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नयी दिल्ली, 22 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी देने में निष्क्रियता का आरोप लगाने वाली याचिका पर सोमवार को राज्य के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
इस विधेयक को राज्य विधानसभा ने जून, 2022 में पारित किया था।
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 2022 में राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने के लिए एक विधेयक पारित किया था।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने राज्यपाल के प्रमुख सचिव और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ सायन मुखर्जी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने इस मुद्दे पर राज्यपाल से जवाब मांगने के अपने पहले के निर्देशों पर रोक लगा दी थी।
शुरुआत में, पिछले साल 12 सितंबर को उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की कथित निष्क्रियता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर उनके कार्यालय से हलफनामा मांगा था।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 से ही विचाराधीन होने के बावजूद राज्यपाल राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में कुलपतियों की नियुक्तियां करते रहे।
हालांकि, केंद्र ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 212 और 361 के तहत राज्यपाल को इस विषय पर जवाब देने से छूट प्राप्त है और जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है। (भाषा)