मनोरंजन
मुंबई, 22 जुलाई (वार्ता)। बॉलीवुड निर्देशक कबीर खान दबंग स्टार सलमान खान को लेकर 'टाइगरÓ सीरीज की तीसरी फिल्म बना सकते हैं।
कबीर खान ने सलमान को लेकर फिल्म 'एक था टाइगर बनायी' थी। हालांकि, सीरीज की दूसरी फिल्म का निर्देशन अली अब्बास जफर ने किया था। कहा जा रहा है कि कबीर खान एक बार फिर से सलमान खान को लेकर 'टाइगर' सीरीज की तीसरी फिल्म बनाने जा रहे हैं। अली की सिफारिश पर सलमान खान और कबीर खान 'टाइगर' सीरीज की तीसरी फिल्म के लिए साथ जुड़ रहे हैं।
चर्चा है कि 'टाइगर' सीरीज की तीसरी फिल्म अपने शुरुआती चरण में हैं और इसकी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। सलमान खान की आने वाली फिल्मों में निर्देशक प्रभुदेवा की फिल्म राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई प्रमुख है। इस फिल्म में सलमान खान के अलावा दिशा पाटनी, जैकी श्रॉफ और रणदीप हुड्डा भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। वहीं कबीर खान की अपकमिंग फिल्म 83 कोरोना वायरस के चलते रिलीज नहीं हो पाई है।
मुंबई 22 जुलाई, (वार्ता)। बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन का कहना है कि उन्होंने कभी नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) को अपने करियर में आड़े नहीं आने दिया।
सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग समेत आम यूजर्स नेपोटिज़्म, आउटसाइडर्स-इनसाइडर्स को लेकर बहस कर रहे हैं। इस बीच विद्या बालन ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है।
विद्या ने कहा, मैंने भी इस इंडस्ट्री में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। हर तरह के अनुभवों को जिया है। मैं ये नहीं कहती कि नेपोटिज्म नहीं है लेकिन मैंने इसे अपने करियर में आड़े नहीं आने दिया। हालांकि, हर इंसान अलग होता है। यह काफी संवेदनशील समय है और लोगों को एक दूसरे से बातचीत कर अपनी परेशानियों को सुलझाने में गुरेज नहीं करना चाहिए।
विद्या इन दिनों अपनी फिल्म शकुंतला देवी को लेकर चर्चा में हैं जिसमें वह महान गणितज्ञ शकुंतला देवी का रोल निभा रही हैं। फिल्म महीने के अंत में ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम पर रिलीज होगी।
पुण्यतिथि 23 जुलाई पर
मुंबई 22 जुलाई, (वार्ता)। बतौर बाल कलाकार अपने सिने करियर की शुरूआत करने वाले महमूद ने अपने विशिष्ट अंदाज, हाव-भाव और आवाज से लगभग पांच दशक तक दर्शकों को भरपूर मनोरंजन किया।
वर्ष 1933 में जन्में महमूद के पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे। घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिये महमूद, मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफिया बेचा करते थे। बचपन के दिनों से ही महमूद का रूझान अभिनय की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे। अपने पिता की सिफारिश की वजह से महमूद को बॉम्बे टाकीज की वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म 'किस्मत' में अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाने का मौका मिल गया।
इस बीच महमूद ने कार ड्राइव करना सीखा और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर काम करने लगे क्योंकि इसी बहाने उन्हें मालिक के साथ हर दिन स्टूडियो जाने का मौका मिल जाया करता था, जहां वह कलाकारों को करीब से देख सकते थे। इसके बाद महमूद ने गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान और निर्माता पी.एल. संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम किया ।
महमूद के किस्मत का सितारा तब चमका जब फिल्म 'नादान' की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना संवाद नहीं बोल पाया । फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने यह संवाद महमूद को बोलने के लिये दिया गया जिसे उन्होंने बिना रिटेक एक बार में ही ओके कर दिया। इस फिल्म में महमूद को बतौर 300 रुपये मिले जबकि बतौर ड्राइवर महमूद को महीने मे मात्र 75 रुपये ही मिला करते थे।
मुंबई 22 जुलाई, (वार्ता)। बतौर बाल कलाकार अपने सिने करियर की शुरूआत करने वाले महमूद ने अपने विशिष्ट अंदाज, हाव-भाव और आवाज से लगभग पांच दशक तक दर्शकों को भरपूर मनोरंजन किया।
वर्ष 1933 में जन्में महमूद के पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे। घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिये महमूद, मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफिया बेचा करते थे। बचपन के दिनों से ही महमूद का रूझान अभिनय की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे। अपने पिता की सिफारिश की वजह से महमूद को बॉम्बे टाकीज की वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म ‘किस्मत’ में अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाने का मौका मिल गया।
इस बीच महमूद ने कार ड्राइव करना सीखा और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर काम करने लगे क्योंकि इसी बहाने उन्हें मालिक के साथ हर दिन स्टूडियो जाने का मौका मिल जाया करता था, जहां वह कलाकारों को करीब से देख सकते थे। इसके बाद महमूद ने गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान और निर्माता पी.एल. संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम किया ।
महमूद के किस्मत का सितारा तब चमका जब फिल्म ‘नादान’ की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना संवाद नहीं बोल पाया । फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने यह संवाद महमूद को बोलने के लिये दिया गया जिसे उन्होंने बिना रिटेक एक बार में ही ओके कर दिया। इस फिल्म में महमूद को बतौर 300 रुपये मिले जबकि बतौर ड्राइवर महमूद को महीने मे मात्र 75 रुपये ही मिला करते थे।
मुंबई, 22 जुलाई, (वार्ता)। बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन का कहना है कि उन्होंने कभी नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) को अपने करियर में आड़े नहीं आने दिया।
सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग समेत आम यूजर्स नेपोटिज़्म, आउटसाइडर्स-इनसाइडर्स को लेकर बहस कर रहे हैं। इस बीच विद्या बालन ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है।
विद्या ने कहा, मैंने भी इस इंडस्ट्री में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। हर तरह के अनुभवों को जिया है। मैं ये नहीं कहती कि नेपोटिज्म नहीं है लेकिन मैंने इसे अपने करियर में आड़े नहीं आने दिया। हालांकि, हर इंसान अलग होता है। यह काफी संवेदनशील समय है और लोगों को एक दूसरे से बातचीत कर अपनी परेशानियों को सुलझाने में गुरेज नहीं करना चाहिए।
विद्या इन दिनों अपनी फिल्म शकुंतला देवी को लेकर चर्चा में हैं जिसमें वह महान गणितज्ञ शकुंतला देवी का रोल निभा रही हैं। फिल्म महीने के अंत में ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम पर रिलीज होगी।
मुंबई, 22 जुलाई (वार्ता)। बॉलीवुड निर्देशक कबीर खान दबंग स्टार सलमान खान को लेकर ‘टाइगर’ सीरीज की तीसरी फिल्म बना सकते हैं।
कबीर खान ने सलमान को लेकर फिल्म ‘एक था टाइगर बनायी’ थी। हालांकि, सीरीज की दूसरी फिल्म का निर्देशन अली अब्बास जफर ने किया था। कहा जा रहा है कि कबीर खान एक बार फिर से सलमान खान को लेकर ‘टाइगर’ सीरीज की तीसरी फिल्म बनाने जा रहे हैं। अली की सिफारिश पर सलमान खान और कबीर खान ‘टाइगर’ सीरीज की तीसरी फिल्म के लिए साथ जुड़ रहे हैं।
चर्चा है कि ‘टाइगर’ सीरीज की तीसरी फिल्म अपने शुरुआती चरण में हैं और इसकी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। सलमान खान की आने वाली फिल्मों में निर्देशक प्रभुदेवा की फिल्म राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई प्रमुख है। इस फिल्म में सलमान खान के अलावा दिशा पाटनी, जैकी श्रॉफ और रणदीप हुड्डा भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। वहीं कबीर खान की अपकमिंग फिल्म 83 कोरोना वायरस के चलते रिलीज नहीं हो पाई है।
-अंजलि मिश्रा
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. लेकिन उनसे जुड़ी चर्चाएं अब भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं. रोज़ाना मीडिया में उनसे जुड़ी कोई न कोई बात सुर्खियां बटोर रही होती है या फिर वे किसी न किसी तरह सोशल मीडिया की ट्रेंडिंग लिस्ट का हिस्सा बने होते हैं. उनसे जुड़ी हालिया खबर न सिर्फ सबसे अलग है बल्कि थोड़ा चौंकाती भी है. अमेरिका के पैरानॉर्मल एक्सपर्ट यानी असामान्य घटनाओं की जानकारी रखने का दावा करने वाले - जिनमें मृत्यु के बाद का जीवन भी शामिल है - स्टीव हफ ने सुशांत सिंह राजपूत की आत्मा से संपर्क करने का दावा किया है. बीते हफ्ते जारी किए गए कुछ यूट्यूब वीडियोज में वे कथित रूप से एक आत्मा से बात करते दिखाई देते हैं जिसके बारे में उनका दावा है कि वह सुशांत सिंह राजपूत की आत्मा है.
