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नई दिल्ली, 8 अगस्त (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण की दिनोंदिन बिगड़ती स्थिति के बीच लगातार दूसरे दिन 61 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 20.89 लाख हो गयी है और 933 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 42,518 पर पहुंच गई है।
स्वस्थ होने वालों की दर में निरंतर हो रही वृद्धि के बावजूद संक्रमण के नये मामले बढऩे से देश में पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 11,704 की बढ़ोतरी हुई जिससे इनकी संख्या 6,19,088 हो गयी है। राहत की बात यह है कि इस दौरान 48,900 लोगों के स्वस्थ होने से संक्रमणमुक्त होने वालों की संख्या भी 14,27,006 लाख पर पहुंच गयी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक संक्रमण के 61,537 मामले आने से इनकी संख्या 20,88,612 हो गयी है। शुक्रवार को 62,538 मामले सामने आये थे। मंत्रालय के अनुसार स्वस्थ होने वालों की दर 68.32 प्रतिशत पर पहुंच गयी है और मृत्यु दर 2.04 प्रतिशत है।
कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या 723 कम होने से सक्रिय मामले 1,45,889 हो गये तथा 300 लोगों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 17,092 हो गया। इस दौरान 10,906 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढक़र 3,27,281 हो गयी। देश में सर्वाधिक सक्रिय मामले इसी राज्य में हैं।
आंध्र प्रदेश में मरीजों की संख्या 2488 बढऩे से सक्रिय मामले 84,654 हो गये हैं। राज्य में अब तक 1842 लोगों की मौत हुई है, वहीं 7,594 लोगों के स्वस्थ होने से कुल 1,20,464 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं। दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या 2618 बढ़ी है और यहां अब 77694 सक्रिय मामले हैं। मरने वालों का आंकड़ा 101 बढक़र 2998 पर पहुंच गया है। राज्य में अब तक 84232 लोग स्वस्थ हुए हैं। तमिलनाडु में सक्रिय मामले 727 घटकर 52,759 रह गये हैं तथा 4690 लोगों की मौत हुई है। वहीं राज्य में अब तक 2,27,575 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या 909 बढ़ी है जिससे 44563 सक्रिय मामले हो गये हैं तथा इस महामारी से 1981 लोगों की मौत हुई है जबकि 66,834 मरीज ठीक हुए हैं। सक्रिय मामलों में इसके बाद बिहार का स्थान है, जहां यह संख्या 26453 हो गयी है। राज्य में 369 लोगों की मौत हुई है जबकि 44482 लोग संक्रमणमुक्त भी हुए हैं।
देश के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के 24652 सक्रिय मामले हैं था 1,954 लोगों की मौत हुई है, वहीं अब तक 63,060 लोग स्वस्थ हुए हैं।
तेलंगाना में कोरोना के 22568 सक्रिय मामले हैं और 615 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 54330 लोग इस महामारी से ठीक हुए हैं। गुजरात में सक्रिय मामले 14,443 हो गये हैं तथा 2,605 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 51720 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामले 61 बढक़र 10,409 हो गये हैं। वहीं संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या 4082 हो गयी है तथा अब तक 1,28,232 मरीज रोगमुक्त हुए हैं। कोरोना महामारी से अब तक मध्य प्रदेश में 962, राजस्थान में 767, पंजाब में 539, हरियाणा में 467, जम्मू-कश्मीर में 449, ओडिशा में 247, झारखंड में 151, असम में 132, उत्तराखंड में 112, केरल में 102, छत्तीसगढ़ में 87, पुड्डुचेरी में 75, गोवा में 70, त्रिपुरा में 37, चंडीगढ़ में 23, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 19, हिमाचल प्रदेश में 14, मणिपुर में 10, लद्दाख में नौ, नागालैंड में सात, मेघालय में पांच, अरुणाचल प्रदेश में तीन, दादर-नागर हवेली एवं दमन-दीव में दो तथा सिक्किम में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
चेन्नई, 8 अगस्त (आईएएनएस)| एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसे में अबतक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं विमान विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि फिसलन भरा रनवे, तेज हवा, खराब मौसम की स्थिति और नियमित स्थान से आगे विमान का उतरना, ये सब मिलाकर एक घातक संयोजन हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोझिकोड में एयर इंडिया एक्सप्रेस की स्किडिंग हुई होगी। दुबई से उड़ान भरने वाला एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक विमान शुक्रवार शाम कोझिकोड में उतरते समय रनवे से फिसल गया और नीचे गहरी घाटी में जा गिरा। इस दुर्घटना में दो पायलटों सहित करीब 18 लोग मारे गए।
विमान में छह क्रू टीम के सदस्यों सहित 190 यात्री सवार थे। विमान के शुक्रवार शाम 7.41 बजे लैंडिंग के दौरान भारी बारिश हो रही थी।
एक पायलट ने अपना नाम न बताते हुए आईएएनएस को बताया, "यह टायर और रनवे के बीच घर्षण की कमी के कारण हो सकता है। बारिश के कारण जलभराव भी प्रमुख कारण (हाइड्रोप्लेनिंग) हो सकता है।"
पायलट ने कहा कि हाइड्रोप्लेनिंग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पानी की उपस्थिति के कारण सतह से पहिए का संपर्क टूट जाता है और पहिया पिसलने लगता है। इससे ब्रेक लगाना असंभव हो जाता है और विमान की गति लैंडिंग के बाद कम नहीं हो सकती है।
पूर्व भारतीय वायु सेना (आईएएफ) नेविगेटर ने आईएएनएस को बताया कि मानक 9,000 फीट का कोझिकोड रनवे इस तरह के विमान के लिए कोई समस्या उत्पन्न नहीं कर सकता है।
पूर्व नेविगेटर ने कहा, "संभवत:, विमान थ्रेशोल्ड या सामान्य स्थान से आगे उतरा, खराब ²श्यता, मजबूत अनुकूल हवा और फिसलन भरे रनवे के कारण यह दुर्घटना हुई।"
तिरुवनंतपुरम, 8 अगस्त (आईएएनएस)| केरल के इडुक्की जिले में हुए भीषण भूस्खलन के बाद 50 से अधिक लोगों के लापता होने की सूचना है, इन्हें ढूंढ़ने के लिए शनिवार को लोगों और उपकरणों की सहायता से बड़े पैमाने पर एक खोज अभियान चलाया जा रहा है। गुरुवार मध्यरात्रि को राजामलाई में हुई इस त्रासदी में 18 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि एक दर्जन से अधिक लोगों को बचाया गया है जिनका इडुक्की, कोट्टायम और एर्नाकुलम जिलों के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
मुन्नार के लोकप्रिय पर्यटन स्थल से लगभग 30 किमी की दूरी पर यह हादसा उस समय हुआ, जब एस्टेट हाउस की चार लाइनों पर बड़े-बड़े पत्थर गिर गए।
इस जिले से ताल्लुक रखने वाले राज्य में वर्तमान बिजली मंत्री एमएम मणि ने कहा कि राज्य सरकार पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव कोशिश करेगी।
मणि ने कहा, "लापता हुए व्यक्तियों की सही संख्या का पता चाय कंपनी को लगाना होगा, चूंकि यह आवासीय लाइनें हैं तो स्थानीय ग्राम परिषद को भी उनके साथ काम करना होगा। मलबे में अब किसी के दबे होने की संभावना कम है।"
एनडीआरएफ, केरल पुलिस, फायर फोर्स, स्थानीय लोगों और स्वयंसेवक कर्मियों की बड़ी संख्या के साथ इस खोज अभियान को अंजाम दिया जा रहा है।
केरल सरकार ने जहां मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2-2 लाख रुपये देने का ऐलान किया है।
अयोध्या, 8 अगस्त (आईएएनएस)| श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ऐसा मंदिर बनेगा, जिसमें रामलला एक हजार वर्ष तक सुरक्षित रहेंगे। फिलहाल रामलला मंदिर की नींव की ड्राइंग बनकर तैयार है। निर्माण के लिए एलएनटी कंपनी तैयार है। चंपत राय ने यहां शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का काम चंद रोज में शुरू हो जाएगा। राम मंदिर निर्माण कार्य के बारे में जानकारी देते हुए राय ने बताया कि अब तकनीकी काम है। यह मंदिर 1000 साल तक इस सृष्टि के आंधी-तूफान को सहता रहेगा। इसलिए निर्माण में उसी तरह की तकनीकी का इस्तेमाल भी होगा।
