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जसप्रीत बुमराह: पाँच साल पहले जहां डेब्यू किया था उसी मैदान पर टिका है टीम इंडिया का सारा दारोमदार
07-Jan-2021 4:15 PM
जसप्रीत बुमराह: पाँच साल पहले जहां डेब्यू किया था उसी मैदान पर टिका है टीम इंडिया का सारा दारोमदार

-ज्योफ़ लेमन

जसप्रीत बुमराह को पहली बार गेंदबाज़ी करते देखने वाले हर शख़्स की नज़रें इस गेंदबाज़ पर ठहर जाएंगी. बीते पाँच साल से इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी गेंदबाज़ी का जलवा बिखेर रहे बुमराह का एक्शन है ही इतना अनोखा.

बुमराह कुछ मायनों में कॉमिकल अंदाज़ में गेंदबाज़ी करते हैं. वे छोटे रनअप में धीमी गति से दौड़ते हैं. हालांकि उनके घुटने लहराते हुए दिखते हैं. उनके हाथ मजबूती से एक दूसरे को गेंद के साथ थामे रहते हैं जबकि कोहनी बाहर की ओर निकलती दिखाई देती है. जसप्रीत बुमराह को देखकर यह अंदाजा होता है कि वे छलांग लगाकर कोई घेरा पार करना चाहते हैं.

दाएं हाथ के गेंदबाज़ों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने बाएं हाथ को ऊपर ले जाएं और दायां हाथ नीचे लाएं. जब बायां हाथ नीचे आए तो दाहिने हाथ को ऊपर ले जाएं. ऐसा करने से तेज़ गेंदबाज़ों को गति मिलती है. लेकिन बुमराह जब अंपायर को क्रॉस करते हैं तो उनके दोनों हाथ सामने होते हैं. ऐसा लगता है कि कोई बच्चा सुपरमैन का खेल खेल रहा हो और तभी उनका दाहिना हाथ ऊपर उठने लगता है. वह सिर के ऊपर जाता है.

आख़िर में बायां हाथ नीचे आता है. वह पहले हॉरिजेंटली सामने की ओर होता है और फिर नीचे आता है जबकि दाहिना हाथ चक्र की तरह पूरा घूम जाता है. ऐसा लगता है कि घड़ी की आकृति बनती है और उसमें नौ बजे वाली स्थिति के वक्त उनकी कोहनी थोड़ी बाहर की ओर निकली होती है. फिर उनके दोनों हाथ नीचे आ रहे होते हैं और जादू की मानिंद गेंद हाथों से ग़ायब हो जाती है. इस वक्त उनको देखना मोहक है. बायां पैर मजबूती से आगे नजर आता है और दाहिना हाथ हवा को चीरता हुआ नीचे आता है. कैजुअल अप्रोच से शुरू हुई इस प्रक्रिया में बुमराह के हाथ से जब गेंद छूटती है तो गोली की मानिंद उसकी रफ्तार 90 मील प्रति घंटे से ज़्यादा होती है.

कुछ मौकों पर यह गेंद दाहिनी ओर झुककर दूर निकलती दिखती है. कई बार यह रिवर्स स्विंग कर अनुमान के विपरीत दिशा में जाकर बल्लेबाज़ को चौंकाती है. कुछ मौकों पर यह परफैक्ट यॉर्कर होता है. ट्वेंटी-20 के छोटे फॉरमेट में बुमराह चार ही ओवरों में अपना काम बखूबी कर जाते हैं जबकि टेस्ट मैचों में वे पूरे दिन ऐसा करने का दमखम रखते हैं.

बुमराह के साथ इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई की टीम के साथ तीन सीजन खेल चुके ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर बेन कटिंग ने कहा, "जब आप बड़े हो रहे होंगे तब ऐसे किसी गेंदबाज़ का सामना नहीं किया होगा. वे बेहद मारक गेंदबाज़ हैं लेकिन इसका एहसास नहीं होता. वह चुपके से आते हैं और अचानक किसी गुलेल की भांति गेंद को फेंकते हैं."

