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प्रियम का क्रिकेट के मैदान पर सफर मुश्किलों से भरा रहा
03-Oct-2020 4:10 PM
प्रियम का क्रिकेट के मैदान पर सफर मुश्किलों से भरा रहा

दुबई। शुक्रवार को चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद  के बीच हुए मुकाबले में क्रिकेट प्रेमियों को एक नया स्टार देखने को मिला। ये हैं सनराइजर्स के युवा बल्लेबाज़- प्रियम गर्ग। वो बल्लेबाज़ जिसकी धमाकेदार हाफ सेंचुरी की चर्चा हर तरफ हो रही है। प्रियम ने चेन्नई के खिलाफ सिर्फ 26 गेंदों पर 51 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली। खास बात ये रही कि उन्होंने ये पारी ऐसे वक्त पर खेली जब सनराइजर्स के बड़े से बड़े स्टार पेविलियन लौट चुके थे। अंडर 19 वल्र्ड कप में टीम इंडिया की कप्तानी कर चुके प्रियम का क्रिकेट के मैदान पर सफर मुश्किलों से भरा रहा है। प्रियम के संघर्ष की कहानी आपको भावुक कर देगी।

11 साल की उम्र में मां को खोया

उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर कि़ला परिक्षितगढ़ के रहने वाले प्रियम ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया। मां का सपना था कि बेटा क्रिकेटर बने। बेटा आज कामयाब क्रिकेटर बन गया है, लेकिन मां ये देखने के लिए जिंदा नहीं है। साल 2011 में मां की मौत के बाद प्रियम ने अपने सपनों को साकार करने के लिए जमकर मेहनत की। हर दिन वो पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट के मैदान पर 7-8 घंटे कि प्रैक्टिस करते थे। लिहाजा 7 साल बाद यानी साल  2018 में उनका उत्तर प्रदेश की रणजी टीम में चयन हो गया।

पिता के लिए खर्च चलाना था मुश्किल

प्रियम के पिता नरेश गर्ग उन दिनों घर का खर्चा चलाने के लिए स्कूल वैन चलाते थे। प्रियम पांच भाई बहन हैं। परिवार बड़ा था। ऐसे में उनके पिता के लिए घर चलाना मुश्किल चुनौती थी। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने क्रिकेट में प्रियम की दिलचस्पी को देखते हुए कभी कोई कमी नहीं होने दी। क्रिकेट किट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो पिता ने अपने दोस्त से उधार लेकर बेटे की डिमांड पूरी की। 6 साल की उम्र से ही प्रियम को उनके पिता क्रिकेट कोचिंग के लिए भेजने लगे। आज उनके पिता की ये मेहनत रंग ला रही है।

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