उन्होंने कहा कि लार्सन टूब्रो के लोग नींव की ड्राइंग तैयार करने आए थे। निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। अयोध्या विकास प्राधिकरण से 70 एकड़ भूमि में जितना निर्माण हो सकता है, उसका नक्शा पास होगा।
राय ने कहा कि निर्माण कंपनी ने अभी तक ट्रस्ट के सामने ड्राइंग पेश नहीं की है। ड्राइंग देखने के बाद नींव खोदाई और उसको भरने का कार्य शुरू होगा। मंदिर की नींव दो सौ फीट नीचे होगी।
उन्होंने कहा, "इसके साथ ही आप सभी को जानकारी दे दें कि इस मंदिर की नींव में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। इसकी नींव की खुदाई में जो भी कुछ मिलेगा, उसके लिए ट्रस्ट सतर्क रहेगा। ट्रस्ट अब विकास प्राधिकरण से यहां के संपूर्ण 70 एकड़ क्षेत्र का नक्शा पास कराएगा।"
चंपत राय ने कहा, "रामलला की जन्मभूमि पर बड़ी संख्या में प्राचीन अवशेष मिलने की उम्मीद है। हम उसको सहेज के रखेंगे।"
उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए बड़ी संख्या में दानदाता सामने आ रहे हैं। जब राम जन्मभूमि परिसर की जिम्मेदारी ट्रस्ट को सौंपी गई ती तो रामलला के पास मात्र 12 करोड़ रुपये की जमा पूंजी थी। अब यह 30 करोड़ के करीब पहुंच गई है। शिला-पूजन के दिन रामलला को 49,000 रुपये का दान मिला था।
राय ने स्पष्ट रूप से कहा कि "हम अभी विदेशों से दान नहीं लेंगे।"
ट्रस्ट के महासचिव ने कहा,कि ट्रस्ट में अब तक 30 करोड़ रुपये आ चुके हैं। इसमें से 12 करोड़ रुपये ट्रस्ट के पास पहले से ही थे। उन्होंने यह भी बताया कि "शिवसेना की पर्ची मिली है और एक करोड़ रुपये आ गए हैं, जिसको मैं समझता हूं कि उद्धव ठाकरे के सहयोग से आया होगा और उनका संदेश हमें प्राप्त हुआ है कि अभी और पैसा वे भेजेंगे।"
चंपत राय ने कहा कि मोरारी बापू के सहयोग से 4 दिन में 11 करोड़ रुपये ट्रस्ट में आए। गुजरात के एक बनवासी संत हैं, उन्होंने 51 लाख रुपये देने की बात कही है और 11 लाख रुपये 5 तारीख को दे भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि जगत गुरु रामभद्राचार्य ने भी एक करोड़ 51 लाख रुपये लिख लेने को कह दिया है, अभी प्राप्त नहीं हुआ है।
बाबा रामदेव ने कितना दिया? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा,"बाबा रामदेव हमारे घर के हैं, हमने अभी उनसे मांगा नहीं है, जल्द मांगेंगे।"
इतालवी मरीन मामला
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| इटली के दो नौसैनिकों द्वारा केरल के मछुआरों की हत्या मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि जब इटली की ओर से पीड़ितों को मुआवजा मिल जाएगा, तब वह मुकदमे को वापस लेने की अनुमति दे सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पीड़ितों के परिवार का पक्ष सुने बिना इस मामले को बंद नहीं करेंगे। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रह्मण्यन ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, चेक (मुआवजे की राशि) और पीड़ितों के परिजनों को यहां लाएं।
पीठ ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत तब तक इतालवी नौसैनिकों के लिए किसी राहत के बारे में नहीं सोच सकती है, जब तक कि उनके अभियोजन को केरल की अदालत में वापस नहीं लिया जाता है। मेहता ने कहा कि केंद्र दोनों नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए याचिका दायर करने को तैयार है।
प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया, लेकिन पीड़ितों के परिवार को एक समस्या होगी। उन्हें सुनना होगा।
मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि केंद्र भारत में इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के पक्ष में है, क्योंकि इटली उन पर मुकदमा चलाने के लिए तैयार है। पीठ ने कहा कि मृतक के परिजन को सुने बिना वह मामला बंद नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल मेहता को एक सप्ताह के भीतर पीड़ितों के परिवारों को मामले में शामिल करने के लिए आवेदन दायर करने के लिए कहा। शीर्ष अदालत ने दो इतालवी नौसैनिकों - मैसिमिलियानो लाटोरे और सल्वाटोर गिरोन द्वारा दायर लंबित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी, 2012 को मछली पकड़ने के जहाज सेंट एंटोनी में सवार दो भारतीय मछुआरों को कथित तौर पर केरल के तट से दूर इतालवी टैंकर 'एनरिका लेक्सी' में सवार दो इतालवी नौसैनिकों ने मार डाला था।
इसके बाद भारतीय नौसेना ने इतालवी टैंकर को रोक दिया और दोनों नौसैनिकों को हिरासत में ले लिया। इन नौसैनिकों में एक सैनिक दो साल और एक सैनिक चार बाद रिहा हुआ, जिसके बाद वह अपने देश इटली लौटे। यह मामला भारत की अदालत से होता हुआ अंतर्राष्ट्रीय अदालत तक भी पहुंचा।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली की जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में आजादी से पहले की दुकानें हैं, जहां आज भी उर्दू की किताबें मिलती हैं और शहर के कोने-कोने से लोग उर्दू की किताबें खरीदने आते हैं। हालांकि ये जान कर हैरानी होगी कि नई पीढ़ी के लोग उर्दू की किताबों में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं और यहां हर धर्म के युवक-युवतियां आते हैं।
नई पीढ़ी के लोगों में शायरी, उपन्यास, कहानियों में ज्यादा रुचि है। मशहूर शायरों का मानना है कि सोशल मीडिया ने उर्दू शायरी को जिंदा रखा हुआ है।
उर्दू की किताब बेचने वाले दुकानदारों का मानना है कि उर्दू भाषा हमेशा जिंदा थी और जिंदा रहेगी। उर्दू की किताबें पहले से ज्यादा अब बिकती हैं। यही नहीं, पहले लोग महंगी किताब नहीं खरीदते थे, लेकिन अब 3 हजार तक की किताब खरीदते हैं।
जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में आजादी से पहले की भी दुकाने हैं, लेकिन इस इलाके से उर्दू की किताबों वाली दुकानें धीरे-धीरे खत्म हो गईं या यहां से कहीं और जा बसीं। कई दुकानदारों ने तो यह कारोबार भी बंद कर दिया।
उर्दू बाजार में मकतबा जामिया लिमिटेड नाम की एक बहुत पुरानी दुकान है। यहां उर्दू भाषा में सभी किताब मिलती हैं। इस दुकान के ब्रांच इंचार्ज अली खुसरो जैदी ने आईएएनएस को बताया, "उर्दू एक सदाबहार जिंदा जुबान है, उर्दू जिंदा हौ ओर जिंदा रहेगी। उर्दू की अपनी मिठास है, अपनी चाशनी है, उसी के बलबूते पर यह जिंदा है और जिंदा रहेगी, चाहे जितना भी इसे मुसलमानों की जुबान बता दो, लेकिन ये एक हिंदुस्तानी जुबान है। एक मुल्क की जुबान है, उर्दू को आप बांट नहीं सकते।"
उन्होंने कहा, "आज भी हमारे पास सभी धर्म के लोग आते हैं, हिंदी के जरिये, अंग्रेजी के जरिये उर्दू को सीखने के लिए। उर्दू एक मुकम्मल तहजीब है। ये एक गुलशन है, जिसमें अहमद फराज, मुनव्वर राणा, गुलजार देहलवी सरीखे हर तरह के फूल हैं।"
जैदी ने कहा कि उर्दू की किताबें आज भी बिकती हैं और पहले से कहीं ज्यादा बिक रही हैं। नई पीढ़ी के लोग ज्यादा पसंद करते हैं, चाहे वो किसी भी धर्म से हों।
उन्होंने कहा कि शेर-ए-अदब, फिक्शन, पोएट्री, मुनव्वर राणा, जॉन एलिया, समाजी नॉवेल ये सभी आज की तारीख में नई पीढ़ी की पसंद हैं।
जैदी ने कहा कि वक्त के साथ उठक-पटक होती रहती है। जामिया मस्जिद के बाहर उर्दू बाजार में पहले सिर्फ उर्दू दुकानों से भरी हुई थी, लेकिन अब काफी दुकानें इधर-उधर हो गईं या किसी ने कारोबार ही खत्म कर दिया।
उन्होंने कहा, "मैं 1978 से यहां हूं, यहां से करीब 10 से 12 उर्दू किताबों की दुकानें खत्म हो गईं। इस बाजार में 70 साल से पुरानी दुकानें मौजूद हैं। लेकिन अब यहां से उठकर मटिया महल में सारी दुकानें बस गई हैं।"