"ट्रेनिंग के दौरान मैंने उनका थोड़ा बहुत सामना किया है. जब आप वानखेड़े स्टेडियम के मध्य में खड़े हैं. ओस की नमी से गेंद वैसे ही तेज़ी से आ रही हो और आपके सामने दुनिया का नंबर एक गेंदबाज़ हो. मैंने ऑफ़ स्टंप से भी आगे का गार्ड लिया ताकि वह यॉर्कर गेंद फेंके, मेरी पसलियां ना तोड़े."

ये कुछ कारण हैं जो बुमराह को तेज़ गेंदबाज़ी का स्टार बनाते हैं.

वैसे बुमराह काफी हैंडसम क्रिकेटर हैं. उनकी दाढ़ी एक तरह डिजाइनर होने का एहसास करती है. उनकी मुस्कान चमकती है. और मोटे चश्मे और पांव से कसी जींस उन्हें क्रिकेट के लिहाज से काफी फैशनबल क्रिकेटर बनाती है.

वे मुस्कुराते भी बहुत हैं. मैदान में उनका मुस्कुराना तनाव को कुछ कम करता दिखता है. वे बेहद सामान्य पृष्ठभूमि के परिवार से आते हैं और गलियों में क्रिकेट खेलते हुए वे आईपीएल तक पहुंचे हैं. आईपीएल में अपनी शानदार गेंदबाज़ी के बाद वे भारत के लिए टेस्ट और वनडे मैचों के सबसे घातक तेज़ गेंदबाज़ बनकर उभरे हैं.

2018 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करते हुए उन्होंने कहा था, "मेरी गेंदबाज़ी का एक्शन ऐसा कैसे हुआ, ये नहीं बता सकता. बचपन में मैं काफी टेलिविजन देखा करता था. सबके एक्शन की नकल भी खूब करता था. हो सकता है वहीं से विकसित हुआ हो. छोटे रनअप की एक वजह यह हो सकती है कि मैं टेनिस बॉल से कॉफी खेलता था. हमारे खेलने की जगह भी छोटी थी. हमलोग वहीं खेल सकते थे."

खेलने की यह जगह वास्तविकता में अहमदाबाद के एक विशाल अपार्टमेंट में कार पार्क की जगह थी. गुजरात से निकले कम ही क्रिकेटर भारतीय टीम का हिस्सा बन पाए हैं. इतना ही नहीं बुमराह को मुश्किल चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. जब वे महज पांच साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया. स्कूल टीचर मां ने बुमराह और उनकी बहन का पालन पोषण किया.

बुमराह तो क्रिकेट के दीवाने थे और बचपन से ही उनमें तेज़ी थी. वे पहले स्कूली टीमों में शामिल हुए फिर राजस्तरीय क्रिकेट में जगह बनाई और 2013 में आईपीएल का हिस्सा बने.

बेन कटिंग बताते हैं, "मुझे बुमराह के संघर्ष के बारे में थोड़ा बहुत पता है क्योंकि वे बेहद सहज और सरल शख्स हैं. आप उनके साथ कुछ भी बात कर सकते हैं. वे इतने अच्छे ढंग से यॉर्कर गेंद इसलिए डाल पाते हैं क्योंकि जब उनकी मां सो रही होती थीं तब वे अपनी बॉलकोनी में गेंदबाज़ी का अभ्यास करते थे और गेंद इस तरह से फेंकते थे कि ज़्यादा आवाज़ नहीं हो और उनकी मां की नींद ना टूटे."

ऐसी परिस्थितियों में लगातार अभ्यास के चलते ही बुमराह वहां तक पहुंच पाए हैं जहां आज मौजूद हैं. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मौजूदा टेस्ट सिरीज़ के दूसरे मैच में उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में पहली पारी में उन्होंने चार विकेट चटकाए जबकि दूसरी पारी में उन्होंने छह विकेट झटक कर टीम इंडिया को सिरीज़ में बराबरी दिलाई.

