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लॉकडाउन के बाद देश में हर पांचवां बेरोजगार : सर्वेक्षण
24-Jul-2020 9:49 AM
लॉकडाउन के बाद देश में हर पांचवां बेरोजगार : सर्वेक्षण

नई दिल्ली,  (आईएएनएस)| कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में ढील के बाद देश में हर पांचवे व्यक्ति में एक बेरोजगार हो गया है। यह बात आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के नतीजों से सामने आई है। सर्वेक्षण में 1723 लोगों को शामिल किया गया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, 21.57 फीसदी लोगों की या तो पूरी तरह छटनी हो गई है या वे बेकार हो गए हैं। सर्वेक्षण से यह भी संकेत मिलता है कि 25.92 फीसदी लोग अभी तक उसी आय या वेतन पर नियमन और सुरक्षा उपायों के तहत काम कर रहे हैं जबकि 7.09 फीसदी लोग घरों से काम कर हैं और उनके वेतन में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गई है।

केंद्र सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन कर दिया जबकि अनलॉक की प्रक्रिया एक जून से शुरू हुई। यह सर्वेक्षण 24 जून से 22 जुलाई के दौरान करवाया गया जो परिवार के कमाने वाले प्रमुख सदस्य की स्थिति पर आधारित था।

सर्वेक्षण के अनुसार 8.33 फीसदी लोगों की आय घट गई लेकिन वे नियमन व सुरक्षा उपायों के तहत काम कर रहे हैं जबकि आठ फीसदी लोग घरों से काम कर रहे हैं और उनके वेतन में कटौती हुई है या आय कम हो गई है।

सर्वेक्षण से इस बात का भी संकेत मिलता है कि लॉकडाउन में ढील के बाद देश में 6.12 फीसदी लोगों के पास आय का कोई साधन नहीं है जबकि 1.2 फीसदी लोग अभी तक काम कर रहे हैं लेकिन उनको वेतन नहीं मिल रहा है।

ताजा सर्वेक्षण के नतीजे और अनुमान सीवोटर द्वारा करवाले गए रोजाना पोल पर आधारित है जिसमें पूरे राज्य से 18 से अधिक उम्र के लोगों को शामिल गया गया है।

कोविड-19 संकट के बीच, 23.97 लोगों ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। आईएएनएस-सीवोटर द्वारा 1,723 लोगों पर किए गए सर्वे से यह जानकारी मिली।

कुल 8.15 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद वे पहले की सैलेरी या आय पर काम कर रहे हैं। वहीं 8.28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने वेतन में कटौती का सामना किया।

वहीं 3.23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे लॉकडाउन से पहले फुल-टाइम जॉब करते थे और अब पार्ट टाइम जॉब करते हैं।

वहीं कम से कम 7.59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वे वेतन बिना अवकाश का सामना कर रहे थे या फिर उनका काम रूक गया था और लॉकडाउन के दौरान उनके पास कोई आय नहीं था।

इसबीच, 27.72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस दौरान सरकार और उसके नियोक्ता के नियम के अंदर काम कर रहे थे।

केवल 2.66 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी ले रहे थे। हालांकि 2.32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे और उन्हें कम सैलरी मिल रही थे। 

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