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पाकिस्तानः 'लड़कियों ने साइकिल चलाई, इस्लाम ख़तरे में'
13-Dec-2022 11:04 AM
पाकिस्तानः 'लड़कियों ने साइकिल चलाई, इस्लाम ख़तरे में'

लड़कियों का साइकिल कैंपइमेज स्रोत,@SKHANATHLETE

-ओमेर सलिमी

पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के पूर्व आदिवासी ज़िले लिंडी कोतल में लड़कियों के लिए अपनी तरह का पहला साइकिल कैंप आयोजित किया गया था. अब इस पर हंगामा हो गया है.

आयोजकों के मुताबिक़ इस कैंप में पंद्रह लड़कियों ने हिस्सा लिया था. इस कैंप का विरोध करने वालों ने इसे स्थानीय क़बीलाई परंपराओं के ख़िलाफ़ बताया है.

दरअसल शुक्रवार को पाकिस्तानी साइक्लिस्ट समर ख़न और सामाजिक कार्यकर्ता जेमिमा आफ़रीदी ने अमेरिकी संस्था ग्लोबल स्पोर्ट्स मेंटरिंग की मदद से लड़कियों के लिए लिंडी कोतल में साइकिल कैंप लगाया था जिसमें पंद्रह लड़कियों ने हिस्सा लिया था.

आयोजकों का कहना है कि जिन लड़कियों को कैंप में शामिल किया गया था उनके परिजनों से अनुमति ली गई थी और कई लड़कियों के अभिभावक कैंप में शामिल भी हुए थे.

साक्लिस्ट समर ख़ान ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कई लड़कियों ने हिजाब पहनकर और स्थानीय लिबास पहनकर साइकिल चलाई लेकिन कुछ लोगों को यह 'बेशर्मी लगी.'

'रेप, क़त्ल, तेज़ाब के हमले और नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ कोई विरोध क्यों नहीं किया जाता? हमें तबाह करने के लिए किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे की ज़रूरत नहीं है. हमारी अज्ञानता ही काफी है.'

इस साइकिल कैंप के बाद रविवार को जमात-ए-इस्लामी ने लिंडी कोताल में विरोध प्रदर्शन किया जिसमें दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए.

इस दौरान प्रदर्शनकारियों की तख़्तियों पर लिखा था, "अश्लीलता और नग्नता प्रतिबंधित है" और 'हमें पानी और बिजली दो, साइकिल नहीं.'

इस प्रदर्शन में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं का कहना था कि ये साइकिल कैंप इस्लाम की परंपराओं के ख़िलाफ़ है.

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि महिलाओं के साइकिल कैंप के बहाने इलाक़े में बेहयाई (बेशर्मी) फैलाई जा रही है.

लिंडी कोताल में जमात-ए-इस्लामी के नेता मुराद हुसैन ने सोशल मीडिया पर बताया है कि ये प्रदर्शन अश्लीलता को रोकने और इमरान आफ़रीदी की रिहाई के लिए किया गया.

'कराची में समर्थन अभियान लेकिन लिंडी कोताल में लड़कियों का साइकिल चलाना बर्दाश्त नहीं'
जहां एक तरफ़ लोग लड़कियों के साइकिल चलाने का समर्थन कर रहे हैं वहीं जमात-ए-इस्लामी की आलोचना भी हो रही है.

इमरान नाम के एक यूज़र ने ट्विटर पर लिखा की जमात ए इस्लामी के कार्यकर्ता लिंडी कोताल और कराची में अलग-अलग मानदंडों के साथ सेवा में लगे हुए हैं.

वो लिखते हैं कि कराची में मेयर पद के उम्मीदवार लड़कियों के साथ खड़े हैं और लड़कियों को सशक्त करने का अभियान चला रहे हैं लेकिन जमात-ए-इस्लामी को लिंडी कोताल में लड़कियों का साइकिल चलाना भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

फ़ातिमा नाम की एक यूज़र ने ट्विटर पर लिखा, "लिंडी कोताल में 10-15 लड़कियों ने साइकिल पर एक छोटा सा चक्कर, फिर जमात-ए-इस्लामी ने उनके ख़िलाफ़ जुलूस निकाला और बदसलूकी की. ताज्जुब की बात है कि इस पर भी इस्लाम ख़तरे में पड़ गया है."

जमात ए इस्लामी के विरोध के ख़िलाफ़ महिलाओं ने सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाई है.

पत्रकार मारियान बाबर ने ट्विटर पर लिखा कि लड़कियों के साइकिल चलाने का विरोध क़बीलाई लोगों या चरमपंथियों ने नहीं बल्कि जमात-ए-इस्लामी ने किया है.

मारियाना लिखती हैं, जमात-ए-इस्लामी को कभी अराजकता या चरमपंथ का विरोध करते हुए नहीं देखा गया है.

वहीं समाजसेविका निघत दाद ने पूछा है, "जमात-ए-इस्लामी बताए कि महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों के इस्तेमाल की आज़ादी से क्या समस्या है? देश में रोज़ाना जब बच्चियों और महिलाओं का बलात्कार होता है तब तो आप प्रदर्शन नहीं करते हैं? या आपको अश्लीलता तब ही दिखाई देती है जब महिलाएं अपनी जगह बनाने की कोशिश करती हैं."

एक और यूज़र जावेरिया वसीम ने लिखा, "अगर आपको सड़क पर साइकिल चलाती लड़कियां अश्लील लगती हैं तो समस्या आपमें हैं."

वहीं फहमीदा यूसुफी ने लिखा कि लड़कियों के साइकिल चलाने से अश्लीलता नहीं फैलती है, जमात ए इस्लामी को विरोध करने से पहले सोचना चाहिए था.

लड़कियों की साइकिल रैली का कुछ राजनीतिक हलको ने बचाव भी किया है.

नेशनल असेंबली की पूर्व सदस्य बुशरा गोहर ने कहा कि पश्तून महिलाएं पीछे नहीं रहेंगी.

उन्होंने शिविर में भाग लेने वाली लड़कियों को बधाई भी दी है. (bbc.com/hindi)

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