राष्ट्रीय
भारत सरकार ने नयी योजना पीएम ई-बस सेवा के लिए 57,613 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह योजना इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विस्तार के लिए लायी जा रही है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने देश के 100 शहरों में 10 हजार नयी इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला किया है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर सिटी बस संचालन के विस्तार के लिए बस योजना "पीएम-ईबस सेवा" को मंजूरी दी.
इस योजना की अनुमानित लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये का समर्थन केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा. यह योजना 10 वर्षों तक बस संचालन का समर्थन करेगी.
यह योजना 2011 की जनगणना के मुताबिक तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों की सभी राजधानियां शामिल हैं. योजना के तहत उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां कोई सुव्यवस्थित बस सेवा उपलब्ध नहीं है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया, देश में 3 लाख से 40 लाख की आबादी वाले 169 शहर हैं, इनमें से चैलेंज मोड के आधार पर 100 शहरों का चयन किया जाएगा.
ई-मोबिलिटी को बढ़ावा
योजना के तहत पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों में 50 ई-बसें, पांच लाख से 20 लाख आबादी वाले शहरों में 100 ई-बसें और 20 लाख से 40 लाख की आबादी वाले शहरों में 150 इलेक्ट्रिक बसें उतारी जाएंगी.
जो राज्य या शहर पुरानी बसों को हटाएंगे वैसे शहरों के लिए अतिरिक्त बसें दी जाएंगी. इस योजना के तहत होने वाले खर्च पर केंद्र सरकार 20,000 करोड़ रुपये का समर्थन देगी और बाकी पैसे राज्य सरकारें देंगी.
सरकार का दावा है कि योजना के तहत सिटी बस संचालन में लगभग 10,000 बसें चलाई जाएंगी, जिससे 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. सरकार का कहना है कि शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत चार्जिंग सुविधाओं के विकास के लिए भी समर्थन दिया जाएगा.
बस की प्राथमिकता वाले बुनियादी सुविधाओं के समर्थन से न केवल अत्याधुनिक, ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार में तेजी आएगी, बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सशक्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
भारत हर साल कच्चे तेल के आयात पर 7 लाख करोड़ डॉलर खर्च करता है और इसके इस्तेमाल से प्रदूषण भी बढ़ता है. साथ ही यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी समस्या है. ई-मोबिलिटी अपनाने से परिवहन क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा तथा शहरों में प्रदूषण का स्तर घटेगा. (dw.com)