सिर्फ दो-तीन दिनों में ही 30 लाख से ज्यादा व्यूज बटोर उनके एक वीडियो में स्टीव हफ सुशांत सिंह राजपूत की बताई जा रही आत्मा से उनकी मौत से जुड़े कई सवाल पूछते दिखाई देते हैं. स्टीव के यह पूछने पर कि ‘क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आपकी मौत वाली रात को क्या हुआ?’ जवाब मिलता है, ‘कई लोगों से झगड़ा.’ इसी तरह के कई और सवालों के गोल-मोल जवाब यहां पर सुनाई देते हैं. अगर एक बार को इस बातचीत को सच मानकर भी सुना जाए तो भी इससे कोई नई या ऐसी ठोस जानकारी नहीं पता चलती है, जो अब तक पब्लिक डोमेन में न हो. इन बातों से उनमें से किसी भी कयास को विराम नहीं मिलता जो पिछले एक महीने से लगातार लगाये जा रहे हैं.
इस वीडियो पर की गई एक टिप्पणी में स्टीव हफ इसकी सफाई देते भी देखे जा सकते हैं. वे कहते हैं कि ‘ध्यान दीजिए कि मैंने कई सवाल पूछे थे लेकिन आत्मा ने सभी के जवाब नहीं दिए. मैने और डिटेल्स निकालने की कोशिश की लेकिन जो आप वीडियो में देख रहे हैं, उससे अधिक कुछ नहीं जान सका. मेरा यकीन है कि आत्माओं को इस तरह की बातें करने की अनुमति नहीं होती है. दस सालों से मैं यह काम कर रहा हूं लेकिन कभी कोई आत्मा स्पेसिफिक डिटेल्स नहीं देती है या शायद उन्हें याद नहीं रहता है.’ इस टिप्पणी में स्टीव हफ आत्माओं को एनर्जी यानी ऊर्जा बताते हुए कहते हैं कि ‘आत्माएं उसी एनर्जी से बनी होती हैं जो हमारे भीतर हैं. वे मेरी डिवाइस के जरिए मुझसे संपर्क कर पाती हैं, बातचीत करती हैं लेकिन वे हमारी तरह भौतिक नहीं होती हैं.’ स्टीव हफ अपने वीडियोज में अक्सर ही इस तरह की बातें कहते दिखते हैं और इस बात का कारण बताने की कोशिश करते हैं कि क्यों कोई भी आत्मा स्पष्ट बातें नहीं कहती है या उनके जरिए कोई दबा-छिपा रहस्य क्यों उजागर नहीं किया जा सकता है.
पैरानॉर्मल एक्सपर्ट स्टीव हफ अमेरिका के एरिज़ोना स्टेट में रहते हैं और सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पैरानॉर्मल गतिविधियों की जानकारी शेयर करते हैं. कुछ साल पहले वे अमेरिका की पॉपुलर रियलिटी सीरीज ‘पैरानॉर्मल लॉकडाउन’ में नज़र आ चुके हैं. अब यूट्यूब पर 13 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स पाने वाले स्टीव हफ बीते कई सालों से आत्माओं से संपर्क करने, उनसे बात करने और उनकी तस्वीरें खींचने का दावा करते रहे हैं. सुशांत सिंह राजपूत के मामले में उनका कहना था कि उन्हें बहुत सारे लोगों ने मैसेज भेजकर उनकी आत्मा से संपर्क करने का आग्रह किया था. सुशांत से पहले स्टीव हफ हॉलीवुड एक्टर रॉबिन विलियम्स, गायक माइकल जैक्सन और वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडीसन जैसी अनगिनत हस्तियों से हुई कथित बातचीत के वीडियो भी जारी कर चुके हैं.
यूट्यूब चैनल के अलावा, स्टीव हफ वेबपोर्टल हफ पैरानॉर्मल डॉट कॉम भी चलाते हैं. इस पर उन्होंने अपने पैरानॉर्मल साइंटिस्ट बनने के कई अनुभव बांटे हैं. इनमें से ज्यादातर अनुभव जहां एंजेल, डेविल और आत्माओं से बातचीत का दावा करने वाले हैं. वहीं, कई ऐसे भी हैं जिनमें कई ऐसी इलेक्ट्रॉनिक-रेडियो डिवाइसेज की जानकारी दी गई है जिनका इस्तेमाल पैरानॉर्मल गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में किया जाता है. स्टीव हफ अपने वेबपोर्टल पर यह घोषणा भी करते हैं कि वे यहां पर जो भी पोस्ट करते हैं, वह नकली या किसी सनके हुए दिमाग की कल्पना नहीं बल्कि वास्तविक घटनाएं हैं.
इसके अलावा वे स्टीव हफ फोटो डॉट कॉम भी चलाते हैं जहां तस्वीरें शेयर करते और अलग-अलग तरह के कैमरों पर बातचीत या उनकी समीक्षा करते दिखते हैं. इस वेबसाइट पर तो तस्वीरें खींचने के शौकीन किसी आम फोटोग्राफर सरीखी तस्वीरें ही हैं. लेकिन उनके शौक से जुड़ी खास बात यह है कि वे पैरानॉर्मल छवियों और दृश्यों को भी अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं. पैरानॉर्मल गतिविधियों वाली उनकी वेबसाइट पर मौजूद ऐसी सबसे ध्यान खींचने वाली तस्वीरों में से एक उनके पालतू कुत्ते की आत्मा की तस्वीर है.
