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सूर्यकुमार यादव का भारत के लिए वनडे में चलना इसलिए है ज़रूरी
10-Jan-2023 1:16 PM
सूर्यकुमार यादव का भारत के लिए वनडे में चलना इसलिए है ज़रूरी

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-चंद्रशेखर लूथरा

नई दिल्ली, 10 जनवरी । मार्च, 2021 में सूर्यकुमार यादव ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपना डेब्यू किया था, तब वे 30 साल के हो चुके थे.

अपनी प्रतिबद्धता के चलते ही इंटरनेशनल लेवल तक पहुँच पाए थे.

लंबे इंतज़ार के बाद भी घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बटोरते हुए वे चयनकर्ताओं के दरवाज़े पर दस्तक देते रहे.

इतना ही नहीं इंटरनेशनल डेब्यू करने से पहले वे 170 टी-20 मैचों में भी हिस्सा ले चुके थे, यह किसी भी क्रिकेटर के लिए डेब्यू करने से पहले खेले गए सर्वाधिक टी-20 मैच हैं.

हालाँकि टीम में नहीं चुना जाना, उनके मनोबल को कमतर करता होगा लेकिन खेल के प्रति उनका उत्साह बना रहा.

उन्होंने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा है उन्हें जो भी मौक़ा मिलता है, उसमें वे शानदार करने की कोशिश करते हैं.

उन्हें भारतीय टीम में भले मौक़ा नहीं मिल रहा था लेकिन घरेलू क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग में वे ख़ुद को मांजते रहे, अपने क्राफ़्ट को बेहतर करते रहे.

यही वजह है कि टी-20 क्रिकेट में 180 के क़रीब की स्ट्राइक रेट के बावजूद वे गेंद पर करार प्रहार करते नज़र नहीं आते.

बल्कि उनकी बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी ख़ासियत टाइमिंग है और वे हर गेंद को सीमा रेखा से बाहर भेजने की कोशिश भी नहीं करते हैं.

बल्ले से निकलते रिकॉर्ड

सूर्यकुमार यादव ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेले गए तीसरे और सिरीज़ के अंतिम टी-20 मैच में नाबाद शतक बनाते हुए इतिहास रचा.

इससे पहले टी-20 मैचों में उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नॉटिंघम में और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ माउंट मोउनगनुई में शतक बनाया था.

इस पारी के दौरान सबसे कम गेंदों पर 1500 रन तक पहुँचने का रिकॉर्ड उन्होंने बनाया.

उन्होंने महज 843 गेंदों पर ये रन बनाए. इस दौरान उनकी स्ट्राइक रेट 180 से ज़्यादा की रही है.

पारी के हिसाब से वे 1500 रन तक पहुँचने वाले तेज़ बल्लेबाज़ों की सूची में वे तीसरे पायदान पर हैं.

विराट कोहली, केएल राहुल, एरॉन फिंच और बाबर आज़म ने टी-20 मैचों में 1500 रन तक पहुँचने में 39 पारियां खेलीं जबकि पाकिस्तान के मोहम्मद रिज़वान इस मुकाम तक 42 पारियों में पहुंचे. सूर्यकुमार यादव को 43 पारियाँ खेलनी पड़ी हैं.

अब तक 45 टी-20 मैचों की 43 पारियों में यादव ने 46.41 की औसत से 1578 रन बनाए हैं, जिसमें तीन शतक और 13 अर्धशतक शामिल है.

उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 117 रन है. अपना तीसरा शतक उन्होंने महज 45 गेंदों पर बनाया.

हालाँकि रोहित शर्मा श्रीलंका के ख़िलाफ़ 35 गेंदों पर शतक बना चुके हैं. टी-20 क्रिकेट में रोहित शर्मा के नाम सबसे ज़्यादा चार शतक हैं, जबकि सूर्यकुमार यादव, ग्लेन मैक्सवेल और कॉलिन मुनरो के नाम तीन-तीन शतक हैं.

हालाँकि सूर्यकुमार की ख़ासियत ये है कि उन्होंने तीनों शतक नंबर तीन या उससे बाद बल्लेबाज़ी करते हुए बनाए हैं.

जबकि इतने शतक बनाने वाले दूसरे सभी बल्लेबाज़ों ने ओपनिंग करते हुए यह कारनामा दिखाया है, जहाँ आपको ज़्यादा गेंदें खेलने का मौक़ा मिलता है.

सूर्यकुमार यादव इन सबसे अलग इसलिए नज़र आते हैं क्योंकि वे पलक झपकते ही अपनी लय में होते हैं.

उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में जब पहली गेंद का सामना किया था, तो उसे छक्के के लिए बाउंड्री के पार भेजा था.