ठीक दो साल पहले, उन्होंने टेस्ट मैच की पहली पारी में छह विकेट चटकाए थे और पूरे मैच में नौ विकेट झटक कर भारत को टेस्ट सिरीज़ में बढ़त दिलाई थी, जहां से भारत सिरीज़ जीतने में कामयाब हुआ था.

इससे भी दो साल पहले यानी 2016 में बुमराह ने ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन से ही वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था. पहली सिरीज़ के दौरान वे उभरते हुए युवा गेंदबाज़ थे. उन्हें पांचवें वनडे मैच में डेब्यू करने का मौका मिला था. टीम इंडिया अपने पहले चार वनडे मैच हार चुकी थी. लेकिन आईपीएल के तीन सीजन के अनुभव के चलते बुमराह सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में बिलकुल भयभीत नहीं थे.

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हए 330 रन का स्कोर बनाया. इसमें बुमराह ने 10 ओवर की गेंदबाज़ी में महज 40 रन खर्चे. तब स्टीव स्मिथ ज़ोरदार फॉर्म में थे, जेम्स फॉकनर की पहचान भी अंतिम ओवरों में गेंद को हिट करने वाले बल्लेबाज़ की थी. बुमराह ने इन दोनों का विकेट झटका. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई पारी को वहां तक सीमित रखा जहां से भारत ने ये मुक़ाबला जीत लिया था.

इसके तीन दिन बाद एडिलेड में बुमराह ने अपना पहला टी-20 मैच खेला. इसमें उन्होंने डेविड वॉर्नर और जेम्स फॉकनर का विकेट लिया. अपने स्पैल में उन्होंने 23 रन देकर तीन विकेट चटकाए थे. भारत ने टी-20 सिरीज़ 3-0 से जीती थी और इसके बाद से बुमराह के करियर में हार अपवाद स्वरूप ही नज़र आयी.

उन गर्मियों में एडिलेड, मेलबर्न और सिडनी में उनको गेंदबाज़ करते देख कर पहली बार यही लगा था कि आईपीएल से कोई नया सनसनीखेज़ गेंदबाज़ सामने आया है. इससे पहले आईपीएल के ज़रिए कई सनसनीखेज़ गेंदबाज़ सामने आ चुके थे, जिनमें तेज़ गेंदबाज़ी करने वाले स्पिनर, धीमी गति की गेंद फेंकने वाले तेज़ गेंदबाज़, कैरम फ्लिकर फेंकने वाले गेंदबाज़, अंगुलियों के जोड़ पर से गेंद फेंकने वाले गेंदबाज़, गुलेल के तरह गेंदबाज़ी करने वाले, लहराते हुए गेंदबाज़ी करने वाले और पांव को चलाकी से इस्तेमाल करने वाले तमाम तरह के गेंदबाज़ शामिल थे. इन गेंदबाज़ों ने आते ही धमाल ज़रूर मचाया लेकिन समय के साथ सब फीके पड़ गए.

लेकिन बुमराह इन सबसे अलग साबित हुए. उनकी असमान्य बात उनकी गेंदबाज़ी का महज एक ही पहलू था, उनकी तेज़ी भी उनकी गेंदबाज़ी का एक पहलू साबित हुए. पिछले कुछ सालों में उन्होंने दिखाया है कि उनका उद्देश्य लगातार अच्छी गेंदबाज़ी करना था और किसी भी गेंदबाज़ की तुलना में उन्होंने ऐसा करके दिखाया है.

सटीक गेंदबाज़ी के बूते वे कामयाबी के शिखर छूते चले गए. वे आईपीएल से निकले गिने चुने खिलाड़ियों में हैं जिन्होंने बिना अटके इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी जगह बनाई. खेल के छोटे फॉरमेट से निकलकर टेस्ट मैचों तक में उन्होंने खुद को साबित किया है.