खुद को इंस्ट्रूमेंटल ट्रांस कम्युनिकेशन (आईटीसी) रिसर्चर बताने वाले स्टीव के मुताबिक उन्होंने आठ साल की मेहनत के बाद एक डिवाइस बनाई है जो आत्माओं की बातचीत को स्पष्ट ऑडियो में बदल सकती है. इसे उन्होंने हफ स्पिरिट बॉक्स नाम दिया है. यह स्पिरिट कम्युनिकेशन डिवाइस तीन स्टार रेटिंग के साथ एमेजॉन.कॉम पर भी बेची जा रही है, लेकिन इस समय यह आउट ऑफ स्टॉक है. इस डिवाइस के डेस्क्रिप्शन में ‘एंटरटेनमेंट पर्पज ओनली’ लिखा गया है जिसके बारे में बताते हुए हफ अपनी वेबसाइट पर लिखते हैं कि केवल यह डिवाइस भर आत्माओं से संपर्क करने के लिए काफी नहीं है इसलिए किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए यह लाइन डिवाइस के डेस्क्रिप्शन में जोड़ दी गई है.
स्टीव हफ से पहले कई भारतीय पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स ने भी सुशांत सिंह राजपूत की आत्मा से संपर्क करने का दावा किया था. हालांकि वे भी कोई नई या ठोस बात कह पाने में सफल नहीं हो सके थे. लेकिन उन संपर्कों में उनसे सीधी बातचीत होने की बात नहीं कही गई थी. इन दिनों यूट्यूब समेत तमाम सोशल मीडिया मंचों पर पैरानॉर्मल एक्सपर्ट, टैरो कार्ड रीडर, मेंटल काउंसलर जैसे प्रोफेशनल्स के उन वीडियोज की भरमार देखी जा सकती है जिनमें वे राजपूत की मौत या उससे जुड़े रहस्यों पर बात करते दिखाई देते हैं.(satyagrah)
मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)| दिग्गज अभिनेत्री जरीना वहाब एक लघु फिल्म से वापसी करने जा रही हैं। जरीना आगामी लघु फिल्म 'कश्मीरियत' से पर्दे पर लौट रही हैं। उन्होंने फिल्म की स्टोरीलाइन को लेकर बात की।
उन्होंने कहा, "कई भूमिकाओं को निभाने के बावजूद, यह निश्चित रूप से बहुत गहराई वाली कहानी है। इसे इतने अच्छे तरीके से बताया गया कि मैं इसे शूटिंग के पहले ही अपने दिमाग में देख पाई। खास कर क्लाइमेक्स वाला हिस्सा जबरदस्त है। ईमानदारी से कहूं तो यह अभी भी मेरे जेहन में बनी हुई है।"
इस फिल्म की कहानी एक मां-बेटे के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है।
फिल्म के निर्देशक दिव्यांशु पंडित ने एक कश्मीरी होने के नाते कहानी के प्रति अपना भावनात्मक लगाव व्यक्त किया।
दिव्यांशु ने कहा, "एक कश्मीरी होने के नाते मैं हमेशा से इसकी कहानी बताना चाहता था और आखिरकार मैं इसे अपने माध्यम से बता रहा हूं। एक खास एजेंडे और मीडिया के एक प्रमुख वर्ग के जरिए संचालित होने वाली आवाजों ने हमेशा कश्मीर, उसके लोगों और भारतीय सेना की एक छवि बनाई है, जो कि पूरी तरह से बकवास है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारी लघु फिल्म में हमने दिखाया है कि घाटी में जो दुष्चक्र है वह वास्तव में योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। कश्मीर एक अत्यंत जटिल विषय है। चूंकि दुनिया को इसका केवल एक पक्ष दिखाया गया है, लिहाजा मैंने अपनी फिल्म के जरिए इस जटिलता के पीछे का दूसरा पक्ष भी दिखाने का प्रयास किया है, जिसे मुख्यधारा में कभी चित्रित नहीं किया गया है।"
दिव्यांश ने कहा, "इस मां और बेटे की कहानी के जरिए दर्शक घाटी की अधिकांश परतें देखेंगे।"
इस फिल्म में जरीना के साथ नवीन पंडित, अंशुल त्रिवेदी, अभय भार्गव और रोहित सागर गिरधर भी हैं।
आशुतोष पंडित द्वारा निर्मित यह फिल्म 12 अगस्त को यूट्यूब पर रिलीज होगी।
--आईएएनएस
मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)| डिटेक्टिव बूमराह के प्रशंसकों की इंतजार की घड़ियां खत्म हो चुकी हैं और पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से भारतीय दर्शकों के पसंदीदा रहे इस किरदार का पहला लुक अब सामने आ चुका है। कहानीकार सुधांशु राय अपने इस किरदार को अब बड़े परदे के साथ-साथ कुछ प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्मो पर उतारने की भी तैयारी कर रहे हैं।
डिटेक्टिव बूमराह के किरदार को जन्म देने वाले कहानीकार सुधांशु राय ने अब इस जासूस के पहले लुक पर से पर्दा उठा दिया है। इस जाने-माने कहानीकार ने अपने यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर यह राज खोला जिसके बाद डिटेक्टिव बूमराह के प्रशंसकों से जबर्दस्त उत्साही प्रतिक्रियाएं मिलनी शुरू हो गईं।
लंबे लहरदार बालों वाले डिटेक्टिव बूमराह इस अवतार में शर्ट के ऊपर एक ओवरकोट पहने हुए दिखायी दे रहे हैं। इस पोस्टर में जो माहौल दिखायी दे रहा है वह मिस्ट्री और हॉरर वाले उसी वातावरण से मिलता-जुलता है जिसमें डिटेक्टिव बूमराह अक्सर सक्रिय रहते हैं।
अपने पूर्ववर्ती जासूसी किरदारों से एकदम जुदा हैं डिटेक्टिव बूमराह, जो न हैट पहनते हैं, न सिगार के धुएं उड़ाते दिखते हैं। इस पोस्टर को भारत में ग्राफिक उपन्यासों के दिग्गज प्रकाशक कैंपफायर ने डिजाइन किया है जो कि अनेक कॉमिकॉन इंडिया पुरस्कार जीत चुके हैं।
डिटेक्टिव बूमराह का सिद्धांत है 'कुछ भी नामुमकिन नहीं होता'। पहले देखे गए जासूसी किरदारों से इतर, डिटेक्टिव बूमराह पैरानॉर्मल और यहां तक कि एलियंस से जुड़े मामलों की छानबीन की चुनौती को हाथों-हाथ लेने से नहीं घबराते।
कहानीकार सुधांशु राय की हॉरर स्टोरी भानगढ़ में डिटेक्टिव बूमराह ने खुद को इस किले के रहस्यों के बीच पाया। इसके पूर्व, बूमराह ने एक कैसिनो में आने वाले लोगों के साथ मौत और रहस्य का खेल खेलने वाले एक शैतान का पदार्फाश किया और कभी एक सीरियल किलर को धर दबोचा। डिटेक्टिव बूमराह की कुछ बेहद लोकप्रिय कहानियों में शामिल हैं द किलर, हॉरर ऑफ नुआंबी विलेज, द मिस्टिरियस मिसेज मैकबेथी और द डार्क हाउस आदि।
