महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बसना, 8 मार्च। तहसील में लंबित डायवर्सन शुल्क की वसूली शुरू हो गई है, इसके लिए तहसीलदार ने बकायादारों को नोटिस जारी किया है। जमीन का उपयोग बदलवाने के बाद भू-स्वामियों पर 10-10 साल से डायवर्सन शुल्क अदा नहीं करने वालों पर सख्ती शुरू कर दी गई है। रोज 100 से ज्यादा लोगों को डायवर्सन शुल्क अदा करने के लिए नोटिस भेजी जा रही है। अप्रैल के पहले तक बकाया शुल्क शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है।
15 साल का टैक्स जमा करने पर मिलेगी 15 साल की छूट
डायवर्सन वसूली के दौरान लोगों को शासन की योजना अनुसार छूट भी दी जा रही है। वर्ष 2023-2024 से आगामी 2037-38 तक का डायवर्सन शुल्क जमा करते हैं, तो उन्हें आगामी 15 वर्ष के शुल्क में छूट मिलेगी। इस योजना की वजह से अब तक लाखों रुपयों की वसूली की जा चुकी है। यानि वर्ष 2037-38 से 2052-2053 तक का शुल्क जमा नहीं करना पड़ेगा। इस शुल्क को जमा करने के बाद इसकी अलग से एंट्री भी की जा रही है। इस योजना की वजह से अब तक लाखों रुपयों की वसूली की जा चुकी है।
31 मार्च तक किया जाना है डायवर्सन शुल्क जमा
ज्ञात हो कि 31 मार्च तक डायवर्सन शुल्क जमा किया जाना है, बकायादारों में सबसे ज्यादा अस्पताल, राइस मिल, प्राइवेट स्कूल, पेट्रोल पंप समेत अन्य उद्योगों का बकाया है, इनसे पहले वसूली की जा रही है, वहीं डायवर्सन शुल्क जमा नहीं करने वालों पर छ.ग .भू राजस्व संहिता की धारा 146,147 के तहत कार्रवाई भी जा सकती है।
जमीन की खरीदी-बिक्री कर ली कई बार, लेकिन शुल्क अदा नहीं किया
तहसील में जिन लोगों का डायवर्सन शुल्क बकाया है, उनमें से अधिकतर ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जमीन डायवर्सन कराने के बाद बेच दी है। बिना शुल्क जमा कराए ऐसे लोगों की रजिस्ट्री भी हो गई, क्योंकि डायवर्सन शुल्क जमा हुआ है या नहीं इसकी जांच करने का कोई सिस्टम ही नहीं है। ऐसे में कई नोटिसों की तामील भी नहीं हो पा रही हैं, क्योंकि पुराने जमीन मालिक ऐसी नोटिस लेने से इंकार कर देते हैं। वे कहते हैं अब वे जमीन के मालिक नहीं है इसलिए शुल्क भी नहीं देंगे। इस वजह से कई लोगों का शुल्क विवादों में भी फंस गया है।उनका कहना है कि नोटिसों के आधार पर शुल्क की वापसी हो रही है। लेकिन पूरा शुल्क जमा नहीं हुआ, तो ऐसे प्रकरणों पर आगे की कार्रवाई रोकने की नोटिस जारी की जाएगी।
जरूरत पर ही पेमेंट, बाकी समय बेखौफ
कृषि जमीन का आवासीय, कमर्शियल या औद्योगिक उपयोग करने पर ही आवेदकों को डायवर्सन शुल्क देना होता है। बड़े कारोबारियों को जब इसकी जरूरत होती है तो वे एक बार में डायवर्सन शुल्क की अदायगी कर देते हैं, लेकिन जो छोटे-छोटे प्लॉट का डायवर्सन होता है उसका शुल्क अदा नहीं किया जा रहा है। लोग बेखौफ होकर सालों भुगतान नहीं कर रहे है। इस बार ऐसे ही लोगों को सबसे ज्यादा नोटिस दी जा रही है। डब्ल्यूबीएन शाखा प्रभारी रीना पाण्डेय का कहना है कि जिन्हें नोटिस मिल रही है वे लोग दफ्तर आकर इस शुल्क का भुगतान कर रहे हैं।