जोहानिसबर्ग में अपने तीसरे ही टेस्ट में बुमराह ने टीम को जीत दिलाते हुए पारी में पांच विकेट चटकाए थे. इसके बाद अपने चौथे ही टेस्ट में, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नॉटिंघम टेस्ट में उन्होंने पारी में पांच विकेट लिए. ऑस्ट्रेलिया में सिरीज़ जीत में वे सबसे कामयाब गेंदबाज़ बनकर उभरे थे. इसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज़ में अपने जलवे दिखाए. एंटीगा टेस्ट में महज सात रन देकर उन्होंने जो पांच विकेट झटके, इसे विजडन ने 2019 की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी का प्रदर्शन घोषित किया था. जमैका में खेले गए अगले टेस्ट में बुमराह ने 27 रन देकर छह विकेट चटकाए.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि खेल के मैदान में बुमराह हमेशा मुस्कारते ही दिखते हो. उन्हें गुस्सा भी आता है, उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने पर वे मैदान पर अपनी हताशा भी ज़ाहिर करते हैं.

2020 की शुरुआत में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ एक सत्र में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के चलते उन्होंने टीम के उन खिलाड़ियों से भी दूरी बना ली जो उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे, बुमराह अपने प्रदर्शन के चलते यह मान रहे थे कि वे इस सांत्वना के लायक भी नहीं हैं.

बुमराह के बचपन के दोस्त उनके इस गुस्से को याद करते हैं, लेकिन ख़ास बात यह है कि यह गुस्सा विपक्षी खिलाड़ियों को लेकर नहीं था और जल्द ही उनकी मुस्कान लौट आयी. बेन कटिंग बताते हैं, "एक तेज़ गेंदबाज़ के लिहाज से देखें तो उनका व्यवहार काफी दोस्ताना है जो तेज़ गेंदबाज़ों का होता नहीं है."

हालांकि गेंदबाज़ी करते वक्त उनका यह दोस्ताना अंदाज़ा ग़ायब हो जाता है.

ख़ास बात यह है कि बुमराह ने बेहद कम समय में इतना कुछ हासिल किया है. आईपीएल में वे भले आठ साल से खेल रहे हों लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने तीन साल पहले 24 साल की उम्र में डेब्यू किया था. महज तीन साल में उन्होंने पांच दौरों में अब तक 16 टेस्ट मैच खेले हैं. ख़ास बात यह है कि उन्हें अब तक भारत में टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला है.

16 टेस्ट मैचों में 21 से कम की औसत के साथ 76 विकेट, यह दर्शाता है कि वे कितने अच्छे गेंदबाज़ हैं, यही वजह है कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी की कमान उनके हाथों में है. यही स्थिति पिछली बार ऑस्ट्रेलियाई दौरे के वक्त भी थी. वे ईशांत शर्मा के साथ गेंदबाज़ी की कमान संभाल रहे थे.

लेकिन मौजूदा सिरीज़ में उनके अलावा कोई तेज़ गेंदबाज़ मोर्चा संभालने के लिए टिका नहीं है. ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार चोटिल होने के चलते इस बार दौरे पर आए ही नहीं. एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच में मोहम्मद शमी की बांह टूट गई जबकि मेलबर्न के दूसरे टेस्ट में उमेश यादव के पैर में चोट लग गई.

2018-19 में जिन तेज़ गेंदबाज़ों ने भारत को सिरीज़ में जीत दिलाई थी वे इस बार नदारद हैं. इस लिहाज से देखें तो कमजोर बुमराह सिडनी में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट में नजर आएंगे. यहीं पांच साल पहले उन्होंने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी. मौजूदा टेस्ट सिरीज़ में वे टीम को 1-1 की बराबरी पर ले आए हैं और अभी दो टेस्ट मैच बाक़ी है. टीम में उनका साथ देने के लिए नए तेज़ गेंदबाज़ भी मौजूद हैं.

यानी यहां सारा दारोमदार जसप्रीत बुमराह पर टिका है. लेकिन यहां ध्यान देना होगा आगे बढ़कर चुनौतियों को संभालना ही वो पहलू है जहां जसप्रीत बुमराह ने कभी निराश नहीं किया है. (bbc.com)

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