अपने इस प्रसिद्ध किरदार के पहले लुक का अनावरण करते हुए कहानीकार सुधांशु राय ने कहा, "डिटेक्टिव बूमराह उन सभी जासूस किरदारों से काफी अलग है जिनके बारे में आपने अभी तक जाना या सुना होगा। उनका लुक आधुनिक सिनेमा के दर्शकों की पसंद और रुचि के मुताबिक है। बूमराह के प्रशंसक काफी समय से उन्हें देखने की मांग कर रहे थे। यह मेरा बूमराह के प्रशंसकों के लिए उपहार है।"
कहानीकार सुधांशु राय अपने इस किरदार को अब बड़े परदे के साथ-साथ कुछ प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्मों पर उतारने की भी तैयारी कर रहे हैं और बहुत मुमकिन है कि डिटेक्टिव बूमराह जल्द ही किसी दिलचस्प वेब सीरीज में दर्शकों के सामने आएं। इस संदर्भ में सुधांशु जल्द ही कुछ प्रमुख ओटीटी प्लैटफार्म जैसे नेट़िफ्लक्स, अमेजन प्राइम, डिज्नी हॉटस्टार आदि से बातचीत शुरू करेंगे डिटेक्टिव बूमराह के रूप-रंग और अंदाज को पेश करने वाला पहला वीडियो भी जल्द दर्शकों के सामने आने जा रहा है।
--आईएएनएस
मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस) अभिनेत्री और पूर्व ब्यूटी क्वीन उर्वशी रौतेला ने खुलासा किया कि उन्होंने अपनी नई फिल्म 'वर्जिन भानुप्रिया' में प्रमुख भूमिका के लिए सात किलो वजन बढ़ाए थे। उनका कहना है कि एक अभिनेत्री के रूप में यह चुनौती उनके लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थी।
उर्वशी ने कहा, "भानुप्रिया के किरदार के लिए मैंने सात किलो वजन बढ़ाया, जो कि 15.432 पाउंड है और मैं कहना चाहूंगी कि किरदार की तैयारी एक अभिनेत्री के रूप में उतनी ही की है जितनी एक प्रदर्शन के रूप में, क्योंकि भानुप्रिया की शारीरिक चाल-चलन, बोलचाल का तरीका या व्यक्तित्व मेरे अपने व्यक्तित्व से बहुत अलग हैं। एक अभिनेत्री के रूप में मेरे लिए यह चुनौती शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक थी।"
उर्वशी ने कहा कि वह सच में अपने स्क्रीन अवतार, भानुप्रिया के गुणों को आत्मसात करना चाहती थी।
उन्होंने कहा, "मैं सबसे यादगार और सराहनीय प्रदर्शन पेश करना चाहती थी और पूरी तरह से भानुप्रिया बनना चाहती थी, जिसके लिए समर्पण की आवश्यकता थी। इसलिए मैंने एक अलग नजरिए से भानुप्रिया को चित्रित किया। भानुप्रिया की आंतरिक समस्या पर ध्यान केंद्रित करना और फिर इस मुद्दे को व्यक्त करना बहुत महत्वपूर्ण था।"
'वर्जिन भानुप्रिया' में गौतम गुलाटी, अर्चना पूरन सिंह, डलनाज ईरानी, राजीव गुप्ता और बृजेन्द्र काला, निकी अनेजा वालिया और रूमाना मोला भी हैं।
--आईएएनएस
मुंबई, 21 जुलाई (वार्ता)। बॉलीवुड की डिंपल गर्ल दीपिका पादुकोण और किंग खान शाहरूख खान की सुपरहिट जोड़ी एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर साथ नजर आ सकती है।
दीपिका ने अपनी डेब्यू फिल्म 'ओम शांति ओम 'शाहरूख खान के साथ की थी। इस फिल्म में न केवल दीपिका की एक्टिंग को पसंद किया गया, बल्कि लोग उनकी खूबसूरती के भी दीवाने हो गए। शाहरुख और उनकी जोड़ी को भी खूब सराहा गया। इस फिल्म के बाद दीपिका ने शाहरुख के साथ 'चेन्नई एक्सप्रेस' और 'हैप्पी न्यू ईयर' में काम किया। बॉलीवुड में चर्चा है कि दीपिका पादुकोण, यशराज बैनर तले बनने वाली एक फिल्म में नजर आ सकती हैं। हालांकि, अभी दीपिका ने फिल्म साइन नहीं की है, लेकिन उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आ गई है। यदि दीपिका इस फिल्म को साइन करती हैं तो इस फिल्म में वो शाहरुख खान के अपोजिट नजर आ सकती हैं।
मुंबई, 21 जुलाई (न्यूज 18)। मशहूर लेखक चेतन भगत हाल ही में तब सुर्खियों में छाए थे, जब उन्होंने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म के मुद्दे पर अपनी राय रखी। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले चेतन ने हाल ही में सुशांत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा को लेकर ट्वीट कर समीक्षकों को चेतावनी दी है। चेतन भगत का फिल्म समीक्षकों को लेकर किया गया ये ट्वीट खूब सुर्खियां बटोर रहा है। चेतन के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर कमेंट कर रहे हैं।
चेतन भगत ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में समीक्षकों से फिल्म दिल बेचारा के बारे में समझदारी से लिखने की सलाह दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि कुछ भी ओवर स्मार्ट बनकर न लिखें। कुछ भी बेकार चीज न लिखें। निष्पक्ष और समझदार बनें।
ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म इस हफ्ते रिलीज होगी। मैं सभी स्नोब और अभिजात्य समीक्षकों से अब कहना चाहूंगा कि समझदारी से लिखें। ओवर स्मार्ट बनकर काम न करें। बेकार चीजें न लिखें। निष्पक्ष और समझदार बनें। बेकार तरीकों का इस्तेमाल न करें। आपने वैसे ही कई जिंदगियां बर्बाद कर दी हैं। अब रुकिए। हम लोग देख रहे हैं।
उन्होंने फिर ट्वीट किया और अपना दूसरे ट्वीट करते हुए लिखा- इन समीक्षकों को किराए पर लेने वाले मीडिया संगठनों के लिए, अभिजात्य लोगों को काम पर रखना बहुत ही भयानक रणनीति है, जिन्हें भारत समझ नहीं आता और उन्हें लगता है कि वह भारतीय से ज्यादा अच्छे हैं। अंदर से कुछ और, बाहर से कुछ और लोग यह जरूर सुनिश्चित करेंगे कि आपका संस्थान दिवालिया हो जाए। कई लोगों का पहले हो भी चुका है।
उन्होंने फिर ट्वीट किया और लिखा-भारतीयों को अच्छी अंग्रेजी बोलने वाले लोगों से सत्यापन पसंद है। यह परम प्रशंसा है। यहीं से कुछ आलोचकों ने प्रोफाइल बनाई। वे अच्छी अंग्रेजी बोलते थे लेकिन बुरे लोग थे, सत्यापन के लिए उन्हें देखना बंद करो। ये वो भूरे लोग हैं, जो भारतीयों से नफरत करते हैं।
