बस्तर

नक्सलियों ने सिविल सोसायटी के शांतिवार्ता पर उठाये सवाल
17-Mar-2021 6:34 PM
नक्सलियों ने सिविल सोसायटी के शांतिवार्ता पर उठाये सवाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 17 मार्च।
बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए बनी सिविल सोसायटी जिसका जि़क्र कतिपय मीडिया संस्थानों में आया है, उसे लेकर नक्सलियोंं की ओर से विज्ञप्ति जारी की गई है। नक्सलियों ने इस सिविल सोसायटी पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। नक्सलियोंं ने सवाल किया है कि इस सोसायटी को सिविल सोसायटी कहना है या सरकारी सोसायटी। माओवादियों ने इस सोसायटी को कार्पोरेट लूट और सरकारी दमन का मानवीय मुखौटा करार दिया है। माओवादियों की विज्ञप्ति का पहला पैरा ही इस सिविल सोसायटी को ख़ारिज करता है, नक्सलियोंं ने इस शांति प्रक्रिया को धोखा और सरकारी साजि़श का हिस्सा बता दिया है।

नक्सलियों की ओर से जारी दो पेज की विज्ञप्ति में सिविल सोसायटी में राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे सरकारी साजि़श का शिकार ना बने। माओवादियों ने सवाल किया है कि यदि शांति प्रक्रिया चाहिये तो पदयात्रा ना करें उन कारणों का दूर करने आगे आएँ जिनकी वजह से अशांति है।

अतीत में आंध्र प्रदेश से हुए समझौते के असफल होने और फिर 2010 में पोलित ब्यूरो सदस्य आज़ाद की हत्या का जि़क्र भी इस विज्ञप्ति में इन पंक्तियों के साथ है। माओवादियों की यह विज्ञप्ति जो प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी है, उसमें 30 से अधिक मुद्दे गिनाए गए हैं, जिन्हें विज्ञप्ति में अशांति का कारण बताया गया है, ये मुद्दे केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक को छूते हैं। माओवादियों की इस विज्ञप्ति में इन तीस से अधिक मुद्दों के साथ सिविल सोसायटी से सवाल है।

इनके हल के बग़ैर क्या शांति संभव है ? कतई नही.. शांति की क़वायद अशांति की जड़ों को समाप्त करने की दिशा में होनी चाहिए परंतु सिविल सोसायटी क्या उल्टी दिशा में कदम बढ़ाने की क़वायद तो नहीं कर रही है।

माओवादियों की पूरी विज्ञप्ति सिविल सोसायटी के अस्तित्व और कार्ययोजना को ही प्रश्नांकित करती है। और जैसा कि माओवादी विज्ञप्तियों के अंत में अपनी ढेर सारी माँगों को कठिन से कठिनतम की ओर क्रम में लिखते हैं ये विज्ञप्ति भी वही क्रम अपनाते हुए समाप्त होती है। हालाँकि समाप्ति से ठीक पहले माओवादियों ने सिविल सोसायटी को भी सीधे संदेश दिया है। 

माओवादियों ने अंतिम पैरे में लिखा है- जनता के फ़ायदे के लिए हम हमेशा शांति वार्ता के लिए तैयार हैं,बशर्ते सरकार वार्ता के अनुरुप माहौल बनाने संघर्ष इलाक़ों से सरकारी सशस्त्र बल के कैंपों को हटाएं व उन्हें उनके मूल बैरकों में लौटाए। हमारी पार्टी पर लगा प्रतिबंध हटाए और जेलों में बंद पार्टी नेताओं को निशर्त रिहा करें। सिविल सोसायटी को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। उसे पीडि़त परिवारों से मुलाक़ात करने उनका रजिस्टर बनाने जैसे सतही व सस्ते उपाय तथा लोगों को भटकाने के हथकंडों को छोड़ देना चाहिए।

शांतिवार्ता के लिए नक्सलियों ने रखी तीन शर्तें
बीजापुर। माओवादी संगठन तीन शर्तों पर सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है। इसमें नक्सल इलाकों से सशस्त्र बलों को हटाने, माओवादी संगठन पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने और जेलों में कैद माओवादी नेताओं को नि:शर्त रिहा करने की शर्त शामिल है। 

ज्ञात होकि समाजसेवी संगठनों की ओर से 12 मार्च से नारायणपुर से रायपुर तक दांडी यात्रा प्रारंभ की गई है।इसी बीच माओवादी प्रवक्ता विकल्प के हवाले से एक विज्ञप्ति जारी कर माओवादियों की ओर से सशर्त वार्ता की पहल की गई है। इसमें नक्सल इलाकों से सशस्त्र बलों को हटाने, माओवादी संगठन पर लगाये गए प्रतिबंध हटाने और जेलों में कैद माओवादी नेताओं को नि:शर्त रिहा करने की शर्त शामिल है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी के नेतृत्व में नारायणपुर में दांडी यात्रा हो रही है। माओवादियों ने शुभ्रांशु चौधरी को कॉरपोरेट का दलाल बताते हुए सिविल सोसायटी के लोगों से सरकारी साजिश का हिस्सा न बनने कहा गया है।

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