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राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? – ग्राउंड रिपोर्ट
04-May-2024 11:24 AM
राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? – ग्राउंड रिपोर्ट

शुक्रवार की सुबह तक किसी को अंदाज़ा नहीं था कि कांग्रेस पार्टी सबको चौंकाने वाला फ़ैसला लेगी.

गुरुवार की देर रात तक यही माना जा रहा था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और पार्टी के सामने रायबरेली को लेकर असमंजस की स्थिति है. लेकिन गुरुवार की देर रात की बैठक में जो हुआ, उसका अंदाज़ा किसी को नहीं था.

बीते 15 दिनों से राहुल गांधी और अमेठी को लेकर चल रही चर्चाओं पर विराम लगाते हुए राहुल गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया जबकि अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है.

राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेसी नेताओं ही नहीं रायबरेली के आम लोगों में भी खासा उत्साह देखने को मिला.

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राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस के नेताओं में भी खुशी का माहौल दिख रहा है.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राहुल बाजपेई ने कहा, "राहुल जी युवाओं और किसानों की बात कर रहे हैं और देश में भ्रष्टाचारी सरकार के खिलाफ राहुल गांधी लड़ रहे हैं. वो रायबरेली से लड़ रहे हैं, ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है."

दिलचस्प यह भी है कि सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने एक मई को रायबरेली और अमेठी में पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ बैठक की थी और उस बैठक में भी वो ये नहीं बता पाए कि रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा?

लेकिन सुबह जब राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की ख़बर आयी तो देखते-देखते ज़िला कार्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ने लगी.

सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे.

उनके नामांकन में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ भी दिखी. राहुल गांधी के रायबरेली आने के बाद कार्यकर्ताओं का मानना है कि वो इंडिया गठबंधन से पीएम उम्मीदवार को रायबरेली से चुन रहे हैं.

कांग्रेसी कार्यकर्ता मोहम्मद अकरम ने कहा, "गांधी परिवार यहां से हमेशा जीतता रहा है और इस बार राहुल गांधी यहां से पहली बार लड़ रहे हैं. वो इंडिया गठबंधन का चेहरा हैं और यहां से अब वे कम से कम छह लाख मतों से जीतेंगे."

रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है.

सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं.

2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं.

उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? लगभग 20 सालों तक रायबरेली से सांसद रहने वालीं सोनिया गांधी ने राज्यसभा जाने के बाद रायबरेली की जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए एक पत्र जारी किया था.

सोनिया गांधी ने अपने भावनात्मक संदेश के अंत में लिखा था कि "मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आए हैं."

पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी. अब राहुल गांधी के रायबरेली से लड़ने के पीछे की रणनीति के बारे में बात करते हुए रायबरेली के वरिष्ठ पत्रकार महेश त्रिवेदी बताते हैं, "राहुल गांधी अपनी मां की विरासत को संभालने आ रहे हैं. यह कांग्रेस के लिए सकारात्मक सन्देश है. किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के करीबी हैं, इसलिए वो भी अमेठी में चुनावी मैदान में मज़बूती से डटे रहेंगे."

कांग्रेस की कार्यकर्ता शकुंतला मौर्या ने कहा, ''रायबरेली तो हमेशा से कांग्रेस के पास रही है और रहेगी.''

उन्होंने कहा, "इस सरकार में किसानों का हाल बुरा है फसल देखने के बाद किसानों की आंखों में आंसू आ जाते हैं. क्या ऐसी सरकार होनी चाहिए? भारत भूमि और किसानों को कांग्रेस ने सजाया है, नहरें कांग्रेस ने दी हैं. आज अगर नहरें ना होतीं तो किसान भाई में फसलों का उत्साह नहीं होता."

"विद्यालय, अस्पताल कांग्रेस की देन हैं. अगर मोदी जी का बनाया हुआ कोई हॉस्पिटल दिखा दो तो हम भी खुश हो जाएंगे हमको काम चाहिए. हमें मोदी जी से कोई एलर्जी थोड़े ना है."

ज़िले के पत्रकार चांद खान बताते हैं, "कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को उतार कर मास्टरस्ट्रोक खेला है. रायबरेली उनकी मां की सीट रही है और राहुल गांधी को देश प्रधानमंत्री के रूप में भी देखा जा रहा है. राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं अगर राहुल गांधी रायबरेली सीट छोड़ेंगे तो उपचुनाव होगा तब शायद प्रियंका गांधी रायबरेली से प्रत्याशी होंगी."

रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ रहा है. इंदिरा गाधी रायबरेली से सांसद रहते हुए देश की प्रधानमंत्री रही हैं.

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी जनता पार्टी के राज नारायण से चुनाव हार गयी थीं. इस हार के साढ़े तीन सालों के अंदर रायबरेली की जनता ने इंदिरा गांधी को 1980 में वापस चुन लिया था. हालांकि, तब उन्होंने इस सीट को छोड़ कर मेडक सीट को अपने पास रखा था.

अमेठी से किशोरी लाल शर्मा के मैदान में उतारे जाने को लेकर चांद खान कहते हैं, ''अमेठी कांग्रेस की प्राइमरी पाठशाला है और किशोरी लाल शर्मा, गांधी परिवार के सदस्य जैसे हैं इसलिए उन्हें अमेठी से प्रत्याशी बनाया गया है."

राहुल गाँधी जब रायबरेली नामांकन के लिए पहुंचे तब बीजेपी समर्थकों ने 'राहुल गाँधी वापस जाओ' के नारे लगा कर राहुल गाँधी का विरोध किया.

