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पाप कर्म और पुण्य कर्म किसी भी जन्म में मनुष्य का पीछा नहीं छोड़ते हैं- ब्रम्हचारी विजय
रायपुर, 22 मार्च। श्री 1008 श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में चल रहे अष्टानिक महापर्व के छठे दिन श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में शुक्रवार को ब्रह्मचारी विजय की अगुवाई में 512 अर्घ्य चढ़ाए गए।ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया की आज सर्वप्रथम प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान एवं 24 वे तीर्थंकर श्री महावीर भगवान को पांडुकशीला में विराज मान कर 4 स्वर्ण कलशों की स्थापना की गई। तत्पश्चात स्वर्ण कलशों से सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने अभिषेक प्रारंभ किया।
आज शांति धारा सनत कुमार समित कुमार गंगवाल,श्रेयश जैन पवन कुमार समित कुमार जैन,रजनीश जैन ने किया। तत्पश्चातअर्घ्य चढ़ाए। आज कुबेर इंद्र नरेंद्र जैन अरुणा जैन गुरुकृपा परिवार द्वारा मंडल एवं उपस्थित श्रद्धालुओं पर रत्न वर्षा भी को गई। विधान में सभी प्रमुख प्रमुख पात्र जैसे महासती मैना सुंदरी बनने का सौभाग्य महेंद्र कुमार,सनत कुमार ,अनिल कुमार ,रोमिल जैन परिवार को प्राप्त हुआ सौधर्म इंद्र श्रेयश बालू जैन रुचि जैन,कुबेर इंद्र योगेंद्र कुमार नरेंद्र कुमार जैन ,महायज्ञ नायक संजय दीप्ति जैन ,यज्ञ नायक भरत जैन,ईशान इंद्र लोकेश चंद्रकांत जैन,सनत इंद्र, मीठालाल जैन,माहेंद्र इंद्र,नीरज जैन,महामंडलेश्वर पुष्पेंद्र जैन, रजनीश जैन, संजय सरिता जैन,प्रणीत जैन मंडल निर्माण पुण्यार्जक विजय कुमार अजय कुमार संजय नायक परिवार,सिद्ध चक्र यंत्र पुण्यर्जक अनिल जैन ,प्रभात शालिनी जैन रहीं। साथ ही विधानाचार्या विजय ने तीर्थंकर भगवान के मूल गुण मुनिराजो के मूल गुण उनकी चर्या जैन धर्म धार्मिक क्रियाओं की जानकारी के साथ शंका समाधान भी किया जा रहा है।कार्यक्रम उपरांत उपस्थित सभी के लिए नरेंद्र जैन श्रीमती अरुणा जैन ने शुद्ध भोजन की व्यवस्था की गई ।