महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमन्द, 11 जनवरी। जिला मुख्यालय में गोकुल नगर बसाने की योजना भी अब तक नहीं बन पाई है। यही कारण है कि शहर के मवेशियों को चराने गो पालक शहर के अंदर से लेकर जाते हैं। इससे जहां मुख्य मार्ग में प्रतिदिन सुबह-शाम सडक़ पर जाम की स्थिति निर्मित होती है। वहीं हादसे की भी आशंका बनी रहती है।
जानकारी के मुताबिक शहर में करीब सौ से अधिक पशुपालक परिवार हैं जो दूध बेचने का व्यवसाय करते हैं। इनमें अधिकांश परिवार शहर के वार्ड एक और दो में निवासरत हैं, जो मवेशियों को चराने और नहलाने के लिए शहर के वार्ड 16 स्थित बंधवा तालाब, टामकी तालाब ले जात हैं शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए। हर सुबह नौ बजे से मवेशियों के मुख्य मार्ग से गुजरने का सिलसिला शुरू होता है जो 11 बजे तक चलता है और शाम को चार बजे से इनकी वापसी होती है। इस दौरान प्रतिदिन करीब दो घंटे सडक़ पर मवेशियों का आना-जाना लगा रहता है। इस दौरान हर दिन दो घंटे जगह-जगह पर जाम लगता है। मवेशियां वाहनों के हार्न की आवाज सुनकर दौड़ लगाते हैं जिससे हादसे की सम्भावना भी बनी रहती है।
मवेशियों की वजह से शहर का मुख्य मार्ग गांव की सडक़ की तरह नजर आता है। मवेशियां सडक़ पर गंदगी करते हैं जो राहगीरों के लिए मुसीबत का कारण बनता है। इस मामले में पशुपालक जगदीश यादव ने बताया कि पूर्व में गोकुल नगर बसाने की मांग की गई थी। पर इस पर कुछ नहीं हुआ है। एक बार फिर से गोकुल नगर के लिए मांग की जाएगी। बनने से उन्हें भी लाभ होगा और नागरिकों की परेशानी भी कम होगी। जानकारी के मुताबिक शहर में करीब सौ से अधिक पशुपालक परिवार हैं जो दूध बेचने का व्यवसाय करते हैं। इनमें अधिकांश परिवार शहर के वार्ड एक और दो में निवासरत हैं।