जैदी ने कहा कि पहले लोगों में कुव्वत नहीं होती थी। छह रुपये की किताबें भी लोग नहीं खरीद पाते थे। लेकिन अब लोग हजारों की किताबें खरीकर ले जाते हैं। दरअसल, कानों को उर्दू के लफ्ज अच्छे लगते हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में उर्दू की ज्यादा किताबें छपती हैं, ज्यादा मुशायरे होते हैं, उर्दू की 12-13 अकादमियां हैं, गालिब अकादमी है, गालिब इंस्टीट्यूट है, साहित्य अकादमी भी उर्दू के लिए काम करती है, पब्लिकेशन डिवीजन भी उर्दू के लिए काम करता है।
उर्दू बाजार में 1939 से उर्दू किताबों की दुकान चलाने वाले निजामुद्दीन ने आईएएनएस से कहा, "मेरी दुकान आजादी से पहले की है। पहले मेरे पिताजी दुकान चलाते थे। हालांकि अभी फिल्मों की वजह से उर्दू जिंदा है। उर्दू के अब जब प्रोग्राम होते हैं तो नई उम्र के बच्चे आते हैं। लेकिन उर्दू की लिपि अब रोमन भी हो गई है। उर्दू को अब लोग रोमन भाषा में भी पढ़ते हैं। लाइब्रेरियों में उर्दू की किताबें न होने पर नई पीढ़ी अंग्रेजी में उर्दू पढ़ रही है।"
उर्दू शायरों में कुछ बड़े नाम जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता- मिर्जा गालिब, फैज अहमद फैज, राहत इंदौरी, मुनव्वर राणा, बशीर बद्र, निदा फाजली, दाग देहलवी, अकबर अलाहाबादी, कैफी आजमी और गुलजार वगैरह।
मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने आईएएनएस को बताया, "उर्दू ने अपनी लिपि बदल ली है, कुछ लोग अब नागरी में लिखते हैं। शायरी की बदौलत उर्दू की शोहरत ज्यादा हुई। फर्क ये हुआ कि लोग उर्दू जानते नहीं हैं, उर्दू बोलते हैं, लेकिन उर्दू लिख नहीं पाते। कहीं न कहीं ये नुकसान हुआ। लेकिन सोशल मीडिया ने उर्दू को एक नया मुकाम दिया। शायरी की तरफ रुख मोड़ दिया। अब शायरों को लोग जानने, पढ़ने लगे हैं।"
उन्होंने कहा, "उर्दू को 2 3 बार नुकसान उठाना पड़ा। कुछ लोगों द्वारा कहा गया कि उर्दू पाकिस्तान की जुबान है, लेकिन आज भी पाकिस्तान में जो उर्दू बोली जाती है वो बनावटी है। वो उर्दू नहीं है। असल उर्दू आज भी हिंदुस्तान में बोली जाती है।"
हाल ही में दिल्ली की मशहूर लेखिका सादिया देलहवी के निधन पर मुनव्वर राणा ने आईएएनएस को बताया, "ये बड़े घराने से ताल्लुकात रखती थीं। इनका और इनके परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जो भी महफिल हुआ करती थी, उनमें वो शामिल होती थीं। उनके रहने से, उनकी मौजूदगी में शेर सुनाने में मजा आता था। ये लोग शायरी की खूबसूरती, शायरी की महक को महसूस करते हैं। उनके इंतकाल से उर्दू शायरी को बहुत नुकसान हुआ है।"
मुंबई, 8 अगस्त (आईएएनएस)| कोझिकोड हवाईअड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक विमान के शुक्रवार शाम दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना में पायलट कैप्टन दीपक वी. साठे की मौत के बाद उत्तर पूर्व मुंबई के पवई उपनगर में मातम पसर गया है। इस दुर्घटना में कम से कम 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
एयर इंडिया एक्सप्रेस की यह उड़ान दुबई से वंदे भारत मिशन के तहत लौट रही थी।
कैप्टन साठे (58) पवई स्थित जलवायु बिल्डिग के निवासी थे।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, उनके परिवार में दो पुत्र हैं। एक पुत्र बेंगलुरू में रहता है, जबकि दूसरा अमेरिका में रहता है। वे जल्द ही केरल पहुंचने वाले हैं।
वायुसेना के पुरस्कार विजेता एक पूर्व अधिकारी कैप्टन साठे का 30 सालों का लंबा और दुर्घटनामुक्त उड़ान रिकॉर्ड रहा है, जिसमें से लगभग 18 साल उन्होंने एयर इंडिया को दिए थे।
तिरुवनंतपुरम, 7 अगस्त (आईएएनएस)| केरल के इडुक्की जिले के राजामलाई में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 67 लोग अब भी लापता हैं। मृतकों में एक बच्चा भी शामिल है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। नवीनतम रपटें बताती हैं कि क्षेत्र में करीब 100 लोग थे। इनमें से अधिकतर कोरोना के डर से यहां वापस आए थे। यहां बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश के बाद भूस्खलन की घटना हुई है। क्षेत्र में अधिकतर चाय बगानों में काम करने वाले मजदूर रहते हैं।
बचाव अभियान में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 15 शवों को बरामद किया गया है और करीब 67 लापता हैं।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि लगातार चार दिनों से भारी बारिश की वजह से बचाव अभियान में समस्या आ रही है।
गुरुवार देर रात जिस जगह भूस्खलन हुआ वह मुनार के लोकप्रिय पर्यटन स्थल से लगभग 30 किमी दूर है।
इसबीच राज्य सरकार ने क्षेत्र में राहत व बचाव कार्य को देखने के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर आईजीपी गोपेश अग्रवाल को नियुक्त किया है।
बचाव स्थल पर केरल पुलिस की 200 सदस्यीय टीम, एनडीआरएफ के जवान, दमकलकर्मी, स्थानीय लोग पहुंच चुके हैं।
इस इलाके में रहने वाली महिलाएं जहां चाय के बागानों में काम करती हैं, वहीं अधिकांश पुरुष जीप चालकों के रूप में काम करते हैं। गुरुवार देर रात दो निवासियों ने फॉरेस्ट स्टेशन में जाकर हादसे की सूचना दी तब जाकर अधिकारियों को इस बारे में पता चला।
मुनार के एक अस्पताल में भर्ती दीपन ने कहा कि भूस्खलन के बाद से उन्हें उनके पिता, पत्नी और भाई के परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं उनकी मां को गंभीर हालत में कोट्टायम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया था।
दुख से व्याकुल दीपन ने बताया, "पिछले 10 दिनों से लगातार बारिश हो रही है। गुरुवार रात 10.30 बजे के आसपास भूस्खलन हुआ। मुझे मेरे पिता, पत्नी और मेरे भाई के परिवार के बारे में कुछ नहीं पता। इस क्लस्टर में तीन पंक्तियों में बने घरों में लगभग 80 लोग रहते हैं। पता नहीं उन सबका क्या हुआ। भूस्खलन में 30 जीपें भी दब गईं हैं।"
केरल सरकार ने घटनास्थल पर हवाई बचाव दल लाने का प्रयास किया, लेकिन खराब मौसम के कारण यह प्रयास नाकाम रहा। हालांकि, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की दो टीमें मौके पर पहुंचने वाली थीं।
अधिकारियों ने कहा कि यहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस क्षेत्र की सभी संचार लाइनें टूट गई हैं और जगह-जगह पेड़ों के उखड़ने के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं।
इसी जिले के निवासी राज्य के ऊर्जा मंत्री एम.एम. मणि ने कहा, "भूस्खलन ऐसी जगह पर हुआ था, जहां चाय के मजदूर रहते हैं। यह स्थान एक पहाड़ी के चोटी पर है। स्थानीय विधायक भी मौके पर जा रहे हैं। सभी आपातकालीन सेवाओं को वहां लगा दिया गया है।"
इस बीच, क्षेत्र के निवासी पार्थसारथी ने मीडिया को बताया कि उन्हें तीन कतारों में निर्मित मकानों के बारे में पता है, जिनमें चाय बागानों में काम करने वाले लगभग 80 लोग रहते थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जब भूस्खलन हुआ था तब वहां कितने लोग थे। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश के कारण कई श्रमिक अपने घरों पर थे।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा कि संबंधित अधिकारियों को केंद्रशासित प्रदेश के चयनित क्षेत्रों में 4जी सेवा को बहाल करने की संभावना को लेकर एक निश्चित रुख के साथ सामने आना चाहिए। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि अब इस मामले में और ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। न्यायमूर्ति एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता से कहा, "जो निर्णय लिया गया, उसका आधार क्या है। क्या इस बात की संभावना है कि कुछ क्षेत्रों में 4जी सेवा को बहाल किया जा सकता है? क्या ऐसा कुछ है, जो कुछ किया जा सके?"
