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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 जुलाई। सरकार के चार मंत्री गुरूवार को राजभवन पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से मिलकर लंबित पांच विधेयकों को मंजूरी देने का आग्रह किया। मंत्रियों ने उन्हें बताया कि विधेयकों में से विश्वविद्यालय अधिनियम संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं मिलने से चार विश्वविद्यालयों में कुलपति चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। राज्यपाल ने कानूनी प्रावधानों का परीक्षण कर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है।
संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे के साथ वनमंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया और उच्च शिक्षा उमेश पटेल ने आज दोपहर राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से मुलाकात की। उन्हें बताया कि विधानसभा के बजट सत्र में पारित विधेयकों में से पांच विधेयकों को अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। इनमें से उच्चशिक्षा विभाग के दो विधेयक भी हैं।
विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक में कुलपति की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल से हटकर सरकार को दिया गया है। इसी तरह कुलपति चयन समिति में यूजीसी के प्रतिनिधि के होने की अनिवार्यता को खत्म किया गया है। इन विधेयकों पर राज्यपाल ने सरकार से कुछ जानकारियां मांगी थी। विभाग की तरफ से जवाब भी भेज दिया गया था। बावजूद इसके मंजूरी नहीं मिल पाई। सूत्र बताते हैं कि बैठक में मंत्रियों ने राज्यपाल को बताया कि कुलपति की नियुक्ति के लिए गुजरात सहित कई राज्यों में इसी तरह की व्यवस्था है।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछली सरकार ने दो विश्वविद्यालय के कुलपति चयन में यूजीसी के प्रतिनिधि की अनिवार्यता को खत्म किया था। इसके अलावा तीन और विधेयक हैं। जिन्हें मंजूरी नहीं मिल पाई है। राज्यपाल ने कहा कि जल्द ही प्रमुख सचिव विधि और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर कानूनी प्रावधानों की जानकारी लेंगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द से जल्द इसका निराकरण कर लिया जाएगा।
अनुसूचित क्षेत्र में नगर पंचायतों के
गठन पर राज्यपाल ने जताई आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आदिवासी मंत्रणा परिषद की सहमति के बिना अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायतों के गठन पर नाराजगी जताई। उन्होंने इसको नियम विरूद्ध करार दिया।
मंत्रियों ने उन्हें बताया कि यह फैसला पिछली सरकार का था। वर्ष 2012 में अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत का गठन किया गया था। राज्यपाल ने तेंदूपत्ता बोनस को लेकर भी जानकारी ली। इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने वस्तुस्थिति स्पष्ट की।