व्यवसाई और बीजेपी समर्थक अनूप त्रिपाठी ने कहा कि ‘जब राहुल गाँधी नामांकन के लिए रायबरेली आए तब उनका विरोध हुआ क्योंकि सोनिया जी पिछले पांच साल सांसद रहते हुए रायबरेली नहीं आयीx इसको लेकर रायबरेली की जनता में नाराज़गी है, कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना बिलकुल भी आसान नहीं है.’

इमेज कैप्शन,नामांकन दाखिल करते दिनेश सिंह
वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिनेश सिंह एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं. उन्होंने भी शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल किया. उनके नामांकन के दौरान भी बीजेपी कार्यकर्ताओं की भीड़ देखी गई, हालांकि, यहां राहुल गांधी की तुलना में कम भीड़ थी.

नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, "आज कांग्रेस को राहुल गांधी की हार का डर है इसलिए उनके नामांकन में सभी लोग आए हैं. सोनिया जी जब कांग्रेस की अध्यक्ष नहीं थीं और रायबरेली से सांसद थीं तो पार्टी अध्यक्ष को रायबरेली क्यों नहीं आने दिया? पहली बार रायबरेली में कांग्रेस का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष आया है. यह प्रतीक है कि जो कहता है कि 'डरो मत', वो खुद कितना डरा हुआ है कि उसके साथ सोनिया, खड़गे और प्रियंका आए हैं. लेकिन मेरे साथ रायबरेली की जनता आयी है."

दिनेश सिंह के नामांकन में राज्य के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे. दिनेश सिंह ने ये भी दावा किया है कि उनकी रैली में ज़्यादा लोगों की भीड़ थी.

हिन्दू युवा वाहिनी के महामंत्री मारूत त्रिपाठी ने कहा, "दिनेश सिंह का नामांकन नहीं ये विजय जुलूस है और राहुल गांधी का टाटा-टाटा बाय-बाय खत्म हो रहा है."

वहीं बीजेपी नेता शशिकांत शुक्ला ने कहा, "कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा है. राहुल, अमेठी से वायनाड गए और वायनाड से रायबरेली आए हैं. रायबरेली से इटली जाएंगे. इसी उद्देश्य से हम लोग इस बार चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी के प्रत्याशी को भारी मतों से जिताकर कमल का फूल खिलाएंगे."

वैसे रायबरेली में गांधी परिवार को लेकर किसी तरह की नाराज़गी का भाव नहीं दिखता है. यूपीए सरकार के दौरान सोनिया गांधी के सांसद रहते हुए रायबरेली को रेल कोच फैक्ट्री, एम्स और निफ्ट जैसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान मिले.

लेकिन जब केंद्र से यूपीए की सरकार चली गयी तो सोनिया गांधी का रायबरेली आना कम हो गया था. केंद्र में सरकार ना होने के कारण सोनिया गांधी के पास रायबरेली की जनता को देने के लिए सांसद निधि की योजनाओं के लाभ के सिवाय कुछ नहीं बचा था.

इस पहलू को बीजेपी नेताओं ने कई बार मुद्दा बनाया कि सांसद सोनिया गांधी रायबरेली नहीं आती हैं. लेकिन इसका बहुत असर रायबरेली के आम युवाओं पर नहीं दिखता है.

रायबरेली के युवा संजय यादव ने कहा, "रायबरेली से राहुल गांधी का जीतना शत प्रतिशत पक्का है. यहां जो भी है वो सब कांग्रेस की देन है. बीजेपी ने पिछले दस सालों में रायबरेली में कोई काम नहीं किया है."

यहीं के अश्विनी भी इस बात से सहमत नज़र आते हैं. वो कहते हैं, ''रायबरेली में जो भी विकास हुआ है वो कांग्रेस ने किया है. बीजेपी ने 10 सालों में कुछ नहीं किया है. राहुल गांधी बहुत बड़ी मार्जिन से जीतने जा रहे हैं."

सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटी पूजा पटेल ने कहा, "हम लोग चाह रहे थे कि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ें और वो भारी मतों से जीतेंगे. वो युवाओं की बात करते हैं. हम लोग पीड़ित हैं, नौकरी आती है लेकिन पेपर लीक हो जाता है. हम लोगों को राहुल गाँधी से उम्मीद है क्योंकि वो स्टूडेंट्स की बात कर रहे हैं और राहुल गांधी आसानी से जीत जाएंगे."

रायबरेली के वरिष्ठ पत्रकार संजय मौर्या ने कहा, "लंबे समय से इंतज़ार था और अटकलें थीं कि गांधी परिवार से ही कोई प्रत्याशी आएगा. राहुल जी के आने से उत्साह बढ़ा है. दिनेश प्रताप पिछली बार भी अच्छा चुनाव लड़े थे और तीन लाख 68 हज़ार वोट पाए थे, पिछली बार मोदी जी के नाम की लहर थी. अभी दिनेश प्रताप सिंह राज्य सरकार में मंत्री हैं, लेकिन कोई लहर नहीं दिख रही है. इसलिए चुनाव रोचक होगा."

क्या है जातिगत समीकरण?
रायबरेली जनपद में लगभग 18 लाख मतदाता हैं. वैसे तो जातिगत आंकड़ों को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है लेकिन अनुमान के मुताबिक रायबरेली में सबसे अधिक संख्या दलित मतदाताओं की है.

रायबरेली में लगभग 35 फीसद दलित मतदाता हैं और इसमें सबसे अधिक पासी बिरादरी के मतदाता हैं जिनकी संख्या लगभग साढ़े चार लाख है.

वहीं ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाता लगभग 12-12 फीसदी हैं. राजपूत मतदाताओं की संख्या पांच फीसद के आसपास है, जबकि लोधी 6 फीसदी और कुर्मी 4 फीसदी हैं. (bbc.com/hindi)

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