अपने अगले ट्वीट में चेतन ने कहा-मां कसम, मजा आ गया आपकी मस्त पिक्चर देखकर। मैं आपकी इस जबरदस्त फिल्म देखने के लिए उत्साहित था। यूं तो दोनों लाइनों का अर्थ एक जैसा है। लेकिन अधिकांश भारतीय, यहां तक कि बड़े सितारे भी दूसरी लाइन ही सुनना चाहते हैं। इसलिए कुछ आलोचक ज्यादा महत्वपूर्ण बन गए हैं। इस पर विराम लगाओ।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा-प्रिय सितारों, आप करोड़ों लोगों में से 10 या 100 लोगों को बनाते हैं। इस देश में अरबों लोग आपसे प्यार करते हैं। क्या यह काफी नहीं है? क्या आपको वास्तव में फोनी, अंग्रेजी बोलने वाले दुष्ट आलोचकों से मान्यता की जरूरत है, जिन्होंने एक उभरते सितारे को मानसिक तनाव देकर मरने पर मजबूर कर दिया? कृपया, ऐसे लोगों को संरक्षण देना बंद करें।
आपको बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी की फिल्म दिल बेचारा इसी महीने 24 तारीख को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का फैंस को भी बेसब्री से इंतजार है।
जन्मदिवस 22 जुलाई
मुंबई, 21 जुलाई (वार्ता)। दर्द भरे नगमों के बेताज बादशाह मुकेश के गाये गीतों में न सिर्फ संवेदनशीलता दिखाई देती है बल्कि निजी जिंदगी में भी वह बेहद संवेदनशील इंसान थे जो दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करते थे।
एक बार एक लड़की बीमार हो गई। लड़की ने अपनी मां से ख्वाहिश जाहिर कि यदि मुकेश उन्हें कोई गाना गाकर सुनाएं तो वह ठीक हो सकती है। मां ने जवाब दिया कि मुकेश बहुत बड़े गायक हैं, भला उनके पास तुम्हारे लिए कहां समय है। यदि वह आते भी हैं तो इसके लिए काफी रुपये लेंगे। तब उसके डॉक्टर ने मुकेश को उस लड़की की बीमारी के बारे में बताया।
मुकेश तुरंत लड़की से मिलने अस्पताल गए और उसके गाना गाकर सुनाया और इसके लिए उन्होंने कोई रुपया नहीं लिया। लड़की को खुश देखकर मुकेश ने कहा.. यह लड़की जितनी खुश है..उससे ज्यादा खुशी मुझे मिली है।..
मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था । उनके पिता लाला जोरावर चंद माथुर एक इंजीनियर थे और वह चाहते थे कि मुकेश उनके नक्शे कदम पर चलें, लेकिन वह अपने जमाने के प्रसिद्ध गायक अभिनेता कुंदनलाल सहगल के प्रशंसक थे और उन्हीं की तरह गायक अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे।
मुकेश ने दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया और दिल्ली लोक निर्माण विभाग में सहायक सर्वेयर की नौकरी कर ली। जहां उन्होंने सात महीने तक काम किया। इसी दौरान अपनी बहन की शादी में गीत गाते समय उनके दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने उनकी आवाज सुनी और प्रभावित होकर वह उन्हें 1940 में वह मुंबई ले आए और उन्हें अपने साथ रखकर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया।
इसी दौरान मुकेश को एक हिन्दी फिल्म ..निर्दोष..1941. में अभिनेता बनने का मौका मिल गया जिसमें उन्होंने अभिनेता-गायक के रूप में संगीतकार अशोक घोष के निर्देशन में अपना पहला गीत..दिल ही बुझा हुआ हो तो..भी गाया। हालांकि, यह फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। इसके बाद मुकेश ने दुख-सुख, आदाब अर्ज जैसी कुछ और फिल्मों में भी काम किया लेकिन पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सके।
मोतीलाल प्रसिद्ध संगीतकार अनिल विश्वास के पास मुकेश को लेकर गये और उनसे अनुरोध किया कि वह अपनी फिल्म में मुकेश से कोई गीत गवाएं। वर्ष 1945 में प्रदर्शित फिल्म 'पहली नजर' में अनिल विश्वास के संगीत निर्देशन में .. दिल जलता है तो जलने दे..गीत के बाद मुकेश कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।
मुकेश ने इस गीत को सहगल की शैली में ही गाया था। सहगल ने जब यह गीत सुना तो उन्होंने कहा था..अजीब बात है ..मुझे याद नहीं आता कि मैंने कभी यह गीत गाया है। इसी गीत को सुनने के बाद सहगल ने मुकेश को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। सहगल की गायकी के अंदाज से प्रभावित रहने के कारण अपनी शुरूआती दौर की फिल्मों में मुकेश सहगल के अंदाज मे ही गीत गाया करते थे लेकिन वर्ष 1948 मे नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म ..अंदाज.. के बाद मुकेश ने गायकी का अपना अलग अंदाज बनाया।
मुकेश के दिल में यह ख्वाहिश थी कि वह गायक के साथ साथ अभिनेता के रूप मे भी अपनी पहचान बनाये । बतौर अभिनेता वर्ष 1953 में प्रदर्शित माशूका और वर्ष 1956 में प्रदर्शित फिल्म अनुराग की विफलता के बाद उन्होने पुन: गाने की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया ।
इसके बाद वर्ष 1958 मे प्रदर्शित फिल्म यहूदी के गाने ..ये मेरा दीवानापन है .. की कामयाबी के बाद मुकेश को एक बार फिर से बतौर गायक अपनी पहचान मिली। इसके बाद मुकेश ने एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओ को भाव विभोर कर दिया।
मुकेश ने अपने तीन दशक के सिने कैरियर मे 200 से भी ज्यादा फिल्मों के लिये गीत गाये। गायक मुकेश को उनके गाये गीतो के लिये चार बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावे वर्ष 1974 मे प्रदर्शित ..रजनी गंधा .. के गाने ..कई बार यूही देखा.. के लिये मुकेश राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये।
राजकपूर की फिल्म ..सत्यम.शिवम.सुंदरम.. के गाने..चंचल निर्मल शीतल.. की रिकार्डिंग पूरी करने के बाद वह अमरीका में एक कंसर्ट में भाग लेने के लिए चले गए जहां 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पडऩे से उनका निधन हो गया । उनके अनन्य मित्र राजकपूर को जब उनकी मौत की खबर मिली तो उनके मुंह से बरबस निकल गया.. मुकेश के जाने से मेरी आवाज और आत्मा..दोनों चली गई।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। तेलुगू अभिनेत्री लक्ष्मी मांचू का कहना है कि मेडिटेशन ने उन्हें खुद को जानने में उनकी मदद की है और साथ ही अपने गुस्से व निराशाओं को भी अपनाना सिखाया है।
मेडिटेशन की तरफ वह किस तरह से आकर्षित हुईं?
