के बारे में पहली बार ख़बर 2017 में होने वाली जनगणना के मौक़े पर सार्वजनिक हुई थी.

अब्दुल मजीद ने पहली शादी 18 साल की उम्र में की थी. उन्होंने छह शादियां की थीं जिनमें से दो बीवियां उनकी ज़िंदगी में ही गुज़र गई थीं.

अब्दुल मजीद के 54 बच्चों में से 12 बच्चे भी उनकी ज़िंदगी में ही चल बसे थे जबकि 42 बच्चे अभी जीवित हैं जिनमें 22 बेटे और 20 बेटियां हैं.

साल 2017 की जनगणना से पहले क्वेटा शहर के नागरिक जान मोहम्मद ख़िलजी सबसे अधिक बच्चों के पिता होने के दावेदार थे जिनके यहां 2017 तक 36 बच्चे पैदा हुए थे.

अब्दुल मजीद के बेटे शाह वली ने बताया कि उनके 12 बहन भाइयों का पिता के जीवन में निधन हो गया था जबकि 42 बच्चों की शिक्षा और दूसरी ज़रूरतें पूरी करने के लिए उनके पिता आख़िर दम तक कोशिश करते रहे.

शाह वली ने बताया, "54 बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करना कोई आसान काम नहीं होता, लेकिन हमारे वालिद अब्दुल मजीद मैंगल अपनी पूरी ज़िंदगी हमारी ज़रूरतें पूरी करने के लिए कोशिश करते रहे."

उनका कहना था कि उनके पिता उन्हें पढ़ाने और उनकी दूसरी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अलग-अलग काम करते रहे. वो कहते हैं, "उनकी एक ज़ंबाद (ईरानी कॉमर्शियल वाहन) गाड़ी थी. बुढ़ापे के बावजूद वह अपनी मौत से पांच दिन पहले तक परिवार के लिए रोज़ी-रोटी का इंतजाम करने के वास्ते गाड़ी चलाते रहे."

उन्होंने कहा कि बड़े परिवार के ख़र्च को पूरा करने की कोशिश में लगे अपने पिता ने कभी उन्होंने आराम करते नहीं देखा बल्कि "उनको हर समय मेहनत करते देखा."

उन्होंने कहा "हममें से कोई बीए है और कोई मैट्रिक लेकिन हमारे पास उचित रोज़गार नहीं जिसके कारण हम अपने पिता का ढंग से इलाज नहीं करवा सके."

शाह वली ने कहा कि उन्होंने सुना है कि देश के दूसरे हिस्सों में बड़े परिवारों को सरकारों की ओर से मदद दी जाती है लेकिन उनका परिवार यहां सबसे बड़ा होने के बावजूद किसी तरह की सरकारी मदद से वंचित है.

शाह वली ने कहा कि इस साल मानसून की विनाशकारी बाढ़ में उनका घर तबाह हो गया.

उन्होंने कहा, "हमारे पास घर बनाने की ताकत नहीं है और सरकार की ओर से अब तक घरों को फिर से बनाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया, जिसके कारण हमारे बड़े परिवार की दूसरे परिवारों के मुक़ाबले अधिक परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं." (bbc.com/hindi)

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