राष्ट्रीय
मानसून शुरू होने के बाद उत्तर भारत में बाढ़, जलभराव, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है.
ये अनुमान स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की रिसर्च शाखा का है.
हालांकि इस अनुमान में गुजरात के साइक्लोन बिपरजोय या असम में आई व्यापक बाढ़ से होने वाले भारी नुकसान को शामिल नहीं किया गया है.
असम की बाढ़ में तो लाखों लोग प्रभावित हुए हैं.
साइक्लोन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता भारत में हाल के सालों में काफ़ी बढ़ी है.
साल 1990 के बाद आने वाले प्राकृतिक आपदाओं के मामले में भारत की रैंकिंग दुनिया में तीसरी है. अमेरिका और चीन की रैंकिंग पहले और दूसरे नंबर है.
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, बाढ़ और तूफ़ान की वजह से भारत को 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को लेकर भारत में महज 8 प्रतिशत भारतीय ही बीमा सुरक्षा के दायरे में आते हैं.
यानी 93% भारतीय प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को लेकर बीमा रहित होते हैं जबकि वैश्विक स्तर पर ये आंकड़ा 54% है.
रिसर्च में कहा गया है कि इस बड़े गैप को भरने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों को मिलकर एक डिजास्टर पूल बनाना चाहिए और लोगों में प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की स्थिति में बीमा कराने के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए. (bbc.com/hindi/)