राजनीति
-राजीव पी. सिंह
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई के दावे किये जाते हैं, जिसके चलते अब सरकार के ही बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी द्वारा अपने भाई का गरीब कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति कराने के लग रहे आरोपों से हडकंप मच गया है. इस वजह से जहां एक ओर अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर योगी सरकार की नीति और नियत पर सवाल उठाये जा रहे हैं, तो वहीं अब समाजवादी पार्टी के साथ ही साथ कांग्रेस भी बेसिक शिक्षा मंत्री पर लगे इन आरोपों को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाना साधते नजर आ रही है.
न्यूज़ 18 से बात करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यूं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर मंच और सदन में भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन अब तो योगी सरकार के ही बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने खुद आपदा में अवसर तलाशते हुए अपने भाई अरुण द्विवेदी की ईडब्ल्यूएस यानी की गरीबी कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति कराकर एक बड़ा भ्रष्टाचार किया है. ऐसा करके बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने न सिर्फ गरीबों के हक पर डाका डाला है बल्कि उन तमाम अभ्यर्थियों के हक को भी मारा है जिन्होंने इस पद के लिये वर्षों से मेहनत की थी. ऐसे में अब देखना ये होगा कि क्या मुख्यमंत्री अपने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की गरीबी का प्रमाण पत्र बनाने वाले और उनकी नियुक्ति करने वालों के खिलाफ भी क्या अपनी भ्रष्टाचार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई करेंगे या फिर ऐसा करने की सिर्फ बयानबाजी ही करेंगे?
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने दी सफाई
हालांकि विपक्ष द्वारा लगातार इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधने के चलते बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने भी इस मामले पर अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि एक अभ्यर्थी ने आवेदन किया और विश्वविद्यालय ने अपनी निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए साक्षात्कार के माध्यम से उसका चयन किया है. इस मामले में मेरा कोई दखल नहीं है, न ही कुछ कहना है. अगर किसी को लगता है कि मैं मंत्री हूं, विधायक हूं, तो मेरा भाई कैसे EWS (आर्थिक रूप से कमजोर) हो गया? तो क्या आपका भाई अगर 3-4 करोड़ का पैकेज पाता है, तो क्या उसका भाई उस आय का अधिकारी माना जाता है? भाई की अलग पहचान है. उसने अपने पहचान के आधार पर आवेदन किया है.प्रशासन ने प्रमाण पत्र दिया है और विश्वविद्यालय ने अपनी निर्धारित प्रक्रिया के तहत चयन किया है. जिसे आपत्ति है, वो इस मामले की जांच करा सकता है.