ताजा खबर

महिलाएँ आमने-सामने, खूब बह रहा पसीना, देश की कोलधानी बड़ी प्रतिष्ठा की लड़ाई
04-May-2024 4:57 PM
महिलाएँ आमने-सामने, खूब बह रहा पसीना, देश की कोलधानी बड़ी प्रतिष्ठा की लड़ाई

  कोरबा के दौरे से लौटकर शशांक तिवारी की रिपोर्ट  

भाजपा को महतारी वंदन, कांग्रेस को नारी न्याय योजना का सहारा

रायपुर, 4 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। कोरबा लोकसभा भाजपा और कांग्रेस की महिला नेत्री की वजह से हॉट सीट बन गई है। यहां भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय को जिताने के लिए कई राज्यों के कार्यकर्ता दम लगा रहे हैं, तो दिग्गज कांग्रेस नेता डॉ. चरणदास महंत यहां अपनी पत्नी, मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत का कब्जा बरकरार के लिए पसीना बहा रहे हैं।  दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को ‘अपनों’ से ही खतरा दिख रहा है। प्रचार के आखिरी चरण में दोनों ही दलों ने ग्रामीण इलाकों में ताकत झोंकी है।

कोरबा ऐसी सीट है जहां पिछले चुनावों में मुकाबला नजदीकी रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योत्सना महंत ने करीब 26 हजार वोटों से सीट जीती थी। उनकी जीत इस मायने में महत्वपूर्ण रही कि मध्य भारत की जिन 3 सीटों पर कांग्रेस को कामयाबी मिली थी, उनमें कोरबा सीट भी थी। इस सीट से मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के पति पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत भी सांसद रहे हैं।

भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए पार्टी की राष्ट्रीय नेत्री, और पूर्व राज्यसभा सदस्य सरोज पाण्डेय को चुनाव मैदान में उतारा है। सरोज के उतरते ही मुकाबला रोचक हो गया है। सरोज के प्रत्याशी बनने के बाद से उन्हें बाहरी करार देने में कांग्रेस के लोग जुटे हैं। यद्यपि पार्टी ने सरोज को यहां की ‘पालक’ सांसद बनाया था। महंत दबदबे वाले इस इलाके में सरोज ने माहौल को अपने अनुकूल करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है।

करीब 16 लाख मतदाताओं वाली इस सीट की पालीतानाखार, रामपुर, मरवाही, और भरतपुर-सोनहट विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट है। बाकी चार सीटें मनेन्द्रगढ़, कटघोरा, कोरबा, और बैकुंठपुर अनारक्षित है। विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है, और यहां 6 सीटों पर भाजपा, रामपुर कांग्रेस और पाली-तानाखार सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के खाते में गई है। इस लोकसभा क्षेत्र के 40 फीसदी से अधिक मतदाता आदिवासी वर्ग के हैं, लिहाजा यहां आदिवासी समाज के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। वैसे तो यहां 27 प्रत्याशी मैदान में हैं। मगर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। 

कांग्रेस और भाजपा से परे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। गोंगपा से श्याम लाल सिंह मरकाम प्रत्याशी हैं। जो कि भरतपुर-सोनहत के रहने वाले हैं। मरकाम ने विधानसभा चुनाव में भरतपुर-सोनहत से करीब 33 हजार वोट हासिल किए थे। इस लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों पर गोंडवाना की ताकत काफी बढ़ी है। लोकसभा चुनाव में भी कई इलाकों में दमदार मौजूदगी का अहसास करा रहे हैं।

इस संवाददाता ने कोरबा जिले की सबसे रामपुर इलाके में मतदाताओं से चर्चा कर उनका रूख जानने की कोशिश की। रामपुर से कांग्रेस के एकमात्र विधायक फूलसिंह राठिया हैं, और वो ज्योत्सना महंत को भारी बढ़त दिलाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। यहां आदिवासी समाज के कंवर और राठिया बिरादरी के मतदाता ज्यादा संख्या में हैं। इसके अलावा पिछड़े वर्ग के लोग भी अच्छी खासी संख्या में हैं। बुंदेली गांव के राठिया समाज के युवक मनोहर का कहना है कि उनके गांव में पंजा छाप का जोर है। साहू समाज के लोग भी हैं, जो कि  कमल के पक्ष में दिख रहे हैं।

फूलसिंह राठिया का समाज में अच्छी पकड़ है। इसको भांपकर भाजपा ने राठिया समाज के कई लोगों को अपनी पार्टी में प्रवेश दिलवाया है। पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर भी मेहनत कर रहे हैं। इसी तरह जोगीपाली और आसपास के गांव में भी कांग्रेस का भी दबदबा कायम दिख रहा है, लेकिन हाल के दिनों में रामपुर में सरोज और भाजपा के रणनीतिकारों ने काफी मेहनत की है। सरोज पाण्डेय खुद तकरीबन हर पंचायतों में जा चुकी है, और वो अपनी बढ़त को लेकर आश्वस्त भी है। जबकि महंत से जुड़े लोग रामपुर में बड़ी बढ़त की उम्मीद से हैं। पिछले चुनाव में भी यहां से कांग्रेस को अच्छी बढ़त मिली थी, मगर इस बार ज्योत्सना महंत को यहां बड़ी बढ़त के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।