इस पर लक्ष्मी ने बताया, यह एकाएक हुआ। मेडिटेशन से पहले भी आत्म-खोज के बारे में मेरा झुकाव था जैसे कि मैं यहां क्यों हूं, मैं कौन हूं? मैं क्यों पैदा हुई हूं? यह जिंदगी क्या है? अपने शुरूआती दिनों में मेरे ऐसे ही कई सवाल थे और फिर मैं शायद नौवीं कक्षा में थी जब मुझे क्वॉन्टम फिजिक्स या आत्म-खोज के बारे में अपना पहला पाठ्यक्रम मिला। जब मैं 18 साल की थी, उस वक्त मैंने अपना पहला रियल मेडिटेशन कोर्स किया। मैं इससे जुड़ गई क्योंकि यह आपको अपने भीतर समाए हर उस चीज के बारे में बताता है जिसे जानना जरूरी है।
इससे उन्हें क्या मदद मिली? इस पर लक्ष्मी कहती हैं, इसने खुद को समझने में मेरी मदद की, अपने गुस्से, अपनी निराशाओं, उतार-चढ़ावों को अपनाना सिखाया, इनके बारे में जागरूक रहना सिखाया और इसके साथ ही जिंदगी से तालमेल रखना भी सिखाया जिसमें अकसर कई मोड़ आते रहते हैं।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। अभिनेत्री विद्या बालन अपनी आगामी फिल्म ‘शकुंतला देवी’ में उनकी जिंदगी के विभिन्न चरणों को प्रदर्शित करते हुए पांच अलग-अलग लुक में नजर आएंगी। विद्या के इन अलग-अलग लुक्स के पीछे श्रेयस म्हात्रे, शलाका भोंसले और निहारिका भसीन जैसे लोग हैं, जिन्हें किरदार को उसके वास्तविक अंदाज में पेश करने के लिए काफी रिसर्च करना पड़ा।
मेकअप का जिम्मा संभालने वाले म्हात्रे ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने शकुंतला देवी की तस्वीरें देखी और उसे विद्या के साथ मैच कराने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘मुझे फिल्म में शकुंतला देवी की उम्र के आधार पर अलग-अलग लुक तैयार करने थे। मैंने शकुंतला देवी पर रिसर्च किया, उनकी तस्वीरों को देखा और विद्या के लुक को उनके चेहरे से मिलाने की कोशिश की। विद्या और निर्देशक के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद, मैंने ये पांच लुक फाइनल किए।
फिल्म में शुकंतला देवी के किरदार में विद्या लंबे बालों से लेकर बॉब कट में नजर आईं।
शलाका भोंसले ने आईएएनएस को बताया कि फिल्म में 1940 के दशक से साल 2000 के दशक के बीच शकुंतला देवी की जिंदगी के तमाम अलग-अलग दौर को शामिल किया है।
इस पर शलाका कहती हैं, ‘शकुंतला देवी की तस्वीरों को देखने के साथ ही हमने उस दौर के बारे में कई रिसर्च किए। (निर्देशक) अनु मेनन ने हमें बताया कि अपनी जिंदगी के विभिन्न चरणों में शकुंतला देवी ने हेयरस्टाइल में कई बदलाव किए थे और हम भी उस हिसाब से काम करते गए। फिल्म में हमने लंबे से लेकर छोटे बाल दिखाए हैं। हमने यूट्यूब पर शकुंतला देवी के कई ओरिजिनल वीडियोज देखे और लुक को अंतिम रूप देने से पहले इनसे कई रेफरेंस लिए।’
स्टाइलिंग का काम करने वाली निहारिका भसीन कहती हैं, ‘आमतौर पर हम साथ में बैठकर हेयर, मेकअप, वॉर्डरोब डिसाइड करते हैं, तो एक किरदार के लुक को तैयार करने में ये सारी चीजें साथ आती हैं। हमने शकुंतला देवी की जिंदगी के बारे में जाना, उन पर कई रिसर्च किए और यह ढूंढ़ निकाला कि उन दशकों के दौरान स्टाइल और फैशन के कौन से पहलू प्रचलन में थे। किरदार को रीक्रिएट करने में हमने इन्हें शामिल किया।’
अनु मेनन द्वारा निर्देशित फिल्म में सान्या मल्होत्रा, अमित साध और यीशु सेनगुप्ता जैसे कलाकार भी हैं। फिल्म को 31 जुलाई एमेजॉन प्राइम वीडियो पर प्रसारित किया जाएगा।
मुंबई, 21 जुलाई (आईएएनएस)। अभिनेत्री वाणी कपूर इस बात को लेकर काफी आनंदित हैं कि उन्हें ऋतिक रोशन, रणबीर कपूर और अक्षय कुमार के साथ काम करने का अवसर मिला है। वह कहती है कि यह एक सपना सच होने जैसा है।
ऋतिक के साथ वाणी ने ‘वार’ में काम किया था, जबकि वह रणबीर के साथ ‘शमशेरा’ में दिखाई देंगी और उनकी आगामी फिल्म ‘बेल बॉटम’ में उनके विपरीत अक्षय कुमार हैं।
इस पर वाणी ने कहा, ‘मैं पूरी तरह से खुश हूं और मैं इससे ज्यादा खुद को भाग्यशाली नहीं मान सकती कि मुझे उद्योग में ऐसे दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। मैंने हमेशा ऋतिक, रणबीर और अक्षय कुमार को अपना आदर्श माना है। मुझे उनकी फिल्में पसंद हैं इसलिए यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है।’
वाणी ने आगे कहा, ‘ऋतिक असाधारण रूप से प्रतिभाशाली है और वह जिस चीज में भी शामिल होते हैं उसमें पूरी जुनून के साथ पूरी तरह से रम जाते हैं और उनका यही जुनून उनके आसपास के लोगों को प्रेरित करता है। रणबीर अपने शालीनता और अपने शांत स्वभाव में सहज हैं और उनका करिश्माई अभिनय स्क्रीन पर स्पष्ट नजर आता है। वहीं अक्षय निश्चित रूप से एक आदर्श की मूर्ति हैं जो आज उद्योग में सर्वश्रेष्ठ में से एक हैं और उनके योगदान और स्टार की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।‘’
साउथ इंडियन एक्ट्रेस ऐश्वर्या अर्जुन कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। उन्होंने इंस्टा स्टोरी पर अपने कोविड 19 पॉजिटिव होने की जानकारी दी है। फैंस एक्ट्रेस के जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं। ऐश्वर्या ने पोस्ट में लिखा- हाल ही में मेरा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है। मैं घर पर क्वारनटीन में हूं। मेडिकल टीम द्वारा दी गई सभी जरूरी बातों का मैं पालन कर रही हूं। अगर कोई भी पिछले दिनों मेरे संपर्क में आया हो तो प्लीज अपना ध्यान रखें। सुरक्षित रहें और मास्क जरूर पहनें। अपनी अच्छी सेहत के साथ मैं दोबारा आपसे कॉन्टैक्ट करूंगी।
ऐश्वर्या जाने माने दिग्गज तमिल, तेलुगू और कन्नड़ एक्टर-फिल्ममेकर अर्जुन सरजा की बेटी हैं। उन्हें फैंस एक्शन किंग भी कहते हैं। सोशल मीडिया पर फैंस ऐश्वर्या के जल्द ठीक होने के मैसेज कर रहे हैं। उनकी अच्छी सेहत और सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं। ऐश्वर्या से पहले अर्जुन सरजा के भतीजे धु्रव सरजा और उनकी पत्नी को कोरोना हुआ था। ऐश्वर्या दिवंगत एक्टर चिरंजीवी सरजा की कजिन है। मालूम हो, चिरंजीवी सरजा का 7 जून को दिल का दौरा पडऩे की वजह से निधन हुआ था। (आजतक)
भुवनेश्वर, 21 जुलाई (आईएएनएस)| वरिष्ठ ओड़िया फिल्म अभिनेता एवं निर्देशक विजय मोहंती का यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 70 वर्ष के थे। मोहंती के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि सोमवार की शाम अभिनेता की तबीयत बिगड़ गई। गंभीर में उन्हें भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी सांसें हमेशा के लिए थम गईं।
अभिनेता को 14 जून को विशेष एंबुलेंस से हैदराबाद से ओडिशा लाया गया था। इससे पहले, दिल का दौरा पड़ने के बाद वह हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे।
विजय मोहंती राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने 1977 में ओड़िया फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की थी। वह अब तक 150 फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्हें साल 2014 में जयदेव पुरस्कार और कला व साहित्य में उतकृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
