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नयी दिल्ली, 4 अक्टूबर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर अक्टूबर के मध्य में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करेंगे।
लगभग नौ वर्षों के बाद यह पहली बार होगा कि भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जबकि कश्मीर मुद्दे और आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच रिश्तों पर बर्फ जमी हुई है।
पाकिस्तान अक्टूबर के मध्य में एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी करेगा।
अंतिम बार सुषमा स्वराज ने भारत की विदेश मंत्री के रूप में पाकिस्तान का दौरा किया था। वह दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान को लेकर हुए एक सम्मेलन में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद गई थीं।
जयशंकर की यात्रा की घोषणा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने की।
जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘विदेश मंत्री एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए हमारे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह सम्मेलन 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में आयोजित किया जाएगा।’’
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री केवल एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जायेंगे।
अगस्त में पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया था।
जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे नई दिल्ली की ओर से एक बड़े फैसले के रूप में देखा जा रहा है।
वरिष्ठ मंत्री को भेजने के निर्णय को एससीओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में फरवरी, 2019 में भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गये थे।
दोनों देशों के बीच रिश्ते और बिगड़ गए, जब पांच अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को सीमित कर दिया था।
भारत लगातार कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य बनाना चाहता है और साथ ही इस बात पर जोर देता रहा है कि इस तरह के संबंधों के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है।
पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए मई 2023 में भारत आए थे।
यह लगभग 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी।
एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद का सम्मेलन समूह का दूसरा सबसे बड़ा मंच है।
भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान से मिलकर बना एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है, जो सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
भारत पिछले साल एससीओ का अध्यक्ष था। उसने पिछले साल जुलाई में डिजिटल तरीके से एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
एससीओ के साथ भारत का जुड़़ाव 2005 में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में शुरू हुआ था। वर्ष 2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में यह एससीओ का पूर्ण सदस्य देश बन गया।
पाकिस्तान भी 2017 में भारत के साथ इसका स्थायी सदस्य बना था। (भाषा)