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आदर्श गोठान में फलों और सब्जियों की खेती, सहायता समूहों को मिला रोजगार का बेहतर अवसर
26-May-2021 6:15 PM
आदर्श गोठान में फलों और सब्जियों की खेती, सहायता समूहों को मिला रोजगार का बेहतर अवसर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर 26 मई । आदर्श गोठान में फलों और सब्जियों की खेती देख कलेक्टर रजत बंसल ने समूहों की सराहना की। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में ग्राम ढोढरेपाल स्थित आदर्श गोठान में फलदार पौधों के रोपण के साथ ही सब्जियों की खेती का अवलोकन पिछले दिनों किया और फलदार पौधों के बगीचे की सराहना की और उन्होंने स्व सहायता समूहों की महिलाओं से बातचीत की।

आदर्श गोठान में गोठान के विजय लक्ष्मी स्व सहायता समूह के द्वारा 2 एकड़ रकबा में फलदार पौधों का बगीचा तैयार किया गया है। इसके अन्तर्गत यहां 271 पौधे  लगाए गए हैं, जिनमें कलमी आम के 68 पौधे, अमरूद के 84 पौधे, सीताफल (मधुर) के 51 पौधे तथा ड्रेगनफ्रूट (पिंक एवं व्हाईट) के 68 पौधे शामिल हैं। इसके अलावा अन्तवर्तीय फसल के रूप में संकर पपीता किस्म अमीना के 2500 पौधे भी लगाये गये हैं।  इसके साथ ही यहां लगभग आधा एकड़ खाली जमीन में सब्जियों का उत्पादन भी शुरु कर दिया गया है, जिनमें लालभाजी, प्याज, मेथी, मूली, भिण्डी, लौकी तथा करेला आदि की फसलें लगाई गई है। जिससे इस समूह को फलोद्यान के साथ-साथ सब्जी उत्पादन से अभी तक 20 से 22 हजार की आमदनी हो चुकी है। 

पपीता के 2500 पौधों से इस समूह को 8-10 महीने में 75 हजार किलो पपीते के उत्पादन का अनुमान है। इसके एक पौधे से औसतन 30 किलो पपीते का उत्पादन होने की संभावना है। 10 रू. प्रति किलोग्राम की आय पर भी समूह को लगभग 7.50 लाख रुपए के आमदनी की संभावना है। इसके साथ ही सब्जी उत्पादन से लगभग 35-50 हजार आय प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त वहुवर्षीय रोपित फलोद्यान से 2-3 वर्ष पश्चात फलों के विक्रय से अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा।

इस 2 एकड़ में लगाए गए फलोद्यान से समूह को औसतन रूपये 8-10 लाख की आय प्राप्त होना संभावित है। समूह में 11 सदस्य हैं, प्रति वर्ष रूपये 70 से 80 हजार प्रति सदस्य की आमदनी होने की संभावना है।

   गोठान के 3 एकड़ क्षेत्रफल में गुलाब स्व सहायता समूह द्वारा सब्जी की खेती (टमाटर, पत्तागोभी, मिर्च, लौकी, करेला तथा गेंदा) की जा रही है। 3 एकड़ क्षेत्रफल से लगभग 350 से 400 क्वि. सब्जियों का उत्पादन की संभावना है औरं 8 रूपये प्रति किलो की दर से सब्जी विक्रय से रूपये 3.00 से 3.20 लाख की आय समूह को प्राप्त होना संभावित है। साल में दो बार सब्जी की फसल लगाकर हर साल 6.00 से 7.00 लाख रूपये इस समूह को आय प्राप्त होगी। समूह में 10 सदस्य हैं और इससे हर सदस्य को 60 से 70 हजार रूपये की आय हर साल होगी। समूह द्वारा बताया गया कि अभी तक 40 से 50 हजार की सब्जी का उत्पादन हो चुका है। 

ढोढरेपाल गोठान में 2 एकड़ क्षेत्रफल में केला तथा मुनगा पौधों का रोपण सोना स्व. सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है केला फसल में  बीच में अन्तवर्तीय फसल के रूप में धनिया, मूली, पालक आदि फसलें भी लगाई गई हं।ै इसके साथ ही यहां 0.50 एकड़ खाली जमीन पर इसी समूह द्वारा सब्जी की खेती (लौकी, तोरई, करेला, भिण्डी) लगाई गई हैं। अभी तक समूह द्वारा रू. 16 हजार की आय सब्जी से प्राप्त हो चुकी है।

केला जी-9 के 2000 रोपित पौधों से प्रति पौधा 25 कि.ग्रा. के मान से 50 हजार कि.ग्रा. केला का उत्पादन प्राप्त होगा जिसे रू. 10 प्रति कि.ग्रा. की दर से विक्रय करने पर 5.00 लाख रूपए की आय इस समूह को प्राप्त होने की संभावना हैै। इसके अलावा अन्तरवर्तीय फसल एवं एक एकड़ सब्जियों के उत्पादन से प्रतिवर्ष 1.50 से 2.00 लाख आय की प्राप्त होगी इस समूह को 6.50-7.00 लाख की आय प्राप्त होना संभावित है।

सोना समूह के कुल 10 सदस्य है प्रति सदस्य को प्रतिवर्ष रूपये 60 से 70 हजार की आमदनी होने की संभावना है।

ढोढरेपाल गोठान में कार्यरत तीनों समूहों को इस वर्ष किये जा रहे उद्यानिकी के समन्वित खेती की तरह कार्य करने पर हर साल 18 से 20 लाख रुपए की आय की उम्मीद है। इससे तीनों समूहों के कुल 30 सदस्यों को प्रतिवर्ष हर सदस्य को लगभग 70 से 80 हजार रूपए की आमदनी होगी।

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