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इंडोनेशिया, 12 दिसंबर । इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेत्नो मर्सुदी ने कहा है कि भारत समेत दूसरे देशों को म्यांमार पर एक अलग रुख़ अख़्तियार करने की जगह आसियान गुट की नीतियों का सम्मान और पालन करना चाहिए.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, इंडोनेशिया की विदेश मंत्री का ये बयान भारत की ओर से म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ संपर्क बनाने वाले फ़ैसले के बाद आया है.
म्यांमार में सैन्य सरकार ने साल 2021 के फ़रवरी महीने में आंग सान सू ची के नेतृत्व वाली नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट को सत्ता से बाहर कर दिया था.
मर्सुदी ने कहा है कि भारत सरकार का ये फ़ैसला आसियान देशों की ओर से लोकतंत्र की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को कमतर करता है.
उन्होंने कहा कि भारत समेत अन्य देशों को आसियान देशों के पाँच सूत्री सहमति का पालन करना चाहिए.
इसमें हिंसा को तत्काल प्रभाव से रोके जाने, सभी पक्षों के साथ संवाद स्थापित किए जाने, विशेष दूत की नियुक्ति किए जाने, आसियान देशों की ओर से मानवीय सहायता उपलब्ध कराए जाने और म्यांमार में सभी पक्षों के साथ मुलाक़ात के लिए विशेष दूत के दौरे की व्यवस्था किया जाना शामिल है.
मर्सुदी ने द हिंदू से बातचीत में कहा, "आसियान के सदस्य देशों को हमारा संदेश ये है कि आसियान के प्रयासों का समर्थन किया जाए क्योंकि अगर आप इससे अलग कुछ करेंगे तो उससे हमारा असर कम होगा और म्यांमार को इस राजनीतिक संकट से बाहर करने में मदद नहीं मिलेगी."
मर्सुदी ने ये भी बताया कि पिछली सितंबर में उनकी इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात हुई थी.
यही नहीं, इस साल की शुरुआत में बिम्सटेक वर्चुअल समिट में म्यांमार के विदेश मंत्री को बुलाए जाने पर आसियान के सदस्य देशों और अमेरिका ने भारत और श्रीलंका से अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं.
बिम्सटेक में सात दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्वी एशियाई देश शामिल हैं.
बीते नवंबर में भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने म्यांमार की राजधानी नेपिडॉ का दौरा किया था.
लेकिन उन्होंने अपने इस दौरे में अपदस्थ राजनीतिक दलों से मुलाक़ात नहीं की जो एक बड़ा बदलाव है. इसके साथ ही उनके दौरे पर जारी किए गए बयान में आसियान देशों के पांच सूत्री सहमति का ज़िक्र नहीं था जबकि पुरानी प्रेस रिलीज़ में इसका ज़िक्रा हुआ करता था.
भारत सरकार के अधिकारी कहते रहे हैं कि भारत के लिए म्यांमार से संबंध बेहद अहम हैं क्योंकि दोनों के बीच ऐसी सीमा है जिसमें चरमपंथियों आते जाते रहते हैं, ऐसे में उसे दूसरे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों जैसे चीन की तरह सैन्य शासकों के साथ समन्वय बनाए रखने की ज़रूरत है.
इंडोनेशिया की विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों ने आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में एक क़दम बढ़ाया है.
उन्होंने कहा है कि भारत और इंडोनेशिया ने चार साल से लंबित सेबांग बंदरगाह परियोजना को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी अड़चन को दूर करने में कामयाबी हासिल की है. ये जगह भारत के दक्षिणतम बिंदू इंदिरा पॉइंट से दो सौ किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की ओर से लॉन्च किए गए सेबांग बंदरगाह के लिए फीज़िबिलिटी स्टडीज़ पूरी कर ली गई है.
इस दिशा में दोनों देशों के संयुक्त टास्क फोर्स की मीटिंग आगामी 19 दिसंबर को होगी जिसमें भविष्य के क़दम तय किए जाएंगे.
मर्सुदी ने कहा, "ये सही है कि शुरुआती अध्ययनों को पूरा करने में लगने वाला चार साल का समय काफ़ी लंबा है. लेकिन इंडोनेशियाई लोग निराश नहीं होते. ऐसे में उम्मीद है कि निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा.
उन्होंने कहा कि इंडोनेशियाई शहर मेदान में कुआला नामू हवाई अड्डे को बनाने के लिए पांच अरब डॉलर के इंडो-फ्रैंच ज्वॉइंट वेंचर (जीएमआर ग्रुप कंसोर्टियम प्रतिबंधित) और पांच सौ मिलियन डॉलर वाला सोलर पैनल एनर्जी प्रोजेक्ट भी रास्ते में है. (bbc.com/hindi)