रामपुर की तरह पाली-तानाखार और मरवाही भी कांग्रेस का गढ़ रहा है। यद्यपि मरवाही विधानसभा सीट भाजपा के खाते में चली गई। यहां जोगी पार्टी के गुलाब सिंह राज दूसरे नंबर पर रहे। अब गुलाब सिंह राज, कांग्रेस में शामिल हो गए। यहां पेंड्रा, गौरेला, और मरवाही कस्बे में तो भाजपा की पकड़ दिखती है, लेकिन गांवों में कांग्रेस की पकड़ बरकरार है। 

पाली तानाखार से भाजपा के सबसे बड़ी सिरदर्द दिख रही है। यह एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां भाजपा कभी बढ़त हासिल नहीं कर पाई। पिछले लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा 61 हजार की बढ़त यहां कांग्रेस को मिली थी। ज्योत्सना महंत ने पाली तानाखार और रामपुर के बूते पर लोकसभा फतह हासिल करने में सफल रहीं। इस बार गोंगपा भी दमदार है, यहां से विधायक तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम हैं। मगर कांग्रेस अब भी बेहतर स्थिति में हैं।

पिछले चुनावों से सबक लेकर भाजपा यहां विशेष ध्यान दे रही है, और अलग-अलग सेक्टर बनाकर पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा की कोशिश है कि यहां कांग्रेस की बढ़त न्यूनतम रहे।

इससे परे कोरबा और कटघोरा में भाजपा की स्थिति बेहतर दिख रही है। तकरीबन हर लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर भाजपा को बढ़त मिलती रही है। मगर इस बार बस्तियों में नारी न्याय योजना यानी हर महीने 8333 रुपये की गूंज है। भाजपा सरकार ने महतारी वंदन योजना की एक-एक हजार की तीन किश्त जारी की है, लेकिन कांग्रेस के लोक लुभावन न्याय योजना से विशेषकर गरीब महिलाएं काफी प्रभावित दिख रही हैं। कटघोरा के ग्रामीण इलाकों में भी इसका असर दिख रहा है। यहां कोयला खानों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या अच्छी खासी है और उनमें नारी न्याय योजना की काफी चर्चा है। 

कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि नारी न्याय योजना का जबर्दस्त फायदा मिलेगा। यह दावा किया जा रहा है कि 10 लाख फॉर्म भरवाए गए हैं, और उनसे वादा किया गया है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर 8333 रूपए महिलाओं के खाते में जाएंगे। कांग्रेस के लोग बकायदा फोन लगाकर महिलाओं से संपर्क कर रहे हैं, और उन्हें कांग्रेस को वोट देने की अपील भी कर रहे हैं। नारी न्याय योजना के चलते भाजपा में बेचैनी दिख रही है। फिर भी अयोध्या में राम मंदिर और मोदी फैक्टर का शहर में कुछ हद तक प्रभाव दिख रहा है। 

सरोज की टिकट से भाजपा के कई और दावेदार खिन्न रहे हैं और ऊपरी तौर पर काम करते दिख रहे हैं। मगर ज्यादा मेहनत नहीं हो रही है। सरोज को इस बात का अंदाजा भी है, और यही वजह है कि कमजोर इलाकों में उनके करीबी लोग मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सरोज पार्टी की बड़ी नेता है, और उनके लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, और हैदराबाद से भी कई लोग आए हैं, और प्रचार की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

दूसरी तरफ, डॉ.महंत अनुभवी नेता हैं, और भाजपा के कई बड़े नेता उनके प्रशंसक रहे हैं। पिछले चुनावों में असंतुष्ट नेताओं से जिस तरह मदद मिलती रही है, उतना शायद इस बार न मिल पाए। एक खतरा और है कि उनके कई करीबी नेताओं की सहानुभूति सरोज पांडेय के लिए हो सकती है। हालांकि सरोज पांडेय को बाहरी बताने की कोशिश भी हुई है और वो इसका माकूल जवाब भी दे रही हैं। वैसे तो कांग्रेस से भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू और देवेन्द्र यादव भी अपने क्षेत्र से बाहर की सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन बाहरी की हवा सरोज के लिए ज्यादा बन रही है। सरोज यह बताने में पीछे नहीं है कि खुद ज्योत्सना महंत भी जांजगीर-चांपा की रहने वाली हैं।  

पिछले लोकसभा चुनाव में अविभाजित कोरिया जिले की तीनों सीट भरतपुर-सोनहत, बैकुंठपुर, और मनेन्द्रगढ़ में भाजपा को बढ़त मिली थी। इस बार भी बढ़त को बरकरार रखने की कोशिश हो रही है। हालांकि डॉ. महंत और उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत भरसक प्रयास कर रहे हैं। मनेन्द्रगढ़ और चिरमिरी का शहरी इलाका भाजपामय है तो ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की पकड़ दिख रही है। बैकुंठपुर में भाजपा में कलह दिख रही है। सीएम की एक सभा में भीड़ नहीं जुटी तो पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े को इसके लिए फटकार सुननी पड़ी। फिर भी यहां भाजपा बेहतर स्थिति में दिख रही है।

भरतपुर-सोनहत में कांटे का मुकाबला है। जहां पूर्व विधायक गुलाब कमरो खूब मेहनत कर रहे हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी श्याम लाल सिंह मरकाम यहीं के रहने वाले हैं। लिहाजा गोंगपा को सबसे ज्यादा उम्मीदें इसी इलाके से है। कुल मिलाकर यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच बराबरी की टक्कर है।

पिछले चुनाव में कोरबा में मुकाबला नजदीकी रहा है। इस बार भी कुछ ऐसी ही स्थिति बन रही है। हार-जीत का अंतर बहुत कम रहने का अनुमान है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news