रायपुर

अदानी पॉवर प्लांट सी जन सुनवाई में हुआ जमकर विरोध
23-Jun-2024 7:38 PM
अदानी पॉवर प्लांट सी जन सुनवाई में हुआ जमकर विरोध

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 23 जून। अदानी पॉवर लिमिटेड की 1600 मेगावाट पॉवर प्लांट की प्रस्तावित परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आज जनसुनवाई हुई। छतीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इसमें आपत्तियां दर्ज करवाई। साथ ही जन सुनवाई को रद्द करने की भी मांग की गई।

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के जन सुनवाई पैनल को दिए गए पत्र में इस परियोजना के गंभीर पर्यावरणीय दुष्प्रभावों का उल्लेख किया गया है।

आलोक शुक्ला ने बताया कि ईआईए अधिसूचना, 2006 में विहित जन सुनवाई के नियमों का पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ और इस गंभीर लापरवाही को संज्ञान में लेते हुए जनसुनवाई को निरस्त किया जाना चाहिए।

पर्यावरण समाघात निर्धारण (ईआईए) अधिसूचना, 2006 की धारा 7 (द्ब) के प्रक्रम ढ्ढढ्ढढ्ढ लोक परामर्श के बिंदु क्रमांक (1द्ब) के अनुसार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि परियोजना के क्रियाकलापों के संबंध  विस्तृत प्रचार के लिए मीडिया और समाचार पत्रों का उपयोग हो साथ ही इसकी जानकारी संबंधित वेबसाइट में भी डाली जाए और ड्राफ्ट संक्षेप ईआईए रिपोर्ट भी वेबसाइट पर उपलब्ध हो ताकि लोग लिखित में विभिन्न पर्यावरणीय पहलुओं को उजागर कर सके7 परिशिष्ट ढ्ढङ्क में उल्लेखित प्रक्रिया के अनुसार ड्राफ्ट संक्षेप ईआईए की प्रति स्थानीय भाषा में जिला स्तरीय कार्यालयों और पंचायत में उपलब्ध होना अनिवार्य है ताकि प्रभावित व्यक्ति इसका अवलोकन कर सके7

उक्त नियमों का अनुपालन नहीं हुआ है, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के वेबसाइट में लोक परामर्श वाले भाग में इस जन सुनवाई की जानकारी और ड्राफ्ट संक्षेप ईआईए की प्रति अपलोड नहीं की गई है7 लोक सुनवाई हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं स्थान की जानकारी का विस्तृत प्रचार ठीक से नहीं किया गया, जिस के कारण इस परियोजना से हो रहे पर्यावरणीय दुष्प्रभाव के संबंध में लोगों की राय स्पष्ट तरीके से सामने नहीं आ पाई7 ऐसे खानापूर्ति प्रक्रिया का कोई औचित्य नहीं है अगर इसकी मूल मंशा को ही ध्यान में न रखा जाए।

कंपनी द्वारा पूर्व में इस परियोजना को जारी पर्यावरणीय स्वीकृति की शर्तों का गंभीर उल्लंघन और पर्यावरण प्रदूषण से स्थानीय लोगों की आजीविका, स्वास्थ्य और दैनिक जीवन अत्यंत प्रभावित है:

केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 9 मई, 2011 को 2म685 मेगावाट ताप विद्युत् संयंत्र प्रारंभ करने मेसर्स जीएमआर एनर्जी लिमिटेड को पर्यावरणीय स्वीकृति जारी की गई थी7 26-02-2015 को  मंत्रालय द्वारा जारी इस परियोजना के मॉनिटरिंग रिपोर्ट में पर्यावरणीय स्वीकृति की शर्तों के अनुपालन में गंभीर लापरवाहियां दर्ज की गई7 05-11-2019 को केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा एक पत्र जारी कर इस परियोजना का स्वामित्व जीएमआर एनर्जी लिमिटेड से रायपुर एनेर्जेन लिमिटेड को स्थानांतरित किया जाता है जो अदानी पॉवर लिमिटेड की सहायक कंपनी है।

19-01-2022 को केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नया रायपुर स्थित एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी उक्त परियोजना की मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरणीय अनुपालन में निम्नलिखित गंभीर कमियां पाई गई जिस पर अगर विचार न करते हुए इस विस्तार परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई तो उसके अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय दुष्प्रभाव होंगे।

कंपनी की रेलवे साइडिंग से निकलने वाले दूषित जल से आस पास की कृषि भूमि में प्रदूषण।रेलवे साइडिंग से दूषित जल का बहाव यह दर्शाता है कि कोल हैंडलिंग क्षेत्र अब भी जीरो डिस्चार्ज का पालन करने में असफल है7 साथ ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रेलवे साइडिंग गाइडलाइन्स के अनुसार कंपनी साइडिंग का प्रबंधन नहीं कर रही है जिस से लोगों की कृषि भूमि दूषित हो रही है और इसका सीधा प्रभाव उनकी आजीविका पर पड़ रहा है। कंपनी द्वारा रिजेक्ट कोयले के उपयोग की पूरी जानकारी मंत्रालय को उपलब्ध नहीं कराई गई। कंपनी द्वारा किस खदान से कितना रिजेक्ट कोयला उपयोग में लाया जा रहा है इसकी जानकारी नहीं दी गई7 यह जानकारी आवश्यक है क्यूंकि इस परियोजना के कोयला आपूर्ति के स्त्रोत कई बार बदले है और इन्हें कोल ब्लेंडिंग की भी अनुमति दी गई थी 7 रिजेक्ट कोयला उपयोग फ्लाई ऐश उत्सर्जन को बढ़ावा देगा और उस से भी गंभीर पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति निर्मित होती है 7 आवश्यक जानकारियों का खुलासा न करना भी एक गंभीर अनुपालन की कमी को दर्शाता है।

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