मुंबई, 20 जुलाई (आईएएनएस)| सलमान खान खेत में ट्रैक्टर चलाते नजर आए हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में इस बारे में अपना अनुभव साझा किया है। लॉकडाउन के दौरान अपने पनवेल स्थित फार्महाउस पहुंचे सलमान खान वीडियो में ट्रैक्टर पर बैठकर जमीन की जुताई करते हुए देखे जा सकते हैं।
वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'खेती।' वहीं क्लिप में वह गुलाबी टी-शर्ट पहने दिखाई दे रहे हैं।
उनके इस वीडियो पर प्रशंसकों के कई कमेंट आए।
एक यूजर ने लिखा, "आप महान हो।"
अन्य ने लिखा, "प्रेरणा, किसान सल्लू।"
कुछ दिन पहले सलमान ने सभी किसानों का सम्मान करते हुए खेत से अपनी एक तस्वीर पोस्ट की थी।
मुंबई, 20 जुलाई। अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनास ने अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी पॉप स्टार पति निक जोनास के लिए इंस्टाग्राम पर एक मजेदार संदेश लिखा है। अभिनेत्री ने निक का शुक्रिया अदा किया कि वह हमेशा उन्हें सोचते रहते हैं। अभिनेत्री ने खुद को दुनिया की 'सबसे भाग्यशाली लड़की' कहा। संदेश के साथ ही प्रियंका ने निक के साथ की अपने जन्मदिन के जश्न की तस्वीर साझा की। तस्वीर में प्रियंका और निक एक दर्पण के सामने किस कर रहे हैं ।
तस्वीर के साथ प्रियंका ने लिखा, "मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी के लिए। 2 साल पहले इस दिन आपने मुझसे शादी करने के लिए कहा था! मैं तब अवाक रह गई थी, लेकिन मैं तब से हर रोज हां कहती हूं। सबसे असाधारण समय में आपने इस सप्ताहांत को इतने बेहतरीन तरीके से यादगार बना दिया।"
इस तस्वीर पर अब तक 16 लाख लाइक्स मिल चुके हैं।
उन्होंने आगे लिखा, "मुझे हर वक्त सोचने के लिए शुक्रिया। मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हूं। मैं आपसे बेहद प्यार करती हूं।"
निक और प्रियंका ने साल 2018 के दिसंबर में भारत में शादी की थी। उन्होंने बाद में दोस्तों और परिवार के लिए कई रिसेप्शन आयोजित किए। (ians)
बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री ग्रेसी सिंह आज 40 वर्ष की हो गयी । ग्रेसी सिंह का जन्म 20 जुलाई 1980 को नई दिल्ली में हुआ था। ग्रेसी के माता-पिता चाहते थे कि वह इंजीनियर बनें लेकिन वह क्लासिकल डांसर बनना चाहती थीं। ग्रेसी को वर्ष 1997 में टीवी सीरियल 'अमानत' में काम करने का अवसर मिला। इसके बाद ग्रेसी सिंह ने हू तू तू, हम आपके दिल में रहते है जैसी कुछ फिल्मों में छोटी भूमिका निभायी।
वर्ष 2001 में प्रदर्शित फिल्म 'लगान' ग्रेसी सिंह के करियर की सुपरहिट फिल्म साबित हुयी। फिल्म में ग्रेसी सिंह ने आमिर खान के अपोजिट काम किय । फिल्म की सफलता के बाद ग्रेसी ने अजय देवगन के साथ 'गंगाजल' और संजय दत्त के साथ 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
ग्रेसी सिंह ने हिंदी फिल्मों के अलावा तेलुगु, पंजाबी, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, मराठी जैसी कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया, लेकिन सफलता हासिल नही कर सकी। इसके बाद ग्रेसी ने टीवी सीरियल'संतोषी मां'शो में मुख्य किरदार निभाया जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया। ग्रेसी सिंह इन दिनों बॉलीवुड में सक्रिय नही है। (वार्ता)
मुंबई, 19 जुलाई (आईएएनएस)। बॉलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु का कहना है कि वह लाइव ऑडियंस के सामने परफॉर्म करने की एनर्जी और उल्लास को मिस कर रही हैं। बिपाशा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक पुरानी तस्वीर साझा की हैं, जिसमें उन्हें मंच पर परफॉर्म करते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें अब ऐसा दोबारा जल्द ही होने का इंतजार नहीं हो रहा है।
वह तस्वीर के साथ लिखती हैं, लाइव ऑडियंस के सामने परफॉर्म करने की एनर्जी और उल्लास को मिस कर रही हूं..जल्द ही ऐसा दोबारा होने का अब और इंतजार नहीं हो रहा है। यह तस्वीर आईफा अवॉर्डस में मेरे सबसे यादगार प्रस्तुतियों में से एक है। दम मारो दम पर डांस कर रही थी। हैशटैगथ्रोबैक।
अभिनय की बात करें, तो आने वाले समय में बिपाशा और उनके पति करण सिंह ग्रोवर अगली फिल्म, आदत, में साथ काम करते नजर आएंगे।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (आईएएनएस)। अभिनेत्री श्रुति बापना ने वेब सीरीज ‘ब्रीद: इनटू द शैडो’ में एक समलैंगिक का किरदार निभाया है। उनका कहना है कि जब उन्होंने यह भूमिका निभाई थी तो इसे लेकर वह आशंकित नहीं थीं। यह पहली बार था जब श्रुति ने समलैंगिक का रोल निभाया। इतना ही नहीं उन्होंने इस थ्रिलर सीरीज में अभिनेत्री निथ्या मेनन के साथ लिपलॉक सीन भी दिया।
श्रुति ने आईएएनएस को बताया, जब मुझे यह रोल मिला, तो मैंने इन अंतरंग ²श्यों के बारे में ज्यादा नहीं सोचा। हां, एक अभिनेत्री के रूप में यह आसान नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अंतरंग समलैंगिक ²श्य करने के बारे में आशंकित थीं, तो उन्होंने इससे इंकार किया।
उन्होंने बताया, मैंने अपने किरादार नताशा को एक समलैंगिक महिला के रूप में समझने और खोजने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की थी। उस महिला की सेक्सुअल आइडेंटिटी जानने-महसूस करने के लिए यह मेरे लिए यह मनोविज्ञान में गोता लगाने के लिए दिलचस्प था।
वह कहती है कि उसे पता था कि इस ²श्य को सही माना जाएगा और यह सही इरादे के साथ किया गया था।
उनके इस प्रदर्शन पर परिवार ने क्या प्रतिक्रिया दी है? इस पर उन्होंने कहा, वे सभी बहुत खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं। वे भी खुश हैं कि मुझे स्क्रीन में जगह मिली।
इस सीरीज में अभिषेक बच्चन और अमित साध ने अहम भूमिका निभाई है।
मुंबई, 20 जुलाई (आईएएनएस)। बॉलीवुड अभिनेत्री कल्कि कोचलिन अपने नए सोशल मीडिया पोस्ट में अपनी कांख के बालों को फ्लॉन्ट करती नजर आईं। इंस्टाग्राम पर कल्कि ने अपनी एक तस्वीर साझा की हैं, जिसमें वह अपने बॉयफ्रेंड गाय हर्शबर्ग के बगल में लेटी हुई नजर आ रही हैं। तस्वीर में दोनों अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाए सोते नजर आ रहे हैं।
इसके कैप्शन में अभिनेत्री ने लिखा है, किसी ऐसे इंसान को ढूंढऩे का प्रयास करें जिनके साथ आप इस कोविड काल में बालों के साथ रह सकें।
कल्कि और उनक बॉयफ्रेंड गाय हर्शबर्ग ने हाल ही में अपने पहले बच्चे का स्वागत किया। इस साल फरवरी में इनके परिवार में शामिल हुईं बच्ची का नाम दंपत्ति ने सप्पो रखा है।
हाल ही में कल्कि तमिल में अपनी बेटी के लिए लोरी गाती हुई दिखीं।
अभिनय की बात करें, तो आखिरी बार वह रणवीर सिंह और आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म गली बॉय में नजर आई थीं, जिसे जोया अख्तर ने निर्देशित किया था। वह वेब सीरीज भ्रम में भी नजर आईं।
जन्मदिवस 20 जुलाई के अवसर पर....
