महासमुन्द

देश में 5 फीसदी लोग गरीब तो 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन क्यों -विनोद
29-Feb-2024 3:43 PM
देश में 5 फीसदी लोग गरीब तो 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन क्यों -विनोद

महासमुंद,29 फरवरी। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि मोदी सरकार ने सरकारी एजेंसियों पर दबाव बनाकर फिर से चुनावी लाभ लेने देश में गरीबी को लेकर फर्जी आंकड़े प्रदर्शित की है। श्री चंद्राकर ने नीति आयोग के सर्वे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग आजकल गरीबी को लेकर झूठ परोस रहा है। किसी तरह से यह सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने गरीबी मिटा दी है। दावे में सरकार का कहना है कि इस देश का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा अब गरीब रह गया है। यदि ऐसा है तो देश के 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन क्यों देना पड़ रहा हैघ् देश के 35 करोड़ लोगों के पास आवाजाही का कोई साधन और 45 करोड़ लोगों के पास टीवी क्यों नहीं हैघ् रो?मर्रा की चीजों में भी गिरावट आई हैए जो साबित करता है कि लोग खर्च नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 11 साल के बाद जारी किया गया यह उपभोग व्यय भी भारत में लगातार बढ़ती आर्थिक असमानता को उजागर करता है। यह सर्वेक्षण 5 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता हैए लेकिन सरकार ने 2017.18 में डेटा ही नहीं जारी कियाए क्योंकि नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण सर्वेक्षण में उपभोग में 40 सालों में सबसे निचले स्तर पर सरक गया और अब डेटा में लीपापोती का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर इस रिपोर्ट को ही मान लें तो सच बड़ा भयावह है कि हिंदुस्तान के सबसे गरीब 5 प्रतिशत लोग अपने पूरे दिन की गुजर बसर सिर्फ और सिर्फ 46 रुपये रोज पर कर रहे हैं। इसी में रोटीए कपड़ाए दवाईए पढ़ाई सब शामिल है। देश में गांव एवं शहर और अमीर एवं गरीब के बीच लगातार खाई बढ़ती जा रही है। भारत के सबसे गरीब 5 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन औसतन 46 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 67 रुपये खर्च करते हैं तो वहीं सबसे अमीर 5 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में 350 रुपये और शहरी भारत में 700 रुपये खर्च करते हैं। अमीरों और गरीबों के बीच का यह अंतर भयानक है।

 श्री चंदाकर ने कहा कि गरीबी के सभी मूर्खतापूर्ण दावों के अलावा गंभीर वास्तविकता यह है कि सबसे गरीब भारतीय अपने सभी खर्चों को केवल 46 रुपये प्रतिदिन से चलाता है। सवाल तो यह है कि अगर सरकार की ही मान ली जाए कि अगर सिर्फ 5: ही गऱीबी रह गए हैंए मतलब 7 करोड़ लोग गरीब हैंए तो 81 करोड़ को मुफ्त राशन क्यों देना पड़ रहा हैघ् क्योंकि यह सच्चाई है कि अगर ऐसा ना किया गया तो वो भुखमरी से मर जाएंगे। मोदी सरकार द्वारा दिए जा रहे मुफ्त राशन से ही पता चल रहा है कि गरीबी के आंकड़े किस हद तक वास्तविक है। फर्जी आंकड़े प्रदर्शित कर चुनावी लाभ लेने की कोशिश मोदी सरकार द्वारा की जा रही है।

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