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राजनाथ सिंह ने सियाचिन का दौरा किया, सैन्य तैयारियों की समीक्षा की
22-Apr-2024 9:06 PM
राजनाथ सिंह ने सियाचिन का दौरा किया, सैन्य तैयारियों की समीक्षा की

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का सोमवार को दौरा किया और क्षेत्र में भारत की समग्र सैन्य तैयारियों की समीक्षा की।

सिंह ने सियाचिन का दौरा ऐसे समय में किया जब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में भारतीय सेना की मौजूदगी को एक सप्ताह पहले 40 वर्ष हो गए।

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ क्षेत्र में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा, "सियाचिन में एक अग्रिम चौकी का दौरा किया। बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हमारे देश की रक्षा करने वाले बहादुर सेना कर्मियों के साथ अद्भुत बातचीत हुई।"

उन्होंने कहा, "मैं कर्तव्य के प्रति उनके साहस और पेशेवर अंदाज की सराहना करता हूं।"

सिंह ने सियाचिन में तैनात सैनिकों से बातचीत भी की।

काराकोरम पर्वतीय शृंखला में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को शीतदंश और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है।

सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने विषम परिस्थितियों में वीरता और दृढ़ संकल्प के साथ मातृभूमि की रक्षा के पुण्य पथ पर चलने के लिए उनकी (सैनिकों) प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राष्ट्र सशस्त्र बल कर्मियों का सदैव ऋणी रहेगा, क्योंकि उनके बलिदान के वजह से हर नागरिक सुरक्षित महसूस करता है।

उन्होंने कहा, “हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं, क्योंकि हम आश्वस्त हैं कि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं। आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तो बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की वीरता और दृढ़ इच्छाशक्ति के कामों को गर्व के साथ याद किया जाएगा। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा।"

रक्षा मंत्री ने सियाचिन को कोई सामान्य भूमि नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।

उन्होंने कहा कि सियाचिन कोई आम जगह नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है, बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, उसी तरह, सियाचिन साहस, दृढ़ निश्चय और संकल्प की राजधानी है।

हाल ही में देश ने ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की 40वीं वर्षगांठ मनाई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 13 अप्रैल, 1984 को भारतीय सेना द्वारा सियाचिन में शुरू किये गये इस ऑपरेशन को देश के सैन्य इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताया।

उन्होंने कहा, ''ऑपरेशन मेघदूत की कामयाबी हम सभी के लिए गर्व की बात है।''

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में सियाचिन युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत अप्रैल, 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया था। भारतीय सेना ने पिछले कुछ वर्षों में सियाचिन में अपनी मौजूदगी मजबूत की है। (भाषा)

पिछले साल जनवरी में सेना के ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ की कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन में एक अग्रिम चौकी पर तैनात किया गया। इस प्रमुख युद्धक्षेत्र में किसी महिला सैन्य अधिकारी की यह पहली अभियानगत तैनाती है।

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