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महासमुंद सीट से रूपकुमारी चौधरी भाजपा उम्मीदवार घोषित, कांग्रेस ने अब तक पत्ता नहीं खोला
03-Mar-2024 2:22 PM
महासमुंद सीट से रूपकुमारी चौधरी भाजपा उम्मीदवार  घोषित, कांग्रेस ने अब तक पत्ता नहीं खोला

महासमुंद संसदीय चुनाव के इतिहास में दूसरी बार महिला प्रत्याशी को मिला मैदान

पहली बार 1971 में जनसंघ से गायत्री कुमारी ने महासमुंद लोकसभा से चुनाव लड़ा था

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 मार्च।
शनिवार को भाजपा ने महासमुंद लोकसभा सीट पर रूपकुमारी चौधरी को टिकट की घोषणा कर दी है। श्रीमती चौधरी वर्तमान में जिला भाजपा अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे एक बार बसना विधायक से साथ-साथ संसदीय सचिव भी रह चुकी हैं। इस तरह सामाजिक समीकरणों को दरकिनार करते हुए भाजपा ने महासमुंद संसदीय सीट से सांसद चुन्नीलाल साहू की टिकट काटकर बसना की पूर्व विधायक व जिला भाजपाध्यक्ष रूपकुमारी चौधरी को टिकट दिया है। 

महासमुंद संसदीय चुनाव के इतिहास में इस सीट से दूसरी बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया है। पहली बार 1971 में जनसंघ से गायत्री कुमारी ने महासमुंद लोकसभा से चुनाव लड़ा था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ऐसा मौका अभी तक नहीं आया है और अभी तक प्रत्याशी के नाम का पत्ता नहीं खोला है। 

लोकसभा चुनाव के लिए कल शाम भाजपा प्रत्याशियों की जारी पहली सूची में ही महासमुंद सीट से रूपकुमारी चौधरी का नाम आने के बाद भाजपा में खुशी की लहर है। इससे पहले पूर्व विधायक डा. विमल चोपड़ा,येेत राम साहू, रूपकुमारी चौधरी, चुन्नीलाल साहूू, चंदूलाल साहू, अजय चंद्राकर, शंकर अग्रवाल आदि के नामों पर चर्चा थी। नाम घोषित होते ही कल बसना, महासमुंद में भाजपाईयों ने पटाखे चलाए। 

श्रीमती चौधरी काफी समय से पार्टी संगठन के लिए कार्य करती रही हैं। वर्ष 2013 में भाजपा ने उन्हें बसना से विधायक पद के लिए टिकट दी थी। तब उन्होंने देवेंद्र बहादुर सिंह से विधानसभा की यह सीट छीनकर भाजपा की झोली में डाली थी। लेकिन 2018 में पार्टी ने उनकी टिकट काटकर दुर्गा चरण डीसी पटेल को प्रत्याशी बनाया और इस चुनाव में भाजपा के विद्रोही सम्पत अग्रवाल ने निर्दलीय चुनाव लडक़र कांग्रेस की जीत का रास्ता बना दिया था। तब भाजपा को 36394 मत लेकर तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। 

उसके बाद 2019 से श्रीमती चौधरी को पार्टी ने जिला संगठन की कमान सौंपी। तब से आज तक श्रीमती चौधरी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाल रही हैं। उनके 5 वर्ष के अब तक के कार्यकाल में पार्टी ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। 2019 का लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली। बाद में 2023 के विधानसभा चुनाव में जिले के 4 में से 2 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा के चुन्नीलाल साहू कांग्रेस प्रत्याशी धनेन्द्र साहू को 90 हजार 511 मतों से हराकर सांसद बने थे। भाजपा को 6 लाख 16 हजार 580 मतलब 50.44 प्रतिशत तथा कांग्रेस को 5 लाख 26 हजार 069 मतलब 43.04 प्रतिशत मत मिले थे। जीत का अंतर 90 हजार 511 था।

इस बार चर्चा थी चंद्राकर और साहू में से किसी एक समुदाय के सदस्य को टिकट मिलना तय है। लेकिन भाजपा ने साहू और चंद्राकर कार्ड को छोडक़र महिला कार्ड खेला है। भाजपा प्रत्याशी का नाम घोषित होने के बाद अब कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा का इंतजार है। इस क्षेत्र में साहू मतदाताओं की बड़ी संख्या है। अधिकांश का झुकाव भाजपा की ओर माना जाता है। इसलिए भाजपा यहां साहू कार्ड खेलना पसंद करती रही। हालांकिए अनेक दफे उसे हार का भी सामना करना पड़ा। साहू वोटरों की बहुलता के कारण ही कांग्रेस ने 2009 और 2019 में महासमुंद में साहू कार्ड खेला था। लेकिन दोनों दफे भाजपा के साहू प्रत्याशी भारी पड़े थे। 2014 में तो भाजपा के साहू कार्ड ने कमाल ही कर दिया। उसके प्रत्याशी चंदुलाल साहू ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को 1217 मतों के मामूली अंतर से सी सही, लेकिन हरा दिया था।

 वर्तमान में चुन्नीलाल साहू यहां से भाजपा सांसद हैं। इसके पूर्व 2009, 2014 में चंदूलाल साहू और इसके पूर्व चंद्रशेखर साहू भी यहां से भाजपा के सांसद रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में लोकसभा क्षेत्र की महासमुंद, बसना, राजिम और कुरुद में भाजपा तथा सरायपाली, खल्लारी, धमतरी व बिन्द्रानवागढ़ कांग्रेस के कब्जे में है। दोनों ही पार्टी के पास बराबर विधानसभा हैं। वोटों की बात करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को संसदीय क्षेत्र में 6 लाख 97 हजार 392 और भाजपा को 6 लाख 87 हजार 909 वोट मिले थे। इस तरह अभी कांग्रेस 9483 मतों की लीड लेकर आगे है।
 

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