दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 25 नवंबर। भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग में विज्ञान संकाय के तत्वाधान में प्रायोगिक शिक्षा को बढ़ावा देने हेतू चार -सप्ताह की प्रायोगिक कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
इस कार्यशाला के पहले सप्ताह में जैव रसायन प्रायोगिक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थीयों में जैव रसायन के रहस्यों को उजागर करना, सैद्धांतिक ज्ञान से परे जाकर छात्रों को जैव रसायन की मजबूत समझ के लिए महत्वपूर्ण प्रायोगिक अनुभव प्रदान करती है। सावधानीपूर्वक तैयार किए गए सत्रों का उद्देश्य वैज्ञानिक जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल का पोषण करना है जो निस्संदेह उनकी शैक्षणिक यात्रा को बढ़ाएगा।
इस कार्यशाला में प्रतिभागी मौलिक प्रयोगों की एक श्रृंखला में लगे हुए हैं। जिसमें कार्बोहाइड्रेट के गुणात्मक एवम मात्रात्मक परीक्षण, वैद्युतकणसंचलन, पीसीआर, पेपर क्रोमैटोग्राफी, प्रोटीन और लिपिड के लिए गुणात्मक परीक्षण आवश्यक आणविक तकनीकें जैसी प्रमुख प्रायोगिक तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करते डिजाइन की गई है। साथ ही विद्यार्थीयों को प्रतिभागियों को उपकरण समन्वेषण में माइक्रोस्कोप और सेंट्रीफ्यूज आदि सहित अत्याधुनिक प्रयोगशाला उपकरणों से परिचित कराया गया। इस कार्यशाला के दौरान विद्यार्थीयों ने सहयोगात्मक शिक्षा में विचार, एक गतिशील और इंटरैक्टिव माहौल में समूह गतिविधियों ने टीम वर्क को बढ़ावा दिया और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया।
इस प्रायोगिक कार्यशाला में डॉ. श्वेता एन, विभागाध्यक्ष, जैव प्रौद्योगिकी ने सभी व्यावहारिक पहलुओं को संभाला तथा डॉ. समन सिद्दीकी, प्रभारी विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्राणीशास्त्र विभाग ने कार्यशाला में स्वागत भाषण दिया। इस कार्यशाला में विभिन्न संकाय के सभी सहयोगी प्राध्यापिकाएं उपस्थित रहे और प्रतियोगिता सुचारू रूप से संचालन हेतु अपना सहयोग प्रदान किया।