बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 19 मार्च। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के मुख्य संयोजक नवनीत चाँद ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के साथ मिलकर 15 हजार करोड़ की लागत से राज्य के अंदर कई राष्ट्रीय मार्ग को फोरलेन बनाने व कई राज्यों को जोड़ते हुए नई सडक़ों के निर्माण हेतु कार्ययोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। जिसमें से एक रायपुर -विशाखापटनम को जोडऩे हेतु एक नई फोरलेन सडक़ निर्माण की भी योजना शामिल है।
इस सडक़ के निर्माण की वजह तीन राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा हेतु आवागमन को सरल बनाना बताया गया है। पर विडंबना की बात यह है कि रायपुर-जगदलपुर हेतु एनएचआई द्वारा वर्ष2014 में फोरलेन सडक़ प्रस्ताव हेतु राज्य सरकार से 15 मीटर जमीन पूर्व में ही अधिग्रहण करवाने के बावजूद भी नई फोरलेन सडक़ योजना में बस्तर को शामिल नहीं किया गया। यह दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा बस्तर के वास्तविक विकास को रोकने का षड्यंत्र है व बस्तर के साथ अन्याय है। इस षड्यंत्र पर बस्तर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की खामोशी व सिर्फ अधूरी जानकारी रख खानापूर्ति स्वरूप सदन में विरोध कार्य, केंद्र व राज्य सरकारों को ऐसे बस्तर उपेक्षा योजनाओ के फैसले लेने का हौसला बड़ा रहे हैं, जो बस्तर के साथ पूरी तरह अन्याय है। ऐसे बस्तर उपेक्षित योजनाओं व सरकारी फैसलों का बस्तर का हर निवाशी विरोध करता है।
बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा द्वारा बस्तर से जुड़े ज्वलन्त समस्याओं, विकास व अधिकार से जुड़े मुद्दों को लेकर सभी राजनीतिक दल के बस्तर के बड़े नेताओं व पाधिकारियों एवं सभी वर्ग समाज, समाज सेवी संगठनों को ज्ञापन सौंप बस्तर उपेक्षित मुद्दों पर ध्यानाकर्षण कर, सामूहिक विरोध प्रदर्शन की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
बस्तर के जनप्रतिनिधियों से सवाल कर जवाब मांगा जाएगा , संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर फोरलेन सडक़ नहीं तो टोल नहीं अभियान प्रारम्भ किया जायेगा व राज्य सरकार पर दबाव बना बस्तर के किसानों की जमीनों पर किये अधिग्रहण को समाप्त कर जमीन वापसी की मांग रखी जाएगा।