इसके जवाब में, "मेहता ने कहा कि मामले में समीक्षा के लिए निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल को बदल दिया गया है।"
मेहता ने कहा, "हमें आदेश प्राप्त करने के लिए और प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समय की जरूरत है।"
शीर्ष अदालत ने मेहता से कहा कि मामले को फिर से टालने का कोई मतलब नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि अटॉर्नी जनरल को मामले की अगली सुनवाई के वक्त केंद्र का पक्ष निश्चित ही रखना चाहिए।
इससे पहले, फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि मेहता जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने कहा, "सुनवाई के अंतिम दिन, उन्होंने कहा था कि वह याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल किए गए रिज्वांइडर के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इससे प्रतीत होता है कि वे समय ले रहे हैं।"
पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा दिए बयान पर निर्भर कर रहे हैं, लेकिन वे अब नहीं हैं। पीठ ने अहमदी से कुछ और दिन इंतजार करने के लिए कहा।
पीठ ने कहा, "हम यह देखना चाहते हैं कि सरकार क्या चाहती है। तब हम देखेंगे कि कोई अवमानना हुई है।"
अदालत ने मामले को अगले हफ्ते के लिए मुकर्रर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट दरअसल कोर्ट के आदेश की अवहेलना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी के लिए एक विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया था, जिसकी अवहेलना को लेकर कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही थी।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| सुशांत सिंह राजपूत मामले में भाजपा विधायक व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने मनोचिकित्सक सुसान वाकर मोफत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर मीडिया के साथ दिवंगत अभिनेता के मानसिक स्वास्थ्य की डिटेल साझा की थी। शेलार वकील भी हैं। उन्होंने न केवल सुसान के खिलाफगोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की, बल्कि जांच एजेंसियों से उनकी क्लिनिक के सीसीटीवी फूटेज प्राप्त करने, उनकी क्लाइंट सूची का सत्यापन करने और उनके वित्तीय रिकॉर्ड के माध्यम से यह पता लगाने का आग्रह किया कि क्या वह मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा रही हैं।
मुंबई पुलिस आयुक्त, सीबीआई के संयुक्त निदेशक, ईडी के संयुक्त निदेशक, आयकर के मुख्य आयुक्त के साथ ही मुंबई पुलिस के एक आईपीएस अधिकारी को की गई शिकायत में शेलार ने कहा, "सुशांत सिंह राजपूत जांच मामले और अभिनेता की मनोचिकित्सक सुसान वाकर मोफत के अनुचित आचरण के संबंध में मुझे मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से प्रतिनिधित्व मिला है। सुसान का आचरण जो पुलिस जांच की दिशा को प्रभावित करने का प्रयास करता है।"
यह शिकायत सुसान के मीडिया साक्षात्कार के बाद आई, जिसमें सुशांत के मानसिक स्वास्थ्य का खुलासा किया गया था, जो कि एक गोपनीय मामला है। भाजपा विधायक ने दावा किया, "उनका कृत्य प्रथम दृष्ट्या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 और भारत में रहने की उनकी वीजा शर्तों का उल्लंघन मालूम पड़ता है।"
शेलार ने यह भी सवाल किया कि क्या किसी ने सुसान को उनकी पेशेवर नैतिकता और गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए मजबूर किया है, जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
शेलार ने यह भी आरोप लगाया कि सुसान द्वारा सुशांत का कथित तौर पर भारत में वैध लाइसेंस के बिना इलाज किया जाना अवैध है। भाजपा नेता ने यह पता लगाने की मांग की है कि क्या फिल्म बिरादरी के लोग या राजनेता उनके ग्राहक हैं और उनकी ग्राहक सूची का सत्यापन करने की मांग की।
सुसान के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह एक क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट और हिप्नोथेरेपिस्ट हैं, जो मुंबई में प्रैक्टिस कर रही हैं।
सुसान ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि सुशांत कथित रूप से डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे और रिया उनका बड़ा सहारा थीं। हालांकि, सुशांत के पिता ने रिया के खिलाफ अपनी एफआईआर में अभिनेत्री पर कई संगीन आरोप लगाए हैं।
मडीकेरी (कर्नाटक), 7 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के ब्रह्मगिरि पहाड़ी में हुए भूस्खलन के कारण ढहे घर में यहां के मंदिर के एक प्रधान पुजारी सहित पांच लोगों के जिंदा दफन होने की आशंका है। ब्रह्मगिरी पहाड़ी बेंगलुरु से लगभग 300 किमी दूर दक्षिण पश्चिम में है। मडीकेरी के उप पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "भारी बारिश और भीषण हवाओं के कारण पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ, जिसमें पांच लापता व्यक्तियों के जिंदा दफन होने की आशंका है।"
यहां राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) खोज और बचाव अभियान चला रहा है लेकिन लगातार बारिश, खराब दृश्यता और भूस्खलन के बाद फैले मलबे के कारण बचाव कार्य में खासी दिक्कत आ रही है।
कुमार ने कहा, "भूस्खलन ने ढलानदार पहाड़ी से घर के मलबे को इतने नीचे गिरा दिया है उसके अस्तित्व का कोई निशान नहीं नजर आ रहा है। एनडीआरएफ की 12 सदस्यीय टीम मलबे को हटाने के लिए जेसीबी मशीन तैनात करने के लिए रास्ता साफ करने में जुटी है।"
बता दें कि बुधवार की रात जब भूस्खलन हुआ तब ताला कावेरी मंदिर के प्रमुख पुजारी नारायण अचर के घर में उनके अलावा, उनकी पत्नी शांता, उनके भाई और मंदिर के दो कर्मचारी घर में थे।
मडीकेरी विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी दल भाजपा के विधायक के.जी. बोपैया ने कहा कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण उन लोगों को तलहटी में बने क्वार्टर में शिफ्ट होने के लिए कहा गया था, लेकिन प्रधान पुजारी वहां शिफ्ट नहीं हुए। जबकि उनके बगल के घर में रहने वाले सहायक पुजारी वहां शिफ्ट हो गए थे।
बोपैया ने आईएएनएस को बताया, "हमें डर है कि भूस्खलन के बाद ध्वस्त हो चुके मकान के मलबे में सभी पांचों जिंदा दफन हो गए होंगे क्योंकि पहाड़ी पर घर का नामो-निशान नहीं बचा है।"
बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के तेज होने के साथ 3 अगस्त से राज्य के तटीय, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में जमकर बारिश हो रही है।
कोट्टायम, 7 अगस्त (आईएएनएस)| जालांधर के पूर्व बिशप फ्रैको मुलक्कल शुक्रवार को यहां एक अदालत में पेश हुए और केरल नन दुष्कर्म मामले में जमानत मिल गई। मुलक्कल ने इसके पहले मामले से बरी करने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे दो दिनों पूर्व खारिज कर दिया गया था।
कोट्टायम के अतिरिक्त सत्र अदालत ने पिछले महीने उनके खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी किया था और मामले में पूर्व में उन्हें दी गई जमानत रद्द कर दी थी, क्योंकि वह मामले में आरोप-पत्र को सुनने के लिए अदालत में पेश नहीं हुए थे।
लेकिन मुलक्कल शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए, जिसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई और उनसे कहा गया कि वह 13 अगस्त तक कोट्टायम से नहीं जाएंगे, जब आरोप-पत्र पढ़ा जाएगा।
पूर्व बिशप ने अदालत को सूचित किया कि कोविड पाजिटिव होने के कारण वह पिछले महीने अदालत में उपस्थित नहीं हो पाए थे।
मार्च में एक अदालत ने यहां यौन उत्पीड़न मामले में मुलक्कल द्वारा दाखिल डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से भी उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया।
