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अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में हिंदू भारतीयों का वोट अहम कैसे हो गया?
17-Aug-2020 5:44 PM
अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में हिंदू भारतीयों का वोट अहम कैसे हो गया?

अमरीका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल डोमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने अमरीकी भारतीयों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया है.

इसमें उन्होंने कहा है कि ”कोरोना महामारी से लड़ने से लेकर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और प्रवासन से जुड़े सुधारों के लिए भारतीय अमरीकी जो बाइडन और कमला हैरिस प्रशासन पर भरोसा कर सकते हैं.”

आगामी चुनावों में भारतीय मूल की कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं.

इससे पहले जो बाइडन ने अमरीकी मुसलमानों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया था जिसमें कश्मीर के मुद्दे और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के बारे में कहा गया था. इस विज़न डॉक्यूमेंट से कई अमरीकी भारतीय नाराज़ हो गए थे.

भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर जो बाइडन और कमला हैरिस ने अमरीकी भारतीयों के नाम एक विशेष वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि अमरीकी और यहां रहने वाले भारतीय मिलकर देश को विकास के पथ पर ले जा सकते हैं.

समझा जा रहा है कि अमरीकी भारतीयों ख़ास कर कट्टर हिंदुओं का झुकाव मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ हो सकता है क्योंकि उन्हें भारत के समर्थक के रूप में देखा जाता रहा है. कश्मीर और विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून के मामले में ट्रंप प्रशासन अधिकतर चुप ही रहा है, जबकि प्रमिला जयपाल और बर्नी सैंडर्स जैसे डेमोक्रेट नेता इन विषयों पर बोलते रहे हैं.

साथ ही सितंबर 2019 में अमरीका के ह्यूस्टन में ट्रंप का शामिल होना और इसी साल फरवरी में ट्रंप का भारत दौरा भी ट्रंप के पक्ष में अमरीकी भारतीयों के झुकाव का कारण हो सकता है.

डेमोक्रेट्स के बीच भी अमरीकी भारतीयों के एक तबके का मानना है कि कुछ डेमोक्रेट नेताओं के बयानों का फायदा ट्रंप को मिल सकता है.

अमरीकी भारतीयों के विज़न डॉक्यूमेंट में क्या है ख़ास?

इस चुनावी दस्तावेज़ में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों देशों में और पूरे इलाक़े में आतंकवाद के मुद्दे पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर काम किया है. बाइडन का मानना है कि पूरे दक्षिण एशिया में सीमा पार से आंतकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

भारत के साथ मिलकर बाइडन प्रशासन भारत प्रशांत इलाक़े में स्थायित्व लाने की कोशिश करेगा ताकि चीन समेत कोई और देश अपने पड़ोसियों को धमका न सके.

हिंदू, सिख, मुसलमान, जैन और दूसरे संप्रदायों के सभी अमरीकी भारतीयों के ख़िलाफ़ हाल के दौर में नस्लीय हिंसा बढ़ी है. आज उन्हें ये भरोसा दिलाने की ज़रूरत है कि वॉशिंगटन में बैठे नेताओं का समर्थन उनके साथ होगा.

राष्ट्रपति के तौर पर जो बाइडन ख़ुद नफरत से प्रेरित हमलों के ख़िलाफ़ खड़े होंगे और इस तरह का क़ानून पारित कराएंगे जिसके तहत नफरत से प्रेरित अपराध करने वाले पर हथियार खरीदने और रखने की पाबंदी लगाई जा सके.

जो बाइडन ये सुनिश्चित करेंगे कि देश के प्रवासन नियमों में परिवार को साथ रखने पर ध्यान दिया जाएगा और परिवार के लिए वीज़ा के पहले से पड़े मामलों को जल्द निपटाया जाएगा. देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वो परमानेंट और नौकरियों के लिए वीज़ा की संख्या बढ़ाएंगे और विज्ञान तकनीक, इजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक पीएचडी कर चुके छात्रों पर लगी रोक को हटाएंगे.