पहली गेंद पर उनका स्ट्राइक रेट 154 से ज़्यादा का है. स्ट्राइक रेट के हिसाब से और कम से कम 100 गेंद खेलने की पात्रता के साथ सूर्यकुमार यादव से बेहतर रिकॉर्ड जेम्स नीशम (156.82) और मार्कस स्टोइनिस (172.73) का ही है.

लेकिन नीशम और स्टोइनिस नंबर पाँच या उससे नीचे खेलने आते हैं और टी-20 क्रिकेट में उस वक़्त बड़े शॉट्स खेलने की उम्मीद की जाती है.

दूसरी तरफ़ सूर्यकुमार तीसरे या चौथे पायदान पर खेलने उतरते हैं, जहाँ उनके सामने टीम की पारी को जमाने की चुनौती भी होती है.

उदाहरण के लिए श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीसरे टी-20 मैच में वे नंबर चार बल्लेबाज़ के तौर पर छठे ओवर में बल्लेबाज़ी के लिए उतरे.

जब पारी में 11 गेंद बाक़ी थे तभी उन्होंने अपना शतक पूरा कर लिया.

[सूर्य कुमार यादव]

इमेज स्रोत, ANI

सूर्यकुमार अपनी पारी को तेज़ रफ़्तार देने में भी समय नहीं गँवाते हैं, इसलिए उनके तीनों शतक, 50 से कम गेंदों पर आए हैं.

50 से ज़्यादा रन की अब तक उन्होंने कुल 16 पारियाँ खेली हैं और इनमें आठ पारियों में उनकी स्ट्राइक रेट 200 से ज़्यादा की रही है.

शॉट्स खेलते समय वे अतिरिक्त जोख़िम लेते ज़रूर नज़र आते हैं लेकिन यह भी ज़ाहिर होता है कि वे सोच समझकर ऐसे शाट्स खेल रहे हैं.

वे अपरंपरागत शॉट्स जिस सहजता से खेल रहे हैं, उससे यह भी पता लगता है कि तकनीकी तौर पर वे किसी भी फॉर्मेट में लंबे समय तक खेल सकते हैं.

भारत के लीजेंड ऑलराउंडर कपिल देव ने उनके बारे में कहा है, "ऐसा खिलाड़ी शताब्दी में एक बार आता है."

कपिल देव ने यहाँ तक कहा है कि सूर्यकुमार अविश्वसनीय शॉट्स लगाते हैं और वे गेंद को कहीं भी मार सकते हैं.

ज़ाहिर तौर पर कपिल देव, सूर्यकुमार यादव की कलाई के इस्तेमाल से लगाए जाने वाले शाट्स से प्रभावित होंगे, जिन शॉट्स के चलते उन्हें 360 डिग्री बल्लेबाज़ कहा जा रहा है.

टी-20 क्रिकेट में डेब्यू के बाद सूर्यकुमार यादव अब तक 27 छक्के लगा चुके हैं. मोहम्मद रिज़वान 13 छक्कों के साथ दूसरे पायदान पर हैं.

सूर्यकुमार के 27 छक्के में से केवल दो छक्के ऐसे रहे हैं- जिनके बारे में कहा जा सकता है कि टॉप एज़ से मिले हैं. यानी 25 शॉट्स को सूर्यकुमार ने पूरे नियंत्रण में खेला है.

वे जिस गेंद को थर्ड मैन के ऊपर से मार सकते है, उसी गेंद को स्कूप के ज़रिए फ़ाइन लेग से बाहर भेज सकते हैं.

इस ख़ासियत के चलते वे छोटी बाउंड्री को भी तलाश लेते हैं. अमूमन विकेट के पीछे की बाउंड्री 50 से 60 गज की दूरी पर होती है.

अभ्यास से हासिल कौशल

सूर्यकुमार यादव जिस सहजता से कलाई के इस्तेमाल से विकेट के पीछे शॉट्स खेलते हैं, उसे देखकर लगता है कि ये बहुत आसानी से खेला जा सकता है.

लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है. चाहे सूर्यकुमार यादव हों या फिर एबी डिविलियर्स, इन लोगों ने सैकड़ों घंटों के अभ्यास से यह कौशल हासिल किया है.

सूर्यकुमार यादव ने कहा भी है, "स्वाभाविक तौर पर, काफ़ी परिश्रम लगा है. लेकिन इसके लिए कारगर अभ्यास की ज़रूरत होती है. आपको अपनी रणनीति के बारे में पता होना चाहिए कि किस तरह से आप रन बटोरेंगे."

टी-20 क्रिकेट काफ़ी डिमांडिंग हो चुकी है, ऐसे में बल्लेबाज़ को दूसरे-तीसरे वैकल्पिक प्लान के साथ खेलना होता है.

अगर पहली योजना नाकाम हो रही है, तो उनके पास दूसरे विकल्प होने चाहिए. इसी तरह से गेंदबाज़ भी बल्लेबाज़ों को देख देखकर अपने प्लान बनाते हैं.