मुलक्कल को 21 सितंबर, 2018 को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और 16 अक्टूबर, 2018 को उन्हें जमानत मिल गई थी। केरल पुलिस ने उनके खिलाफ 1,400 पृष्ठों का आरोप-पत्र दाखिल किया है।
पटना, 7 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच को लेकर कांग्रेस और शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि मामले की जांच में बाधा आदित्य ठाकरे के निर्देश पर डाला गया। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा है कि अगर बृहन्मुंबई नगर निगम ने नियमत: आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को क्वारंटाइन किया होता तो पहले नहीं छोड़ते। उन्होंने आरोप लगाया कि सुशांत की संहेहास्पद मौत मामले में जांच करने गई बिहार पुलिस की जांच में बाधा शिवसेना के 'युवराज' आदित्य ठाकरे के निर्देश पर डाला गया।
उन्होंने कहा, "बिहार सरकार, पुलिस और आम लोग सुशांत को न्याय दिलाने के लिए चिंता कर रहे हैं, लेकिन शिवसेना न्याय के खिलाफ आरोपियों के पक्ष में है। अब बीएमसी ने भद पिटने के बाद एक दूसरा सकरुलर जारी किया है जिसका मकसद निगम का छद्म हरकत वाला चेहरा बचाना तो है ही एक अप्रत्यक्ष मकसद सुशांत के न्याय की राह में रोड़ा अटकाना भी है।"
आनंद ने कहा कि सुशांत मामले में सीबीआई जांच और बिहार पुलिस की जांच को लेकर जितने परेशान शिवसेना के लोग थे उतने ही परेशान राकंपा और कांग्रेस के भी लोग थे। यही कारण है कि संजय राउत, नवाब मलिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और शक्ति सिंह गोहिल एक भाषा में बात कर रहे हैं।
निखिल आनंद ने सुशांत मामले में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भूमिका पर भी संदेह जताया है। निखिल ने आरोप लगाया कि सुशांत के मसले पर जिस प्रकार का रुख महाराष्ट्र सरकार में शामिल गठबंधन दलों का है उससे लगता है कि राहुल, प्रियंका ने भी आदित्य ठाकरे से बात कर अपने बालीवुड के साथियों के पक्ष में और सुशांत के न्याय के खिलाफ भूमिका तैयार की है।
मनोज पाठक
पटना, 7 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार की सभी प्रमुख नदियों में उफान जारी है। इस बीच बाढ़ के कारण राज्य के 16 जिलों की 69 लाख की आबादी प्रभावित हो चुकी है। बाढ़ के कारण अब तक 21 लोगों की मौत हो गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
इधर, राज्य सरकार भी बाढ़ पीड़ित परिवारों के बैंक खाते में 6000 रुपये पहुंचाकर आर्थिक मदद देने में जुटी हुई है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य के 16 जिलों के कुल 124 प्रखंडों की 1,185 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 69 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 8 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,402 सामुदायिक रसोईघर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब दस लाख लोग भोजन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान अलग-अलग इलाकों में हुईं विभिन्न घटनाओं में 21 लोगों की मौत हुई है। इनमें सबसे अधिक सात लोगों की मौत दरभंगा जिले में तथा छह लोगों की मौत मुजफ्फरपुर जिले में हुई है। इस बीच 23 पालतू पशु की भी मौत हो गई है।
उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 33 टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 4,81,939 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है।
अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युट्स रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 4,50,129 परिवारों के बैंक खाते में कुल 270़80 करोड़ रुपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।
बिहार राज्य जलसंसाधन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। गुरुवार की शाम इसके जलस्तर में वृद्धि हुई थी, लेकिन शुक्रवार को फिर इसकी प्रवृत्ति कमी की दिख रही है। वीरपुर बैराज के पास शुक्रवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1़ 85 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे घटकर 1़ 83 लाख क्यूसेक हो गया।
इधर, गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। गंडक का जलस्राव वाल्मीकिनगर बराज पर सुबह छह बजे 1़ 61 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे बढ़कर 1़ 63 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
इस बीच, राज्य की करीब सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बागमती जहां ढेंग, सोनाखान, कटौंझा, बेनीबाद और हायाघाट के पास खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, वहीं बूढ़ी गंडक सिकंदरापुर, समस्तीपुर रेल पुल, रोसड़ा रेल पुल और खगड़िया में लाल निशान के ऊपर है। इधर, कमला बलान जयनगर व झंझारपुर रेल पुल के पास खतरे के निशान से ऊपर है। गंगा नदी कहलगांव में लाल निशान के ऊपर है, जबकि घाघरा और अधवारा भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक, अगले चार-पांच दिनों तक पूरे बिहार में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जिसको देखते हुए सभी जिलों को अलर्ट करा दिया गया है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| ट्विटर ने ऐलान किया है कि वह राज्य द्वारा नियंत्रित मीडिया संगठनों के ट्वीट्स को एम्पलीफाई नहीं करेगा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों: चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटने और अमेरिका के सरकारी मीडिया संगठनों व प्रमुख सरकारी अधिकारियों के अकांउट्स को लेबल करेगा ट्विटर ने कहा कि उनकी लेबलिंग की नई नीति में इन पांच देशों से प्रमुख सरकारी अधिकारियों के अकाउंट्स शामिल होंगे जैसे कि विदेशी मंत्री, संस्थागत संस्थाएं, राजदूत, आधिकारिक प्रवक्ता और प्रमुख राजनयिक नेता इत्यादि।
कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "इस वक्त हमारा ध्यान उन वरिष्ठ अधिकारियों और संस्थाओं पर है जो विदेशी राज्यों की आधिकारिक आवाज हैं।"
इस कदम से जो अकाउंट्स प्रभावित होंगे, वे नोटिफिकेशंस या सर्च रिजल्ट में कम दिखाई देंगे।
ट्विटर राज्य से संबद्ध मीडिया संस्थाओं, उनके संपादकों और उनके वरिष्ठ कर्मचारियों के खातों को भी लेबल करेगा।
इस कदम के तहत रूस के आरटी और चीन की सिन्हुआ समाचार एजेंसी जैसे राज्य-नियंत्रित मीडिया संगठनों को भी लेबल किया जाएगा।
ट्विटर ने साल 2019 में सभी राज्य समर्थित मीडिया विज्ञापनों और राजनीतिक विज्ञापनों को ट्विटर से प्रतिबंधित कर दिया था।
कंपनी ने कहा, "पारदर्शिता और व्यावहारिकता के लिए हम भविष्य में कई अन्य देशों में विस्तार करने से पहले स्पष्ट रूप से परिभाषित एक सीमित समूह के साथ इसकी शुरूआत कर रहे हैं।"
कंपनी ने कहा कि फिलहाल उनकी तरफ से राज्य प्रमुखों के पर्सनल अकांउट्स को लेबल नहीं किया जा रहा है क्योंकि इनसे लोग पहले से ही वाकिफ हैं।
कंपनी ने कहा, हालांकि इनके कार्यालयों से जुड़े संस्थागत अकांउट्स को लेबल किया जाएगा जिनमें चुनाव परिणामों के आधार पर परिवर्तन होते रहते हैं।
ट्विटर ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा फंडेड लेकिन संपादकीय स्वतंत्रता रखने वाले मीडिया आउटलेट्स जैसे कि ब्रिटेन में बीबीसी और अमेरिका में एनपीआर को लेबल नहीं किया जाएगा।
ट्विटर ने बताया, "अब हम अपने अपने रिकमंडेशन सिस्टम के जरिए राज्य-संबद्ध मीडिया अकाउंट्स या उनके ट्वीट्स को एम्प्लीफाई नहीं करेंगे।"
जिन खातों को लेबल किया जाएगा ट्विटर की ओर से उसके बारे में सूचित कर दिया जाएगा और अगर अकाउंट ओनर को लगता है कि कंपनी ने कोई गलती की है तो वे सीधे तौर पर कंपनी से संपर्क भी कर सकते हैं।
