अंतरराष्ट्रीय
चार साल बाद स्वनिर्वासन के बाद पाकिस्तान पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने कहा, "मेरे दिल में बदले की कोई भावना नहीं है."
शनिवार को इस्लामाबाद उतरने के बाद सीधे लाहौर पहुंचे और मीनार-ए-पाकिस्तान सभा स्थल पर रैली को संबोधित किया.
रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "अगर कोई इच्छा है तो बस यही कि मेरे देश के लोग संपन्न बनें.उनके घर में सुख और समृद्धि आए."
उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, "कहां से छेड़ूं फसाना, कहां तमाम करूं, वो मेरी तरफ़ देखें तो मैं सलाम करूं. आप लोगों से कई सालों बाद मुलाकात हो रही है लेकिन आपसे मेरा प्यार का रिश्ता कायम और दायम है."
इसके बाद उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से अबतक जिन हालात से वो गुजरे उनका ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, "संविधान लागू करने वाली राज्य संस्थाओं और राजनेताओं को मिलकर काम करना होगा. इसके बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता."
पाकिस्तान में महंगाई, बेरोज़गारी को लेकर उन्होंने कहा, "बिजली नवाज़ शरीफ़ ने महंगी नहीं की, बल्कि बिजली बनाई और उसे आवाम तक पहुंचाया."
अपने भाषण में नवाज़ शरीफ़ ने भारत का नाम लिए बगैर पड़ोसी मुल्कों से रिश्ते सुधारने की बात कही और कहा कि कश्मीर का समाधान इसी से हो सकता है.
उन्होंने कृषि क्षेत्र, राष्ट्रीय संस्थानों के निर्माण और आईटी क्षेत्र में सुधार की अपनी योजना के बारे में बातें कहीं.
नवाज शरीफ ने पूछा, "अगर मेरी जगह कोई और होता तो आप जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने कौन बोल पाता? क्या इसी की सज़ा हमें मिली, हमारी सरकार टूटी? हमें सज़ा मिली?"
नवाज़ शरीफ़ ने फ़लस्तीन का झंडा हाथ में लिया और ग़ज़ा में हो रही हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की. (bbc.com/hindi)