हाई स्किल्ड लोगों के लिए अस्थायी वीज़ा के नियमों में सुधार की कोशिश की जाएगी और देशों के आधार पर सीमित संख्या में ग्रीन कार्ड जारी की संख्या भी बढ़ाएंगे.
अमरीकी मुसलमानों के लिए विज़न डॉक्यूमेंट से बढ़ी थी नाराज़गी

हाल में जो बाइडन ने अमरीकी मुसलमानों के लिए जो विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया था उसमें कश्मीर और एनआरसी का ज़िक्र था जिससे कई लोग नाराज़ हो गए थे.

कई लोग इस चुनावी दस्तावेज़ को कश्मीर के मुद्दे पर कमला हैरिस के बयानों के साथ जोड़ कर देख रहे हैं. इस तरह के कई वीडियो यूट्यूब पर मौजूद हैं.

विज़न डॉक्यूमेंट में जो बाइडन ने कहा था, “भारत सरकार को ऐसे सभी कदम उठाने चाहिए जिससे कश्मीर में रहने वालों के अधिकारों कों को बहाल किया जा सके.”

“शांतिपूर्ण विरोध पर पाबंदी, इंटरनेट बंद करने या धीमा करने जैसे कदम उठाकर विरोध करने पर पाबंदियां लगाने पर गणतंत्र कमज़ोर होता है.”

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और उसके बाद लगे प्रतिबंधों को लेकर कमला हैरिस का रुख भारत सरकार के विपरीत रहा है.

सितंबर 2019 को टेक्सस के ह्यूस्टन में आयोजित एक इवेंट में उनसे कश्मीर में फ़ोन व इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध और लोगों को हिरासत में लेने के बारे में पूछे गए सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा था, “हम लोगों को ये बताना चाहते हैं कि वो अकेले नहीं हैं, हम नज़र बनाए हुए हैं. एक राष्ट्र के तौर पर ये हमारे मूल्यों का हिस्सा है कि हम मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बोलते हैं, और जहां ज़रूरी होता है, हम दख़ल भी देते हैं.”

विवादित एनआरसी पर इस डॉक्यूमेंट में कहा गया है, “असम में एनआरसी लागू करने और नागरिकता संशोधन के प्रस्तावित मसौदे को क़ानून बनाने के भारत सरकार के फ़ैसले को जो बाइडन दुर्भाग्यजनक मानते हैं.”

बाइडन के लिए बढ़ी चुनौतियां

इस दस्तावेज़ के जारी किए जाने के बाद कई हलकों से हिंदू धर्म को मानने वाले अमरीकी भारतीयों के लिए भी इसी तरह के चुनावी दस्तावेज़ की मांग होने लगी थी.

बाइडन के चुनाव अभियान के अनुसार अमरीका में क़रीब 13.1 लाख ऐसे अमरीकी भारतीय वोटर हैं जिनका रुझान आठ चुनाव क्षेत्रों में निर्णायक साबित हो सकता है.

बाइडन के चुनावी अभियान में कश्मीर और एनआरसी के ज़िक्र के बाद अब अमरीकी भारतीयों को अधिक तवज्जो दी जा रही है.

14 और 15 अगस्त को बाइडन ने अमरीकी भारतीयों और पाकिस्तानियों के लिए वर्चुअल कार्यक्रम भी आयोजित किए थे.

इधर चुनाव की तैयारियों में जुटा ट्रंप खेमा भी भारतीय अमरीकी वोटों के एक बड़े तबके के समर्थन की उम्मीद कर रहा है.

ट्रंप विक्ट्री इंडियन अमरीकन फाइनेंस कमिटी के एक आकलन के अनुसार “भारतीय अमरीकी वोटर्स में से क़रीब आधे वोट बाइडन की बजाय ट्रंप के पक्ष में जा सकते हैं.”

एक विश्लेषक के अनुसार “भारत में मुसलमानों के साथ क्या कुछ हो रहा है ये पूरी दुनिया देख रही है, इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को नुक़सान पहुंचा है... लिंचिंग, लोगों को मार देना, ये हमारी छवि का हिस्सा बन गई है.”(BBCNEWS)

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