श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक पारी के बाद बीते सप्ताह ही सूर्यकुमार यादव ने कहा था, "कुछ शॉट्स तो सोचे समझे होते हैं लेकिन गेंदबाज़ ने अगर दूसरे तरह की गेंद डाल दी तो आपके दूसरे शॉट्स भी होने चाहिए."

सूर्यकुमार अपनी बल्लेबाज़ी के दौरान फ़ील्ड का आकलन भी करते रहते हैं.

कई बार यह दिखा है कि छक्का लगाने की कोशिश करने के बदले वे एक्स्ट्रा कवर और मिड ऑफ़ पर चौके लगाते हैं, जिसमें कम जोख़िम रहता है.

अपने स्कूप शॉट्स का इस्तेमाल वे डेथ ओवरों में तभी करते हैं जब तेज़ गेंदबाज़ फ़ाइन लेग को 30 गज के सर्किल में बुला लेते हैं.

वनडे में कितनी उम्मीद?

इन सबके बाद भी सबसे अहम सवाल यही है कि क्या सूर्यकुमार यादव अपनी कामयाबी वनडे क्रिकेट में भी दोहरा सकते हैं?

ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत इस साल अक्तूबर-नवंबर महीने में वर्ल्ड कप क्रिकेट का आयोजन करने जा रहा है.

ऐसे में हर क्रिकेट फैंस को उम्मीद है कि सूर्यकुमार यादव वनडे क्रिकेट में कामयाब हों और इस कामायबी के लिए टी-20 क्रिकेट के हिटर बल्लेबाज़ पर बहुत दबाव भी है.

आँकड़ों के हिसाब से वनडे क्रिकेट में सूर्यकुमार उतने प्रभावी नज़र नहीं आए हैं, उन्होंने 16 मैचों में 32 की औसत से अब तक 384 रन बनाए हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 64 है.

अब तक वे 15 वनडे पारियों में बल्लेबाज़ी कर चुके हैं और इसमें दो बार उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली है.

वहीं अंतिम नौ वनडे मैचों में उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 34 रन रहा है.

इन आँकड़ों के आधार पर सूर्यकुमार की काबिलियत का आकलन तर्कसंगत नहीं होगा, क्योंकि उनके अंदर वह आग नज़र आ रही है, जो उन्हें किसी भी फॉर्मेट में कामयाबी दिला सकती है.

श्रीलंका के ख़िलाफ़ टी-20 सिरीज़ से पहले उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी में मुंबई के लिए 90 प्लस रनों वाली कुछ पारियाँ भी खेली हैं.

शॉट्स लगाने की उनकी क्षमता पर भी संदेह नहीं किया जा सकता लेकिन यह समझना होगा कि टी-20, वनडे और टेस्ट तीनों अलग अलग तरह के खेल हैं और इनकी ज़रूरतें भी अलग हैं.

अगर कोई खिलाड़ी एक फ़ॉर्मेट में कामयाब है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह दूसरे फ़ॉर्मेट में भी उतना ही कामयाब होगा.

हाल ही में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ वनडे मैचों में उन्हें संघर्ष भी करना पड़ा था. तीन पारियों में दो बार वे ऑफ़ स्टंप की गेंद पर सस्ते में आउट हो गए थे. वे ज़ोरदार फ़ॉर्म में थे लेकिन क्लासिक टेस्ट लेंग्थ की गेंदों के सामने उन्हें कई बार पता नहीं चल रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है?

ज़्यादा टी-20 मैच खेलने का एक नुक़सान यह भी है कि बल्लेबाज़ ऑफ़ स्टंप के बाहर की हर गेंद को हवा में उछाल कर खेलने लगता है.

लेकिन वनडे क्रिकेट में फ़ील्ड प्लेसमेंट एकदम अलग होता है, यही वजह है कि टी-20 क्रिकेट में जिस शॉट्स पर आपको बाउंड्री मिल सकती है, वनडे क्रिकेट में वही शॉट्स पर आप कैच आउट हो सकते हैं.

लेकिन सूर्यकुमार यादव की एक और काबिलियत है जो उनके पक्ष में है. वे स्पिन गेंदबाज़ी को भी बेहतरीन ढंग से खेलना जानते हैं.

ऐसे में बहुत संभव है कि वे वनडे क्रिकेट के लिए ज़रूरी बदलाव करके इस फ़ॉर्मेट में भी मैच विजेता बल्लेबाज़ के तौर पर उभरें.

उनकी बैटिंग स्टाइल से कई विश्लेषक तो उन्हें टेस्ट टीम में भी नियमित मौका दिए जाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन यह साल वनडे क्रिकेट के वर्ल्ड कप का साल है, लिहाजा वनडे में उनकी कामयाबी टीम के लिए ज़्यादा अहम साबित होगी. (bbc.com/hindi)

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