मुंबई 19 जुलाई (वार्ता)। बॉलीवुड में नसीरूदीन शाह ऐसे सशक्त अभिनेता के तौर पर शुमार किये जाते हैं जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक सिनेमा में भी दर्शको के बीच अपनी खास पहचान बनायी ।
20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जन्में नसीरूद्दीन शाह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और नैनीताल से पूरी की ।इसके बाद उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पूरी की ।वर्ष 1971 में अभिनेता बनने का सपना लिये उन्होंने दिल्ली नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्कूल में दाखिला ले लिया।वर्ष 1975 में नसीरउद्दीन साह की मुलाकात जाने माने निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुयी ।श्याम बेनेगल उन दिनो अपनी फिल्म ..निशांत. .बनाने की तैयारी में थे ।श्याम बेनेगल ने नसीरूद्दीन शाह में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और अपनी फिल्म में काम करने का अवसर दे दिया ।
वर्ष 1976 नसीरूद्दीन शाह के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्म प्रदर्शित हुयी । दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म ..मंथन ..में नसीरूद्दीन शाह के अभिनय ने नये रंग दर्शको को देखने को मिले ।इस फिल्म के निर्माण के लिये गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन की मिलने वाली मजदूरी में से ..दो-दो.. रूपये फिल्म निर्माताओं को दिये और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुयी तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुयी।
वर्ष 1977 में अपने मित्र बैंजमिन गिलानी और टॉम आल्टर के साथ मिलकर नसीरूद्दीन शाह ने मोटेले प्रोडक्शन नामक एक थियेटर ग्रुप की स्थापना की जिसके बैनर तले सैमुयल बैकेट के निर्देशन में पहला नाटक ..वेटिंग फॉर गोडोट ..पृथ्वी थियेटर में दर्शको के बीच दिखाया गया। वर्ष 1979 में प्रदर्शित फिल्म ..स्पर्श. मे नसीरूद्दीन शाह के अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में अंधे व्यक्ति की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी ।चेहरे के भाव से दर्शको को सब कुछ बता देना नसीरूद्दीन शाह की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाये । इस फिल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया ।
वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ..आक्रोश ..नसीरूद्दीन शाह के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है ।गोविन्द निहलानी निर्देशित इस फिल्म में नसीरूद्दीन शाह एक ऐसे वकील के किरदार में दिखाई दिये जो समाज और राजनीति की परवाह किये बिना एक ऐसे बेकसूर व्यक्ति को फांसी के फंदे से बचाना चाहता है। हालांकि इसके लिये उसे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है ।वर्ष 1983 में नसीरूद्दीन शाह को सई परांजपे की फिल्म ..कथा..में काम करने का अवसर मिला ।फिल्म की कहानी मे कछुए और खरगोश के बीच दौड की लड़ाई को आधुनिक तरीके से दिखाया गया था।
वर्ष 1983 में नसीर के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म..जाने भी दो यारो ..प्रदर्शित हुयी। कुंदन शाह निर्देशित इस फिल्म में नसीरूद्दीन शाह के अभिनय का नया रंग देखने को मिला ।इस फिल्म से पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल संजीदा भूमिकाएं निभाने में ही सक्षम है लेकिन इस फिल्म उन्होंने अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। वर्ष 1985 में नसीरूद्दीन शाह के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ..मिर्च मसाला ..प्रदर्शित हुयी । फिल्म मिर्च मसाला ने निर्देशक केतन मेहता को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी। यह फिल्म सामंतवादी व्यवस्था के बीच पिसती औरत की संघर्ष की कहानी बयां करती है।
अस्सी के दशक के आखिरी वर्षो में नसीरूद्दीन शाह ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रूख कर लिया । इस दौरान उन्हें हीरो हीरा लाल,मालामाल,जलवा और त्रिदेव जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला जिसकी सफलता के बाद नसीरूद्दीन शाह को व्यावसायिक सिनेमा में भी स्थापित कर दिया। नब्बे के दशक में नसीर ने दर्शको की पसंद को देखते हुये छोटे पर्दे का भी रूख किया और वर्ष 1988 में गुलजार निर्देशित धारावाहिक मिर्जा गालिब में अभिनय किया। इसके अलावा वर्ष 1989 में भारत एक खोज धारावाहिक में उन्होंने मराठा राजा शिवाजी की भूमिका को जीवंत कर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।
अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिये नब्बे के दशक में उन्होंने स्वयं को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में 1994 में प्रदर्शित फिल्म .मोहरा .में वह खल चरित्र निभाने से भी नहीं हिचके। इस फिल्म में भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद उन्होंने टक्कर,हिम्मत ,चाहत ,राजकुमार ,सरफरोश और कृष जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया ।
नसीरूद्दीन शाह के सिने करियर में उनकी जोड़ी स्मिता पाटिल के साथ काफी पसंद की गयी ।नसीरूद्दीन शाह अबतक तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके है।इन सबके साथ ही नसीरूद्दीन शाह तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये है। फिल्म के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये वह भारत सरकार की ओर से पदमश्री और पदमभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किये जा चुके है। नसीरूद्दीन शाह ने तीन दशक लंबे सिने करियर में 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है ।नसीरउद्दीन साह आज भी उसी जोशोखरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय है।