बस्तर
जगदलपुर, 16 मार्च। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी के अन्तर्गत बस्तर जिले में वर्ष 2021 के ग्रीष्मकालीन अवधि में नरवा योजना में किये जाने वाले कार्यों को लेकर पंचायतों में एक जन आंदोलन रूप देने एवं इन पंचायतों के बीच नरवा विकास हेतु पंचायतों के बीच झोडी जतन प्रतियोगिता का आयोजन 17 मार्च से 30 मई 2021 तक किया जा रहा है।
पंचायतों को अत्यधिक पानी रोकने एवं रोके हुए पानी को दूसरी फसल हेतु खेतों तक पहुंचाना इस प्रतिस्पर्धा का प्रमुख आयाम है। झोडी (नाला) जतन प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य बस्तर जिला आदिवासी संस्कृति एवं प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। बस्तर जिले में सालाना 140 से.मी. की वर्षा होती है, बस्तरिया अपने आजीविका के लिये कृषि एवं वनोपज पर आश्रित है। अधिकांश कृषक वर्षा आधारित कृषि ही करते हैं, एवं खरीफ फसल के दौरान धान ही मुख्य फसल है। खरीफ फसल के पश्चात् वनोपज संग्रहण करना आजीविका का मुख्य साधन है, किन्तु वनोपज संग्रहण पर्याप्त रोजगार नहीं दिला पाता है, जिसके फलस्वरूप खरीफ फसल के पश्चात् युवा अन्य जगहों में पलायन करने के लिये मजबूर है। बस्तर में दूसरी फसल के क्षेत्र को बढ़ावा देने से आजीविका के अवसर बढ़ सकते हैं, जिससे पलायन पर रोक लगाया जा सकता है। इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा. गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी एक अस्त्र की तरह है। इस दिशा में बस्तर जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2021 ग्रीष्मकालीन अवकाश में नरवा योजना को जन आंदोलन का रूप देकर पंचायतों के बीच प्रतिस्पर्धा करने का निर्णय लिया गया है।
प्रशासन द्वारा जिले के सातों विकासखण्डों में 66 नालों का चयन किया गया है जिनकी कुल लम्बाई राजस्व क्षेत्र में 488.45 कि.मी एवं चयनित नरवा का कैचमेंट एरिया राजस्व क्षेत्र में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर है। उक्त 66 नालों पर पडऩे वाले 166 पंचायतों के बीच इस अभियान के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा होगी। इस दिशा में पानी रोकने एवं उचित उपयोग करने के लिये अलग-अलग विभागों का समन्वय एवं अभिसरण किया जा रहा है। नरवा योजना का कार्य प्रमुख रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से लागू होगा। इस कार्यक्रम में पंचायतों के बीच प्रतिस्पर्धा होने के कारण पंचायत प्रतिनिधि एवं ग्राम पंचायत सचिव, मुख्य भूमिका निभा सकेंगे। जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये जिले के स्व-सहायता समूह की मातृशक्तियों एवं युवोदय के सदस्यों का उपयोग किया जावेगा। इसके अतिरिक्त तकनीकि योगदान देने के लिये ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के इंजीनियर एवं कृषि विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी शामिल रहेंगे। इस अभियान के अंतर्गत पंचायतों में नये जल संरक्षण कार्य के साथ-साथ पुराने जल संरक्षण अधो-संरचना का पुर्नद्धार भी किया जा सकता है इस हेतु पंचायत में पूर्व में निर्मित सरंचना का आकलन कर जानकारी देने होगी। इसमें ग्राम पंचायत, मनरेगा, सिंचाई विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, कृषि विभाग, एनआरएलएम, उद्यानिकी विभाग और युवोदय के स्वयं सेवक की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।