लखनऊ , 7 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य के प्रयोग में लाए जा रही पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई किट) की बड़ी भूमिका है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीपीई किट यदि ठीक से डिस्पोजल नहीं हुआ तो यह पर्यावरण और संक्रमण को भी बढ़ावा दे सकती है। अस्पतालों, एम्बुलेंस, एयरपोर्ट और यहां तक कि श्मशान घाटों तक पर खुले में फेंकी गई पीपीई किट के बारे में चिकित्सकों का साफ कहना है कि ऐसा करके हम खुद को बचा नहीं रहें हैं, बल्कि अपने साथ ही दूसरों को भी मुश्किल में डालने का काम कर रहे हैं।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ़ सूर्यकान्त का कहना है कि इस्तेमाल की गयी पीपीई किट से कम से कम दो दिन तक संक्रमण का पूरा खतरा रहता है। इसलिए किट का चाहे मास्क हो या गाउन उसको कदापि इधर-उधर न फेंके, बल्कि उसके लिए निर्धारित ढक्कन बंद पीली डस्टबिन में ही डालें और अस्पतालों को भी चाहिए कि इस बायो मेडिकल वेस्ट (अस्पताल के कचरे) के निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त रखें ।
उन्होंने बताया कि ऐसा देखने में आया है कि कुछ लोग किट को इस्तेमाल करने के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं जो कि बहुत ही गंभीर मामला है। ऐसे लोगों के खिलाफ आपदा अधिनियम के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि इससे संक्रमण के साथ पर्यावरण पर भी असर पड़ता है।
अस्पतालों ने वैसे इस काम को एजेंसियों के जिम्मे कर रखा है जो कि कचरे को निस्तारित करने के लिए इन्सीनरेटर मशीन लगा रखी हैं, जहां पर इसका समुचित निस्तारण होता है ताकि किसी तरह के प्रदूषण का खतरा न रहे ।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एनेस्थीजीआलजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तन्मय तिवारी का कहना है कि इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बाकायदा गाइड लाइन जारी की है कि पीपीई किट के इस्तेमाल और निस्तारण में किस तरह से सावधानी बरतनी है । उसके मुताबिक ही इसके निस्तारण में सभी की भलाई है।
उन्होंने बताया कि देश में इस समय रोजाना लाखों पीपीई किट का इस्तेमाल हो रहा है और यह एक बार ही इस्तेमाल के लिए हैं। इसलिए इस्तेमाल के बाद इसको मशीन के जरिये ही नष्ट किया जाना सबसे उपयुक्त तरीका है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि तीन-चार साल के विचार-मंथन और लाखों सुझावों के बाद नई शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया गया है और यह नए भारत की नींव रखने का काम करेगा।
श्री मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में होने वाले परिवर्तनकारी सुधारों पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज हर विचारधारा के लोग इस नयी शिक्षा नीति पर मंथन कर रहे हैं। इस नीति का कोई विरोध नहीं कर रहा है क्योंकि इसमें कुछ भी एकतरफा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कोई सर्कुलर नहीं बल्कि एक महायज्ञ है, जो नए देश की नींव रखेगा और एक सदी तैयार करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके। कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था। कभी डॉक्टर, कभी इंजीनियर कभी वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी लेकिन अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को विकसित किया गया है। युवाओं में क्रिटिकल सोच विकसित करना होगा।
उन्होंने कहा, हमारे सामने सवाल था कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है। क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है। नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से शिक्षा व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। नयी शिक्षा नीति में ऐसा प्रावधान किया गया है कि छात्रों को ग्लोबल सिटीजन बनाने के साथ साथ उनको अपने जड़ों से भी जोडक़र रखना है।
श्री मोदी ने कहा कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए ताकि बच्चों को सीखने में आसानी हो। पांचवीं कक्षा तक बच्चों को जहां तक संभव हो उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की व्यवस्था हो। अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम लोगों को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे। बच्चों पर किताबों का बोझ कम करना होगा। उच्च शिक्षा को स्ट्रीम से मुक्त करना होगा।
श्री मोदी ने कहा देश में ऊंच-नीच का भाव, मजदूरों के प्रति हीन भाव क्यों पैदा हुआ। इसके पीछे बड़ी वजह शिक्षा का समाज से लगाव नहीं होना रहा है। इस नयी शिक्षा नीति में इस पर भी विशेष जोर दिया गया है। छात्र जब तक किसानों को खेतों में काम करते नहीं देखेंगे तब तक श्रम की महत्ता को कैसे समझेंगे।
इस सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शिक्षा मंत्रालय ने मिलकर किया है। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा राज्य मंत्री डॉ संजय धोत्रे तथा अन्य अधिकारीगण भी मौजूद थे। इस सम्मेलन में देश के एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय, 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज, आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम, एनआईटी सहित देश के लगभग 150 से भी अधिक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों ने हिस्सा लिया। देशभर के कुलपति और संस्थानों के प्रमुख भी शामिल हुए।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (वार्ता)। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आगामी गुरुवार 13 अगस्त को लन्दन में एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
यह पहला मौका है जब भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कोई कवि सम्मेलन हो रहा है और वह भी ऑनलाइन। भारतीय उच्चायोग और कथा यूके द्वारा आयोजित यह कवि सम्मेलन लंदन में शाम 16.00 बजे यानी भारतीय समयानुसार रात 20.30 बजे होगा।
कथा यूके के संस्थापक तेजेन्द्र शर्मा ने यूनीवार्ता को लन्दन से फोन पर बताया कि कोरोना काल मे हमें डिजिटल माध्यम से इस कवि सम्मेलन को आयोजित करना पड़ रहा है। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में ब्रिटेन के वरिष्ट एवं युवा कवियों की रचनाएं सुनने को मिलेंगी। कवियों में डॉ. पद्मेश गुप्त, डॉ. निखिल कौशिक, जकिया •ाुबैरी, जय वर्मा, आशिष मिश्रा, शिखा वाष्र्णेय, तिथि दानी, आशुतोष कुमार, ऋचा जिन्दल, इन्दु बैराठ, स्वाति पटेल, मिनी नारंग शामिल होंगे। अतिथि कवि के रूप में हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी तरुण कुमार भी शामिल होंगे। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि आशीष मिश्रा करेंगे।
उन्होंने बताया कि कवि सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर नेहरू सेंटर के निदेशक अमीष त्रिपाठी एवं उप निदेशक बृज कुमार गुहारे मौजूद रहेंगे।
