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नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चढ़ा सियासी पारा, टूट सकता है सत्ताधारी गठबंधन
25-Feb-2023 1:05 PM
नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चढ़ा सियासी पारा, टूट सकता है सत्ताधारी गठबंधन

नेपाल, 25 फरवरी ।  नेपाली कांग्रेस और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल दोनों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का चुनाव कर लिया है.

शनिवार को नेपाली कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रतिनिधि सभा के पूर्व स्पीकर रामचंद्र पौडेल को अपना उम्मीदवार बनाया है.

वहीं यूएमएल ने पार्टी उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमवांग को अपना उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला किया है. वो संविधान सभा के पूर्व अध्यक्ष हैं.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल 'प्रचंड', नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट्स) के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल और कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के बीच बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के समझौते के बाद भी यह फ़ैसला किया गया.

इन तीनों पार्टियों के अलावा जनता समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जन मोर्चा के नेताओं ने भी राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन देने का संकल्प लिया है.

यूएमएल ने लगाया धोखे का आरोप

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) सहित आठ पार्टियों के समर्थन देने के फ़ैसले के बाद मौजूदा गठबंधन टूटता नज़र आ रहा है.
कांग्रेस उम्मीदवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के समर्थन देने के फ़ैसले पर केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल नेताओं ने कहा है कि उनकी पार्टी के साथ हुए समझौते का पालन न कर धोखा दिया जा रहा है.

कई विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव ने दो माह पहले बने मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के भविष्य को संकट में डाल दिया है.

78 साल के रामचंद्र पौडेल नेपाल के उपप्रधानमंत्री और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर रह चुके हैं. वो पिछले साल के आम चुनाव में सांसद चुने गए थे.
आरपीपी का सरकार छोड़ने का फैसला

इस बीच, प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फ़ैसला किया है.

आरपीपी के मुताबिक़, मौजूदा गठबंधन में हुए अचानक बदलाव के कारण यह फ़ैसला लिया गया है और इसने देश को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है.

आरपीपी ने प्रांतीय सरकारों को दिया गया अपना समर्थन वापस लेने का भी फ़ैसला किया है.
 (bbc.com/hindi)

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