अंतरराष्ट्रीय
ANADOLU AGENCY
इसराइल के हमले में क़तर के टेलीविज़न समूह 'अल जज़ीरा' के एक फ़लस्तीनी कैमरामैन की शुक्रवार को मौत हो गई, जबकि उसके मुख्य ग़ज़ा संवाददाता घायल हो गए.
यह हमला जब हुआ, तब वे दोनों दक्षिणी ग़ज़ा के शहर ख़ान यूनिस के एक स्कूल में इसराइल के एक हमले के बारे में रिपोर्टिंग कर रहे थे.
मारे गए कैमरामैन का नाम समर अबू दक्का बताया गया, जबकि घायल हुए संवाददाता वाएल अल-दहदौह हैं.
अल जज़ीरा के अनुसार, जब वे दोनों स्कूल पर इसराइली हमले की रिपोर्टिंग कर रहे थे, तभी एक अन्य ड्रोन हमले के कारण यह घटना घटी.
रिपोर्टर दहदौह की बांह और कंधे में गंभीर चोट लगी है, जबकि अबू दक्का खून से लथपथ होकर वहीं ज़मीन पर गिर पड़े.
अस्पताल के बेड पर पड़े दहदौह ने अल जज़ीरा को बताया कि हमले के बाद उनके शरीर से ख़ून बह रहा था, लेकिन वे भागने में सक्षम थे.
उनके अनुसार, उन्होंने वहां मौजूद एंबुलेंस वर्कर से कैमरामैन अबू दक्का को खोजने कहा. इस पर उन्हें बताया गया कि एक अन्य एंबुलेंस उनकी तलाश करेगी.
बाद में अल जज़ीरा ने बताया कि एक एंबुलेंस ने अबू दक्का को निकालने के लिए स्कूल तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन सड़कें ब्लॉक होने के कारण उसे वापस लौटना पड़ा.
अल जज़ीरा ने अपने बयान में कहा सिविल डिफेंस की टीम ने शरीर से काफ़ी ख़ून निकलने के कारण दक्का को मृत पाया.
ख़ान यूनिस के रहने वाले 45 साल के अबू दक्का जून 2004 से अल जज़ीरा के लिए काम कर रहे थे. इसराइली सेना ने अबू दक्का की मौत पर अभी तक कमेंट नहीं किया है.
इससे पहले, अक्टूबर के अंत में घायल पत्रकार दहदौह की पत्नी, बेटे, बेटी और पोते की मौत हो गई थी.
अल जज़ीरा ने इसराइल पर जान बूझकर दहदौह के परिवार को निशाना बनाने का आरोप लगाया था.
दहदौह को फ़लस्तीनी लोगों का चेहरा माना जाता है. दुनिया को फ़लस्तीन की पीड़ा और कठिनाई बताने के लिए उनका ग़ज़ा में काफ़ी सम्मान है.
अब तक 64 पत्रकार मारे गए
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर को हमास और इसराइल के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक अब्बू दक्का सहित कुल 64 पत्रकारों की मौत हो चुकी है.
मारे गए पत्रकारों में 57 फ़लस्तीनी, चार इसराइली और तीन लेबनानी हैं.
अल जज़ीरा ने अपने बयान में कहा है कि 'अल जज़ीरा के पत्रकारों और उनके परिवारों को योजनाबद्ध तरीक़े से निशाना बनाने और उनकी हत्या करने के लिए वे इसराइल को जिम्मेदार मानते हैं."
दिसंबर के शुरू में हुए एक और हमले में अल जज़ीरा के एक अन्य संवाददाता मोमेन अल शराफ़ के पिता, माता और परिवार के 20 अन्य सदस्य मारे गए थे. (bbc.com/hindi)