बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 26 मई। बस्तर स्थित विश्वविद्यालय की स्थापना के 13 वर्ष बाद छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने विश्वविद्यालय का नाम बस्तर टाइगर शहीद स्व. महेंद्र कर्मा के नाम पर रखते हुए झीरम घाटी में शहीद हुए सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस निर्णय का संपूर्ण बस्तर स्वागत करता है। उक्त बातें पूर्व छात्र नेता एवं वर्तमान में युवा कांग्रेस के प्रदेश संयुक्त सचिव बीजापुर जिला प्रभारी,कांग्रेस खेलकूद प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जनभागीदारी समिति सदस्य जावेद खान ने विज्ञप्ति के माध्यम से कही है।
जावेद ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले का चौतरफा स्वागत बस्तर की जनता कर रही है, जिसके लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, वर्ष 2008 में बस्तर में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी परंतु उस समय से लेकर अब तक विश्वविद्यालय को राज्य सरकार के द्वारा कोई नाम नहीं दिया गया था, इसलिए बोलचाल एवं पहचान के लिए विश्वविद्यालय को बस्तर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाने लगा, क्योंकि विश्वविद्यालय बस्तर के संभाग मुख्यालय में स्थित है, इसलिए बस्तर विश्वविद्यालय कहा जाने लगा जो अब तक चल रहा था, परंतु प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 13 साल पुराने विश्वविद्यालय का नामकरण बस्तर के युग पुरुष, लौह पुरुष बस्तर टाइगर स्व. शहीद महेंद्र कर्मा के नाम पर रखकर बस्तर की जनता को गौरवान्वित किया है, एवं झीरम घाटी में शहीद हुए शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
विश्वविद्यालय का नाम शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय रखने पर युगो-युगो तक देश और दुनिया तक शहीद महेन्द्र कर्मा जी को जाना जाएगा। मुख्य विपक्षी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले छात्र संगठन के लोग बिना वजह नामकरण को लेकर हो हल्ला मचाने की कोशिश कर रहे हैं और बस्तर के लोगों के अंदर नाम बदलने की बात कहकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्हें आत्ममंथन की आवश्यकता है। उन्हें तो खुश होना चाहिए बिना नाम के चल रहे विश्वविद्यालय को मृदुभाषी मिलनसार क्षेत्र हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करने वाले अपनी जन्मभूमि अपनी कर्मभूमि में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद महेंद्र कर्मा के नाम से अब विश्वविद्यालय को जाना जाएगा, केवल विरोध के लिए विरोध करना उचित नहीं होता। ऐसे व्यक्ति के लिए जो सच्चा देशभक्त हो, जिसने देश की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी हो, स्वयं को देशभक्त बताने वाले एक देशभक्त शहीद के नाम का विरोध कर रहे हैं, यह कहां तक उचित है, यह कैसा शहीदों का सम्मान है।