बहराइच, 7 अगस्त (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सरयू नदी से तीन तहसीलों के कम से कम 63 गांव प्रभावित है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि आज सुबह आठ बजे नदी का एल्गिन ब्रिज पर जलस्तर खतरे के निशान 106.07 मी. के सापेक्ष 106.586 मी., घूरदेवी पर जलस्तर 112.135 मी. के सापेक्ष 111.560 मी., गिरजापुरी बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 136.80 मी. के सापेक्ष 135.30 मी., गोपिया बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 133.50 मी. के सापेक्ष 129.75 मी. तथा शारदा बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान 135.49 मी. के सापेक्ष 135.05 मी. दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि जिले की तीन तहसीलों के 63 ग्राम बाढ़ से प्रभावित हैं जबकि मैरूण्ड ग्राम सात हैं। बाढ़ से 151222 ग्रामीण , 34431 पशु बुरी तरह प्रभावित है वहीं 15513.470 हेक्टेयर जमीन पानी में डूबी हुयी है। बाढ़/कटान से अब तक 142 मकानों अथवा झोपड़ी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित 23 बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मी स्थिति पर पैनी निगाह बनाये हुये है वहीं एकमात्र बाढ़ शरणालय में नौ लोग रह रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य में 197 नावें और एक मोटर बोट लगायी गयीं हैं। जबकि खोज एवं बचाव कार्य के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 01 प्लाटून पी.ए.सी. व 01 टीम एन.डी.आर.एफ. की तैनात है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को त्वरित उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए 48 मेडिकल टीमें गठित की गयी हैं। अब तक 356 लोगों को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की गयी है।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने एक हलफनामे में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में अभिनेता की तत्कालीन प्रेमिका और अब मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती दिवंगत अभिनेता की संपत्ति हथियाने के लिए उनके करीब आई थी। बिहार सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि अभिनेत्री ने दिवंगत अभिनेता को पहले अधिक मात्रा में दवाईयां दी और फिर यह बात फैलाई कि वह दिमागी तौर पर बीमार थे। उन्होंने यह तथ्य सुशांत के पिता की शिकायत का हवाला देते हुए पेश किया और सुप्रीम कोर्ट में रिया चक्रवर्ती की याचिका का विरोध किया, जिसमें उन्होंने मामले की जांच पटना से मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
एफिडेविट में कहा गया है कि मृतक के पिता ने एसएचओ राजीव नगर पीएस को दी गई लिखित शिकायत में कहा है कि साल 2019 में याचिकाकर्ता रिया चक्रवर्ती मृतक अभिनेता के संपर्क में आई, जिसके पीछे उनका एकमात्र उद्देश्य अभिनेता के करोड़ों रुपये हड़पने का था, जिसे अभिनेता ने कड़ी मेहनत से कमाया था।
उसमें आगे कहा गया है, कि याचिकाकर्ता और उनके रिश्तेदार यानी इंद्रजीत चक्रवर्ती, संध्या चक्रवर्ती, शोविक चक्रवर्ती दिवंगत अभिनेता के जीवन में पूरी तरह से हस्तक्षेप करते थे।
एफिडेविट में सुशांत के पिता के.के. सिंह का हवाला देते हुए कहा गया है, "याचिकाकर्ता (रिया) और उसके रिश्तेदार ने दिवंगत अभिनेता को यह बताने की पूरी कोशिश की कि वह मानसिक बीमारी से पीड़ित है जिसके लिए उसे उपचार की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ता मृतक को अपने घर भी ले गई, जहां उसने उसे दवाइयों का ओवरडोज देना शुरू कर दिया।"
एफिडेविट में कहा गया कि रिया ने सुशांत के सभी सामानों को भी अपने कब्जे में ले लिया और उसे अपने परिवार से दूर रखने का हर संभव प्रयास किया।
एफिडेविट में आगे कहा गया है," याचिकाकर्ता ने अभिनेता के बैंक खाते का विवरण भी लिया और अपनी इच्छा के अनुसार बैंक खाते का उपयोग करना शुरू कर दिया। दिवंगत अभिनेता फिल्म उद्योग को छोड़कर कूर्ग में जैविक खेती करना चाहता था, हालांकि, याचिकाकर्ता ने मृतक अभिनेता को यह कहकर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया कि वह उनकी मेडिकल रिपोर्ट मीडिया को देगी और उसे पागल साबित करेगी।"
उसमें आगे कहा गया, "मृतक अभिनेता ने अपनी बहन को सूचित किया था कि अगर मृतक ने उसकी बात नहीं मानी तो याचिकाकर्ता उस पर गलत आरोप लगा देगी।"
राज्य सरकार ने जोर देकर कहा कि पटना पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने का अधिकार क्षेत्र है और पटना में अदालत के पास अधिकार है कि राजीव नगर पीएस (पटना) में दर्ज एफआईआर में उल्लेखित अपराध के लिए याचिकाकर्ता से पूछताछ करें।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि वह शिमला नहीं जा रही हैं और हिमाचल की राजधानी जाने की अनुमति सिर्फ उनके बच्चों और घरेलू कर्मचारियों के लिए मांगी गई थी। उनके कार्यालय ने आईएएनएस से कहा कि शायद कुछ गड़बड़ी हुई है और उनके शिमला आने की खबर गलत है।
उनके कार्यालय ने उन समाचार रिपोटरें को लेकर जवाब दिया जिसमें कहा गया कि प्रियंका गांधी ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुछ हफ्तों के लिए राष्ट्रपति र्रिटीट के पास अपने शिमला घर जाने की अनुमति मांगी है।
इससे पहले जुलाई में प्रियंका गांधी ने सरकार द्वारा एसपीजी विदड्रॉल का हवाला देते हुए आवंटन रद्द किए जाने के बाद 35, लोधी एस्टेट निवास खाली कर दिया था।
सहारनपुर, 7 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक व्यक्ति पंकज कुमार ने हांफते हुए कहा अपने मरने की घोषणा का 80-सेकेंड का वीडियो रिकॉर्ड किया है। इस वीडियो में व्यक्ति ने उन सभी का नाम लिया है, जिन्होंने उसे जहर दिया था। यह घटना बुधवार को सहारनपुर की है और कथित आरोपी उसके खुद के परिवार के सदस्य हैं।
पंकज का शव एक खेत में उसी स्थान के आसपास पाया गया, जहां उसने वीडियो शूट किया था।
सहारनपुर के कोतवाली देहात के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) मुनेंद्र सिंह ने कहा, "पंकज की चाची, उनकी दो बेटियों और बहु पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मौत का कारण अभी तक अनिश्चित है और आगे की जांच के लिए विसेरा के नमूने संरक्षित किए गए हैं।"
एसएचओ ने कहा कि प्रथम ²ष्टया यह पारिवारिक विवाद का मामला प्रतीत हो रहा है।
पंकज (20) अपनी चाची के घर में पिछले चार सालों से रह रहा था।
वीडियो में पंकज को न्याय की गुहार लगाते हुए भी देखा जा सकता है और वह अपने शव का अंतिम संस्कार तभी करने की मांग कर रहा है जब उसके अपराधियों की गिरफ्तारी हो जाए।
पंकज वीडियो में कह रहा है, मैं इस वीडियो को फेसबुक पर डाल रहा हूं। मैं पुलिस विभाग से अनुरोध करता हूं कि वे सभी मेरे शरीर का दाह संस्कार करने से पहले मेरे साथ ऐसा करने वालों को गिरफ्तार किया जाए।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुरुवार को वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने संज्ञान लिया और सहारनपुर के सरसावां पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। बाद में इसे कोतवाली देहात थाने में स्थानांतरित कर दिया गया।
सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विनीत भटनागर ने कहा, "कोतवाली देहात पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू की गई है।"
लखनऊ, 7 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में चार दिन का विधानसभा सत्र 20 अगस्त से शुरू होने वाला है। इस नए सामान्य में होने जा रहे इस सत्र का अनुभव अलग होगा क्योंकि इसे कोविड -19 महामारी के प्रोटोकॉल के अनुसार आयोजित किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, "उत्तर प्रदेश विधानसभा इस बात का उदाहरण देगी कि महत्वपूर्ण मामलों पर कानून बनाने के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सत्र का आयोजन कैसे किया जाए। मुझे विश्वास है कि हमारे सभी सदस्य देश के सामने एक मिसाल कायम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सत्र में जनता से जुड़े गंभीर विषयों को संबोधित किया जा सके। हमें उम्मीद है कि इस संक्षिप्त सत्र के दौरान कोई व्यवधान नहीं होगा।"
उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य होगा जहां महामारी के दौरान नियमित सत्र होगा।
फरवरी में हुए आखिरी सत्र के बाद 6 महीनों के भीतर सत्र आयोजित करने के संवैधानिक दायित्व को पूरा करने के लिए यह मानसून सत्र बुलाया गया है।
