राष्ट्रीय

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की जमानत पर लगाई रोक
25-Jun-2024 5:05 PM
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की जमानत पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 25 जून । दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। इसका मतलब है कि केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे। जमानत पर अंतरिम रोक लगाते हुए इस मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार को इस पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति सुधीर जैन ने कहा कि दस्तावेजों और तर्कों को ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। 20 जून को दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री को जमानत दे दी थी। इसके बाद ईडी तुरंत अगले ही दिन हाई कोर्ट पहुंच गई, जिसने अंतिम आदेश आने तक आदेश पर रोक लगा दी।

अब न्यायमूर्ति जैन ने अपने अंतिम आदेश में कहा है कि निचली अदालत की अवकाश पीठ ने सारे तथ्यों को ठीक से नहीं देखा। उसे जमानत आवेदन पर बहस करने के लिए ईडी को समान अवसर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अन्य तर्कों पर रोस्टर बेंच द्वारा विचार किया जाएगा। ईडी ने निचली अदालत में आदेश की घोषणा के बाद जमानत बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए 48 घंटे की मोहलत मांगी थी। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने ईडी की याचिका को खारिज कर दिया था। ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा की वेकेशन बेंच के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दलील दी थी। उन्होंने तर्क दिया था, "मैं तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहा हूं। कल रात 8 बजे आदेश सुनाया गया। आदेश अपलोड नहीं किया गया है। हमें जमानत का विरोध करने का भी अवसर नहीं दिया गया।"

उन्होंने कहा, "मैं मांग कर रहा हूं कि आदेश पर रोक लगाई जाए और मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए। हमें मामले पर बहस करने का पूरा अवसर नहीं दिया गया। मैं पूरी गंभीरता के साथ यह आरोप लगा रहा हूं।" सीएम केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कानूनी मिसालों का हवाला देते हुए रोक लगाने के अनुरोध का विरोध किया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले की पूरी सुनवाई होने तक जमानत आदेश लागू नहीं किया जाना चाहिए। रिहाई पर रोक लगाते हुए पीठ ने कहा, ''जमानत आदेश लागू नहीं होगा। हमने अभी अंतिम आदेश पारित नहीं किया है। आप जितना चाहें बहस कर सकते हैं।'' -(आईएएनएस)

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