महासमुन्द
चीतल-काला हिरण का स्वतंत्र विचरण करते नहीं दिखते
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,19दिसंबर। बलौदाबाजार वनमंडल के अंतर्गत बारनवापारा अभ्यारण में इन दिनों 2 नर कुमकी हाथी पर्यटकों को खूब लुभा रहेे हैं लेकिन इन हाथियों का ठहराव और चहल कदमी से छोटे वन्यप्राणी भयभीत व विचलित हो रहे हैं। बारनयापारा चारागाह में बड़ी संख्या में चीतल और काला हिरण का झुंड स्वतंत्र विचरण करते देखा जाता रहा है। किंतु अब हाथी की धमक से ये जानवर दिखाई नहीं दे रहे हैं। जानकारी अनुसार दोनों नर कुमकी हाथियों को अभ्यारण के रामपुर चारागाह कक्ष में ठहराव व बांध कर रखा गया है। चारागाह में कुमकी हाथी की उपस्थिति से दूसरे वन्य प्राणी विचलित हैं।
इस संबंध में यहां के जैव विविधता के जानकार संतोष मरावी कहते हैं कि विभाग वनों में बनी स्थिर जैव विविधता को तोडऩे का काम कर रहा है। जिससे जैव विविधता बनी हुई है, उन प्रजाति के जीवों को दूसरे जगह स्थानांतरित किया जा रहा है एवं लाल बंदर, काला हिरण, मगरमच्छ को अभ्यारण में छोड़ा जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में जैव विविधता से भरपूर इस अभ्यारण में चींटी भी नहीं दिखेगी। प्रकृति अपने आप में जैव विविधता को बनाये रखती है और इसके छेड़छाड़ से आने वाले समय में जीव.जंतु इस वन को छोडक़र अन्यंत्र चले जायेंगे। विभाग अपने मन से जो जंगल को नया रूप देना चाहते हैं ये वनों के जैव विविधता से खिलवाड़ है। फिलहाल इस पूरे मामले में रेंज स्तर के कोई भी अधिकारी कर्मचारी को पूछने पर टाल मटोल कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कुमकी हाथी की मदद से प्राकृतिक तौर से लंबे अर्से से रह रहे बारनवापारा की शान गाय प्रजाति का जानवर इंडियन गौर बायसन को ट्रेंकुलाइज कर किसी अन्यत्र श्स्थान में ले जाने की विभाग योजना बनाकर कार्य में अभी अग्रसर है। विभाग ने चारागाह का निर्माण वर्ष 2011-12 में विस्थापित ग्राम रामपुर में 100 हेक्टेयर में किया गया था। वहीं, राज्य कैम्पा मद से 20 लाख रुपए की राशि से वर्ष 2019-20 में 1105 मीटर चैनलिंग फैसिंग का कार्य चारागाह को सुरक्षित करने का कार्य किया गया है।
चारागाह में प्रत्येक वर्ष वन्यप्राणियों के लिए घास उपज का कार्य भी किया जाता है। कुमकी हाथी के संबंध में महावत से जानकारी इसी बीच हाथियों का दल परसों रविवार सुबह कक्ष 456 हरदी परिसर में प्रवेश किया था।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार महावत हरिकेश्वर गोंड़ सूरजपुर कहते हैं-हम लोग 23-24 नवंबर को वन विभाग की ओर से गौर पकडऩे के लिए तमोर पिंगला से बारनवापारा आये हैं। हमारे पास 2 कुमकी हाथी हैं। हाथी को गौर से मेल-जोल कराने गौर के झुंड के पास जाते हैं। ताकि हाथी को देखकर गौर न भागे और पकडऩे में आसानी हो। 14 दिसंबर तक एक भी गौर को नहीं पकड़ा गया है।
अधिकारी कहते हैं कि अभी तक गौर पकडऩे शासन का कोई आदेश नहीं आया है, आदेश मिलते ही पकडऩा चालू करेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार परिक्षेत्र के कक्ष क्रं. 127,112 में गौर के झुंड को ट्रेकुलाइज किया गया था। जिसमें 1 या 2 गौर का ब्लड सैम्पल लिया जाना बताया जाता है। जंगल में प्राकृतिक तौर से रहे बायसन गौर को पकडक़र बाहर लेकर जाने की बात से विभाग के प्रति ग्रामीणों में नाराजगी है।