विधान सभा के प्रधान सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने कहा, "वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंद्रीय एयर कंडीशनिंग प्रणाली में विशेष फिल्टर का उपयोग किया जाएगा। केंद्रीय कैंटीन बंद रहेगा।"
सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए विधायकों को प्रेस दीर्घा समेत विभिन्न दीर्घाओ में बैठाया जाएगा। लिहाजा सभी मीडिया पास रद्द करने का भी प्रस्ताव है।
सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान नेताओं ने सत्र के आयोजन की समय सीमा को 8 महीने या उससे अधिक करने के लिए मामले को राष्ट्रपति के पास समीक्षा के लिए भेजने की भी बात कही।
बात दें कि राज्य के नौ मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और विधानसभा में कई स्टाफ सदस्य भी संक्रमित हैं।
विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी को हाल ही में अस्पताल से छुट्टी दी गई है। फिर भी विपक्ष चाहता है कि कई मुद्दों पर चर्चा जरूरी है लिहाजा विधानसभा सत्र बुलाया जाए।
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान-दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली में साइकिल उपयोग में लाने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई लेकिन इंफ्रास्टक्च र की कमी के कारण काम और फिटनेस के लिए साइकिल उपयोग में लाने वालों के लिए कई तरह की दुश्वारियां बनी हुई हैं। सर्वे 'लाइवलीहुड साइकिलिस्ट इन दिल्ली' नाम के इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में 11 लाख साइकिल सवार हैं लेकिन यहां मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। ऐसे में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए साइकिल का उपयोग करने वालों को रोजाना अनचाहे खतरों का भय सताता रहता है।
इस सर्वे में लगभग 1400 लोगों के शामिल किया गया, जिनमें से 97 प्रतिशत ने रोजाना के आवागमन के माध्यम के रूप में साइकिल का उपयोग करने की इच्छा जतायी लेकिन साथ ही वे कई चीजों को लेकर डरे हुए भी दिखे। इसमें सबसे प्रमुख उनकी सुरक्षा है।
इस 'परसेप्शन स्टडी' में यह खुलासा हुआ कि सुरक्षित और सुविधाजनक साइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्च र का अभाव, डेडिकेटेड साइक्लिंग लाइंस का न होना, दूषित वायु और अनियंत्रित ट्रैफिक के चलते दिल्ली के अधिक लोग साइकिल की सवारी नहीं कर पा रहे हैं।
इसी कारण कई सामाजिक दिल्ली सरकार के सामने इन मुद्दों को रखने के लिए आगे आई हैं। इन संस्थाओं की मांग है कि दिल्ली सरकार जनता के लिए सुरक्षित साइक्लिंग ढांचा और स्थायी रूप से डेडिकेटेड साइकिल लेन्स स्थानपित करे।
इसके लिए हैशटैगदिल्लीधड़कनेदो कैंपेन शुरू किया गया है। यह दिल्ली में स्वच्छ वायु समाधानों और बेहतर एवं टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन साधन विशेषकर साइक्लिंग को लेकर काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों का सामूहिक प्रयास है। यह मुहिम दिल्ली को भारत का पहला साइक्लिंग-फ्रेंड्ली शहर बनाने में सहायता करने के लिए चलाया गया है।
इसके तहत दिल्ली सरकार के पास एक याचिका दिया जाना है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लाई जाये, जिसमें दो पहलुओं को प्राथमिकता मिले। पहला- साइकिल के लिए लेन बनाने को प्राथमिकता दिया जाना और दूसरा-परिवहन के कोविड-प्रूफ साधन के रूप में हर किसी को साइकिल के उपयोग की अनुमति देना।
दिल्ली में लम्बे समय से पर्यावरण, शिक्षा, सामाजिक उत्थान और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए काम कर रही अग्रणी गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) 'स्वच्छा' के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख विमलेंदु झा ने कहा, ''दिल्ली में साइकिलों के माध्यम से आजीविका चलाने वाले 91 प्रतिशत लोग हर रोज साइकिल चलाकर अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, लेकिन क्या हमारी सड़कें सुरक्षित तरीके से पैदल और साइकिल से चलने के लिए डिजाइन की गयी हैं? इसका उत्तर है, नहीं। दिल्ली के लगभग 11 लाख साइकिल चालकों के लिए मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। यही नहीं, दिल्ली कई वर्षों से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या को परंपरागत साधनों जैसे कि साइकिल इंफ्रास्ट्रक्च र से हल नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए शहर के कोने-कोने तक कनेक्टिविटी भी बेहद जरूरी है। इसलिए, पैदल चलने वालों की सुरक्षा और दिल्लीं में पैदल व साइकिल से चलने के उनके अधिकार की रक्षा हेतु मजबूत नीतियों की सख्त आवश्यमकता है।''
दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि शहर में लगभग 11 लाख नियमित साइकिल उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी से पहले से है और रुझानों से संकेत मिलता है कि संख्या केवल बढ़ेगी। आईआईटी- दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए अध्ययन से यह साफ है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में साइकिल चलानों की संख्या चार फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो गई है।
दिल्ली में राहगिरी डे की सह-संस्थापक सारिका पांडा मानती हैं कि दिल्ली में अभी भी गतिशीलता के संकट से निपटना जरूरी है और शहर को पैदल चलने और साइकिल चलाने की योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
नई दिल्ली/इस्लामाबाद (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तान को आगाह किया कि वह अपने भड़काऊ बयानों से भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने से बाज आए।
पाकिस्तान ने बुधवार को आयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह की कड़ी निंदा की थी।
इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "भारत के एक आंतरिक मामले पर इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान द्वारा प्रेस को दिए गए बयान हमने देखे हैं।"
प्रवक्ता ने पाकिस्तान को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि उसे भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आना चाहिए और सांप्रदायिक उकसावे से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, "सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और अपने यहां अल्पसंख्यकों को उनका धार्मिक अधिकार देने से इंकार करने वाले किसी राष्ट्र का यह रुख कोई आश्चर्यजनक नहीं है। इस तरह की टिप्पणियां अत्यंत खेदजनक है।"
इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने एक आधिकारिक बयान में बुधवार को दावा किया था कि जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, वहां लगभग पांच सदी तक ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद खड़ी थी।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया है, उसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए इस्लामाबाद ने कहा कि इसने न केवल न्याय के ऊपर आस्था की प्राधना को जाहिर किया है, बल्कि आज के भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को भी, जहां अल्पसंख्यक, खासतौर से मुस्लिम और उनके धर्मस्थल हमले के शिकार हो रहे हैं।
इमरान खान सरकार ने कहा, "एक ऐतिहासिक मस्जिद के स्थान पर मंदिर का निर्माण आने वाले समय के लिए तथाकथित भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक धब्बा बना रहेगा। वर्ष 1992 में भाजपा और उससे संबद्ध चरमपंथी हिंदू संगठनों द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दृश्य दुनिया भर के मुसलमानों के मन में ताजा बने हुए हैं।"
बयान में कहा गया है कि उसके बाद से ओआईसी ने सदियों पुरानी मस्जिद को तोड़े जाने के जघन्य कृत्य की निंदा के लिए कई सारे प्रस्ताव पारित किए हैं।